आंसू –  कीर्ति रश्मि “नन्द

 “ऑनलाइन राखी भेज दो अपने भाई को” प्रकाश जी ने रचना को समझाते हुए कहा। इसकी कोई जरूरत नहीं है जब इतने सालों से नहीं भेज रही हूं तो अब कैसे …” कहते कहते रचना की आंखे भर आई गला रूंध गया।          उसकी आंखों के सामने उसके छोटे भाई की छवि घूमने लगी… उसके जन्म … Read more

सासू माँ, देवरानी पर तो अभी बच्चों की जिम्मेदारी भी नहीं…  – चेतना अग्रवाल

“मम्मी जी, बच्चों के स्कूल में गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं, परसों वट-सावित्री व्रत पर मायके से भाई आयेगा तो मैं सोच रही थी कि उसके साथ मायके चली जाऊँ। 10-15 दिन रहकर आ जाऊँगी।” मुस्कान ने मीता जी का मन टटोलने की कोशिश की। “बड़ी बहू, ये छोटी बहू का पहला वट-सावित्री … Read more

आपकी बेटी अब मेरी बेटी है – किरण विश्वकर्मा 

आभा को आज लड़के वाले देखने आ रहे है आभा देखने में जितनी सुन्दर है उतनी ही स्वभाव से भी अच्छी।सबकी जुबां पर आभा का ही नाम रहता। निखिल ने जैसे ही आभा को देखा तो शादी के लिए तुरन्त हाँ कह दी।निखिल अपने मां-बाप की इकलौती संतान है।आभा भी बहुत खुश होती है और … Read more

मैं प्रेम की दीवानी हूँ – मनप्रीत मखीजा

सूरज की किरणें झिलमिल के चेहरे पर पड़ रही थीं। कमरे की बालकनी में योगासन करता हुआ झिलमिल का पति प्रेम, झिलमिल को निहारने लगा। इन चमकीली किरणों ने जब झिलमिल के चेहरे को छुआ तो मानो कोई सोना चमक रहा हो। गोरा रंग, घनी पलकों वाली बड़ी बड़ी आँखें और लाल सुर्ख होंठ झिलमिल … Read more

अव्वल दर्जे की बेवकूफ़ – नीरजा कृष्णा

सीमा ऑंखें बंद किए सोच में डूबी है। आज का दिन उसके जीवन का बहुत बड़ा दिन है। घर में चहलपहल मची है पर वो…वो तो आज अपने कड़वे अतीत में डुबकी लगा रही थी… कितने सपने ऑंखों में संजोए वो इस घर में राजेश की पत्नी बन कर आई थी। सारे सुनहरे सपने धीरे … Read more

वादा – विजया डालमिया

“प्रेम कहाँ हो तुम?” कहते हुए दना- दन सीढ़ियाँ चढ़ गई प्रिया। दूसरे माले में प्रेम का रूम था। जल्दी-जल्दी चढ़ने की वजह से उसका गोरा रंग गुलाबी हो चला था। सफेद सलवार सूट में वह खिलता गुलाब दिख रही थी। कमरे के बाहर कमर पर हाथ रखकर वह एकटक प्रेम को ही निहार रही … Read more

लज्जा – पूजा मनोज अग्रवाल

लज्जा का विवाह करीब 17 वर्ष पहले दीनदयाल से हुआ , दीनदयाल पेशे से किसान था , शादी के सत्रह वर्ष बीत गए पर आज तक भी वह औलाद का मुंह ना देख पाया था । लज्जा पिछले कई वर्षों से गांव वालों और अपने घर परिवार वालों से बांझ होने के ताने सुनती आ … Read more

संघर्ष – कल्पना मिश्रा

अचानक खट की आवाज़ से उनकी नींद खुल गई। “तेज़ हवाओं के साथ बारिश हो रही थी इसीलिये शायद कुछ गिर गया होगा।” फिर उन्होंने तकिये के नीचे से मोबाइल निकाल कर समय देखा तो रात के दो बज रहे थे। “अभी थोड़ी देर और सो सकते हैं ,ये सोचकर उन्होने फिर से आँखें बंद … Read more

परिभाषा – गुरविन्दर टूटेजा

  रीता भाभी, नमिता भाभी , और भी बहुत सी कॉलोनी की भाभियाँ  व मैं अनु….हम सब सामने के गार्डन में बैठे शाम को बात कर रहे थे….तो बातों बातों में हमने सोचा कि मिलकर कही चलते है…???? किसी ने कहा पिकनिक…किसी ने कहा मूवी….तो मैंने कहा कि क्यूँ ना हम सब मनोविकास केन्द्र जहाँ मानसिक … Read more

छोटी सी बात – अभिलाषा कक्कड़

आज सरिता बहुत दिनों के बाद चंडीगढ़ दीदी अर्चना के घर आईं थीं । शादी से पहले तो बहुत आना जाना लगा रहता था ,सारी ख़रीदारी की भी एकमात्र वहीं जगह थी ।दो चार दिनों के लिए दीदी अकेली थी । जीजा जी अपने किसी काम से शिमला गये थे और बहु बेटा और पाँच … Read more

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