एक टुकड़ा उम्मीद – मंजुला

“मानव बरामदे में उकडू बैठा था। आँखों में बदलियां उमड़ घुमड़ रही थीं। रात बच्चों से प्राॅमिस करके सोया था कि सुबह वो उनके लिए रोटी ले आयेगा। सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे पर उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि करे तो क्या करे। जहाँ वो काम करता था उस फैक्ट्री पर … Read more

नेकी कर कुएं में डाल – नीरू जैन 

नेहा कभी-कभी उदास हो जाती थी। राहुल उसे कई बार समझाता था कि यूं उदास रहने से तुम अपने शरीर में ही अनेक बीमारियां लगा लोगी। यहाँ किसी चीज की कमी नहीं है तुम्हे। हमारे पास भगवान का दिया सब कुछ है धन दौलत, बच्चे और देखो ना इतना खूबसूरत पति जो हर वक्त तुम्हारे … Read more

सुपुत्र – भगवती सक्सेना गौड़

राम नारायण के इकलौते बेटे की छह महीने पहले आईटी कंपनी में बी टेक के बाद प्लेसमेंट हुआ था। बढ़िया नौकरी मिली थी। छोटे से कस्बे के रामनारायण और उनकी पत्नी छाया आज आकाश में उड़ रहे थे, बेटा गगनवीर सर्विस लगने के बाद पहली बार घर आ रहा था। अपने हिसाब से दोनो ने … Read more

पत्नी के आने से मां की उम्मीदें खत्म नहीं होती.. – निधि शर्मा 

“मां मैं दफ्तर के लिए जा रहा हूं घर का और अपना ध्यान रखना। आपको कुछ चाहिए तो मुझे फोन कर देना, मैं वापस आते समय लेता आऊंगा चलता हूं। सुमन मैं जा रहा हूं मुझे गाड़ी की चाबी दे दो और गेट बंद कर लो।” राजीव अपनी मां कावेरी देवी और पत्नी सुमन से … Read more

डबल ड्यूटी-कहानी-देवेंद्र कुमार

लखमा तेजी से हाथ चला रही है। आज उसे जल्दी घर जाना है। कोई मेहमान आने वाला हैं। लेकिन काम तो पूरा करना ही है। लखमा बाज़ार में तीन दुकानों में सफाई का काम करती है। पति मजदूर है। दोनों के काम करने पर भी घर मुश्किल से चलता है। एक बेटा है अमर| दुकानों … Read more

हमें तो बस आपकी बेटी चाहिए – मीनाक्षी सिंह

रमेश जी – अरे भाई साहब ,दहेज की कौन कह रहा हैं ! हमें तो बस अपनी बेटी दे दिजिये ! भूषण जी – वो तो ठीक हैं समधी जी ,पर फिर भी आपकी कोई मांग हो तो बता दिजिये ! जैसे सब बातें साफ रहे ! कोई समस्या ना हो आगे ! रमेश जी … Read more

‘उम्मीद का दिया बुझा दो’ – अनीता चेची

गोरा रंग ,मझोला कद ,चाॅंद सी सूरत 21 वर्षीय हीरामणि का विवाह हीरा से हुआ। संस्कारों से सुसज्जित हीरामणि पूरे परिवार के प्रति समर्पित और अपने पति को परमेश्वर मानने वाली थी। हीरा भी उसे बहुत प्यार करता  परंतु  एक उन्मुक्त पक्षी की तरह आकाश में भी उड़ना  चाहता था । वह किसी भी तरह … Read more

नई उम्मीद

संचिता बड़े-बड़े कदमों से तेज-तेज चलने लगी…आज कोई आटों नहीं मिला पैदल ही घर जा रही थी रात के नौ बजने वाले थे रास्ता सुनसान था…दिसंबर था तो ठंड भी बहुत थी…!!!!    तभी चार नौजवान सामने से आते दिखें…अच्छे लग रहे थे देखने में तो…थोड़ी देर बाद संचिता और वो चारों आमने-सामने थे…पता नहीं क्यूँ … Read more

नहीं हूं मैं “सुपर वुमन” !! – मीनू झा 

क्या ज्योति मैडम…कल भी वो फाइल मेरे टेबल पर नहीं आई जो आपको परसों देने कहा था…क्या चल रहा है यहां ये ऑफिस है या चिड़ियाघर??—बाॅस ने सुबह आते ही ज्योति से सवाल किया। सर…वो फाइल तो मैंने परसों ही रामदीन को दे दिया था–ज्योति आश्चर्य से बोली। हां मैडम आपने दिया तो था..पर बताया … Read more

बेटा, तुझे दिखावा करने की कोई जरूरत नहीं। –  सविता गोयल

 ये क्या भईया !! ना आपने सारे नाते रिश्तेदारों को न्योता दिया और ना हीं भोज का आयोजन सही तरीके से रखा। समाज में क्या इज्जत रह जाएगी हमारी। अरे पैसे कम पड़ रहे थे तो एक बार बोल दिया होता मैं हीं कुछ इंतजाम कर देता….    मेरे ससुर जी भी पापा की तेरहवीं … Read more

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