‘ मैंने तो भरोसा किया था किन्तु आपने… ‘ – विभा गुप्ता 

   ” आई एम साॅरी दिनेश, सुशीला जी ठीक हैं लेकिन मैं आपके बच्चे को नहीं बचा सका।” डाॅक्टर ने कहा तो दिनेश ने किसी तरह से खुद को संभाला।शादी के पाँच बरस बाद उसकी पत्नी को मातृत्व-सुख मिला भी तो क्षणिक। अब वह उससे क्या कहेगा,कैसे कहेगा, वह  समझ नहीं पा रहा था।किसी तरह से … Read more

जब भरोसा टूटता है तो बहुत दर्द होता है। – सविता गोयल 

” सुनिए जी, आप गुस्सा थूक दीजिये.. नवीन अब बड़ा हो रहा है ..। जवान बेटे पर इतना गुस्सा करना सही नहीं है। कल को वो आवेश में आकर कोई गलत कदम ना उठा ले  …। ,, “तो क्या.. अब मुझे अपनी औलाद से भी डर कर रहना पड़ेगा !! आने दो आज उसे घर  … Read more

पिंजरे की मैना ! – रमेश चंद्र शर्मा

” तुम्हें हमारी परंपरा रीति रिवाज का थोड़ा भी ज्ञान नहीं है। शर्म करो अपने हाथों से बेटी का कन्यादान करना चाहती हो। हमारा समाज और रिश्तेदार क्या कहेंगे”?  विधवा रजनी को उसके जेठ महेश डांटते हुए बोले। महेश चाहते थे बेटी का कन्यादान उनके हाथों से हो ।महेश की पत्नी 3 साल पहले सड़क … Read more

भरोसा – दीपा माथुर

राधा चौक में दरी बिछाए कपड़े तह करती हुई बडबडा रही थी। धूप जाने का समय हो गया घड़ी भर कमर आड़ी की हो तो ? और ऑफिस और स्कूल से आते ही सब ऐसे रॉब मारेंगे जैसे बहुत आराम फरमा रही थी। ” मम्मी नाश्ता दो मुझे खेलने जाना है।” विपिन ( बड़ा बेटा) … Read more

 भरोसा  –  मृदुला कुश्वावाहा

“अरे! काजल बिटिया, आज कहाँ जा रही हो? अब तो नौकरी छोड़ दी हो ना?” काजल पीछे मुड़कर- “हाँ पापा, आज मैं अपने बकाये पेमेंट का हिसाब करने जा रही हूँ।” – “ठीक है बेटी जाओ, अपना हिसाब करके आओ और हाँ, ज्यादा उलझने की जरूरत नहीं है। तुम्हें मोबाइल शॉप के मालिक बेइज्जत करके … Read more

“भरोसे का खून” – कविता भड़ाना

लक्ष्मी सूनी -सूनी आंखों से एकटक अपने घरौंदे को बिखरते हुए देखे जा रही थी, जिस इंसान के लिए उसने अपनी सगी बहन के भरोसे को कुचल के रख दिया था, वही उसे दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंकेगा ये तो कभी सोचा भी नहीं था, पर जिस रिश्ते का आधार ही स्वार्थ … Read more

भरोसा – अर्चना झा

आज पार्क में खेलते वक्त शिवम को गहरी चोट लग गई, घुटने से खून आता देख वो डर गया और भागते हुए आभा दीदी के पास गया,आभा जो उसकी केयर टेकर थी पर मोबाइल पर किसी से बात करने में इतनी तल्लीन थी कि शिवम की रोने की आवाज उसके कानों तक पहुंची ही नहीं,शिवम … Read more

पारिवारिक अदालत – विनोद प्रसाद

मेरी सिगरेट की डिब्बी कहां है? कोई भी चीज ढूंढो तो मिलती नहीं है।” निखिल ने झंझलाते हुए पूनम से कहा। “सिगरेट तो मैं पीती नहीं। आपने ही कहीं रखी होगी”- पूनम ने शांत लहजे में जवाब दिया। “जुबान लड़ाना तो तुम खूब जानती हो” और छोटी सी बात ने आज फिर उग्र रूप धारण … Read more

फुलटाइम मेड – रिंकी श्रीवास्तव

सौरभ  उठो  ना ,देखो तो  मम्मी जी कहाँ रह गयी हैं , नौ बजने वाले हैं ,अभी तक नहीं आयीं वैसे तो रोज आठ बजे तक आ जाती थीं पर इधर दो तीन दिन से रोज आधा घंटा देर से आती हैं पर आज तो एक घंटा हो गया अभी तक नही आयीं | नेहा … Read more

ऐसे ही किसी पर भरोसा मत करों – गुरविंदर टुटेजा

    निधी सुबह जल्दी-जल्दी घर का काम कर रही थी तभी मोबाइल बजा तो उसने उठाया तो…सामने से बोला कि हम इस कम्पनी से बोल रहें हैं…आपका नाम क्या है व कहाँ से है..?? निधी ने नाम बताया व जयपुर से हूँ…!! उधर से आवाज आई कि आपका पाँच लाख का ईनाम निकला है.तो उसके लिए … Read more

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