मेरी बहुओं ने मुझे कहाँ फँसाकर छोड़ दिया है? – गीतू महाजन

कमलजीत कौर बहुत खुश थी..उसकी खुशी का कारण यह था कि उसके छोटे बेटे परमिंदर की शादी बहुत अच्छे से हुई थी। पिछले कुछ दिनों से वह अपने छोटे बेटे की शादी में व्यस्त थी और अब सभी रिश्तेदार भी खुश हैं। शादी बहुत अच्छी हुई और लड़कियों ने भी पार्टी का बहुत अच्छे से … Read more

देवरानी-जेठानी रिश्तों की जुगलबन्दी  –  पूजा अरोरा

“अरे भाभी! मैंने तो सोचा था कि अबकी बार जब मैं आऊंगी तो आपको दोनों बहुओ से सेवा करवाते हुए पाऊंगी परंतु यह क्या यहां तो अब उलटी गंगा बह रही है दो-दो बहुओं के होते हुए” उषा ने अपनी भाभी विमला को कहा | विमला जी बस मुस्काई मगर कुछ बोली नहीं | दरअसल … Read more

सासू मां आपने मुझे उड़ना सिखाया – सरगम भट्ट 

रीमा की सगी मां नहीं थी , उसकी सौतेली मां रेनू थी जिसके खुद के दो बच्चे थे ! एक बेटा मोहक और एक बेटी सुहानी ! रीमा रेनू को फूटी आंख ना सुहाती थी , रेनू सिर्फ अपने दोनों बच्चे मोहक और सुहानी से ही प्यार करती थी । रीमा सारा दिन घर का … Read more

रिश्तों की अहमियत – शिखा जैन

“भाभी,आप भैया को छोड़कर अपने घर चली जाओ।मैं भी हमेशा के लिए यहाँ रहने आ गई हूँ।” आरती के यह कहने पर रीना भाभी जोर जोर से हंसने लगी जैसे आरती ने कोई चुटकुला सुनाया हो। “क्या भाभी,आप भी?इतनी सीरियस बात पर भी कोई हंसता है क्या” आरती झुँझला पड़ी। “अभी-अभी भैया आप से लड़कर … Read more

दूध और शक्कर- ज्योति व्यास

“भाभी , ये साड़ी  मुझे मेरी जेठानी के सामने दे देना जब मैं भाई और आपको तिलक लगाऊंगी।” सीमा ने अपनी नई भाभी को  किचेन में ले जाकर एक पैकेट थमाते हुए कहा।सीमा भाईदूज पर अपने पीहर आई थी। भाभी ने  सीमा की ओर प्रश्नात्मक दृष्टि से देखते हुए कुछ पूछना  चाहा जिसे सीमा ने … Read more

आखिर  क्यों – विजया डालमिया

कृष्णा ,ओ कृष्णा ,रुक जाना ।तेज -तेज दौड़ते हुए सुरभि हाँफने लगी थी। नाजुक सुरभि छोटे-छोटे कदमों को तेजी से भागने के चक्कर में घायल कर रही थी। पर कृष्णा ….उसे तो मजा आ रहा था ।वह सुरभि को और ज्यादा थकाना चाहता था ।बात तो सिर्फ एक खिलौने की ही थी। सुरभि की प्यारी … Read more

अन्धविश्वास – बीना शुक्ला अवस्थी

आज गौरांगी आफिस से आई तो घर के निचले भाग में स्थित सदा खुली रहने वाली देवर की दुकान बन्द थी। ऊपर आई तो देवर बुखार के कारण लेटा था, पास बैठी सास और ननद उसे सहला रहीं थी। देवर की तबियत पूॅछने पर दोनों ने किसी अज्ञात टोने टोटके करने वाले को रो रोकर … Read more

हर गलती की क्षमा नहीं  – डॉ उर्मिला शर्मा

   मंदाकिनी अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी। बड़ी ही मधुर स्वभाव की लड़की थी। आमतौर पर एकलौती सन्तान लाड़-प्यार में थोड़े बिगड़े होते हैं, किंतु मंदा (सब प्यार से उसे यही बुलाते थे) के साथ यह बात न थी। जब वह 12 वीं में थी तभी एक दिन रात को जब वह मां के साथ … Read more

बहू से उम्मीद तो दामाद से क्यों नहीं !! – मीनू झा

रेवती को समझ आ गया उसे अब क्या करना है.. क्योंकि इस मुद्दे पर जिस तरह विनीत का व्यवहार हो जाता है उसे बड़ा ही अजीब लगता है…मतलब…समझ ही नहीं पाती वो कि इतना सभ्य,सुशील संस्कारी और व्यवहारिक विनीत ऐसा क्यों करने लगता है,कारण पूछो तो कहेगा—पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लगता…तुम उनकी बेटी … Read more

उम्मीद रखो पर स्वार्थी ना बनो! – प्रियंका सक्सेना

“आ जाओ ना माॅ॑ !भाभी को गर्मी में लू लग गई है, जरा सा बुखार ही तो है भाभी को और आप इस चक्कर में मेरी महीने ‌भर में एक बार होने‌ वाली किटी पार्टी बिगाड़ने पर तुली हो।”मालिनी ने बड़े अधिकार पूर्वक अपनी माॅ॑ से कहा, उसे पता है कि उसकी माॅ॑ गर्मी- सर्दी … Read more

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