जेठानी की चतुराई सामने आ ही गई – अमिता कुचया

रिमझिम को आज सुबह उठने में देर हो गई । उसने घड़ी की ओर देखा तो आठ बज चुके थे, उसने सोचा मम्मी को लगेगा कि मैं देर से उठी हूं, इसलिए उसने सोचा कि क्या किया जाए ••• फिर उसे ख्याल आया मम्मी के पैर की मालिश कर दूं तो वह मेरे देर से … Read more

सुबह का भूला  – डॉ. पारुल अग्रवाल

संध्या जल्दी-जल्दी काम निबटाकर हॉस्पिटल के लिए निकलना चाहती थी क्योंकि आज डिलीवरी का काफ़ी जटिल केस आया हुआ था। हॉस्पिटल से कई बार फोन आ चुका था। वो निकल ही रही थी कि उसके मोबाइल की स्क्रीन पर उसकी सबसे प्यारी सखी का नंबर चमकने लगा। वैसे तो अभी उसके पास सांस लेनी की … Read more

भरोसा – शकुंतला अग्रवाल शकुन 

घर दुल्हन की तरह सजा हुआ है। हो भी क्यों नहीं? इस घर की लाड़ली बिटिया (रीना) की शादी जो है। मंगल-गीत गाए जा रहे हैं।आज रीना के हल्दी लगी है। वो परियों की रानी लग रही है और उसकी सब सहेलियाँ परियाँ।मिसेज वर्मा का तो कहना ही क्या?50 की उम्र में भी, वो तो … Read more

दिल टूटा पर भरोसा नहीं टूटा – सुषमा यादव

दिल के टुकड़े हुए हजार,,पर भरोसा नहीं टूटने दिया,,, पिछले वर्ष करोना काल में मैं भी दिल्ली में ही रह गई थी, वापस नहीं जा पाई, करोना काल में सभी पुराने सीरियल पुनः शुरू हो गये थे, मैंने भी एक सीरियल देखा, ‘ फ़रमान’ , इस में नायिका नायक के अंत समय में भी नहीं … Read more

तेरा मेरा सपना – अभिलाषा कक्कड़

विवाह के सत्रह वर्ष बीत जाने के बाद भी सुमन और संतोष का आंगन बच्चों की किलकारियों से सूना ही था…… बहुत झाड़ फूंक ओझा बाबा सबको दिखा कर हार चुके थे और हैसियत से ज्यादा रूपया भी पानी की तरह बहा चुके थे। दूर की रिश्ते की काकी ने उसे एक टोटका और कुछ … Read more

पिता का भरोसा !! – पायल माहेश्वरी

” किसी अजनबी लड़के पर भरोसा कैसे करूँ, आखिर नमिता मेरी इकलौती बेटी हैं,और इस महानगर में अकेला रहने वाला लड़का क्या मेरे भरोसे पर खरा उतरेगा ? ” हरीश जी व्यथित होकर अपनी पत्नी कल्पना जी से बोल रहे थे।  वही दूसरी और नमिता अपने पिता की आंशकाओ से अनभिज्ञ होकर एक अजनबी पर … Read more

माता-पिता ने भरोसा तोड़ा (हास्य रचना) – गीता वाधवानी

सब्जी नगर का ठेला सब्जियों से खचाखच भरा हुआ था। चारों तरफ सब्जियों का कोलाहल मचा हुआ था। तराजू को सिंहासन बनाकर उसमें काले-काले बैंगन राजा आसीन थे। उनका हरा ताज दूर से ही चमक रहा था। सभी सब्जियां नारे लगा रही थी।”बैंगन राजा की जय”, बैंगन राजा की जय”।”बैंगन राजा इंसाफ करो, मेरे माता … Read more

“चटपटा स्वाद ” – कविता भडाना

आज आप सभी के साथ मैं अपने बचपन का एक चटपटा किस्सा सांझा कर रही हूं, मुझे बचपन से ही मिठाई बहुत अधिक प्रिय थी,  अब चूंकि हमारा संयुक्त परिवार था तो सब चीज सीमित मात्रा में ही मिलती थी। पेट तो भर ‍ जाता पर मन नहीं भर पाता…. मेरे मामा का घर बुलंदशहर … Read more

“बहूरानी या नाॅन पेड नौकरानी” – कुमुद मोहन

“लो बहूरानी संभालो अपना राजपाट! ,और मुझे छुट्टी दो इस जंजाल आज से  इस घर की मालकिन तुम!” मुझे तो तुम्हारा ही इंतज़ार था कि कब आओ और इस घर गृहस्थी के झंझट से निजात पाकर मैं भी सुकून की सांस ले सकूं” नई बहू सीमा के गृहप्रवेश करते ही सासू मां शीला जी ने … Read more

साहिल बेटा ,हमें तब क्यूँ नहीं बताया – मीनाक्षी सिंह 

साहिल -पापा मुझे माफ कर दो ,,मुझे बचा लो नहीं तो आपका बेटा अब ज़िंदा नहीं बचेगा !  दिनेश जी – अरे,ऐसा  क्या हुआ बेटा ! मेरा मन बहुत  घबरा रहा है ,,बता तो सही ,,तू ठीक तो हैँ !  साहिल दिनेश जी और कांता जी का एकलौता बेटा था ! पढ़ने में बचपन से … Read more

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