सरसता – अभिलाषा कक्कड़

सच ही कहते हैं कि सहजता और सरलता में जो रस निखार और सुन्दरता है वो थोपी हुई थोथी बातो में नहीं । कभी-कभी बनावट का लिबास हम इस कदर ओढ़ लेते हैं कि हमारी स्वाभाविकता की चमक भी खो जाती हैं और परिणाम भी हानिकारक ही ज़्यादा साबित होते हैं । अच्छा है जितनी … Read more

अपना अपना स्वार्थ – डॉ. सुनील शर्मा

रिदिमा ने जब मां को उसके साथ ही ऑफिस में कार्यरत संकेत का विवाह का प्रस्ताव बताया तो एक बार तो मां पशोपेश में पड़ गईं. किसी तरह अपने आप को संभाला. रिदिमा और उसके दोनों बहन भाई बहुत छोटे थे जब पति की एक सड़क दुर्घटना में म‌त्यु हो गई थी. कंपनी ने उनके … Read more

आंटी जी – मधु शुक्ला

दिव्या की शादी ऐसे परिवार में हुई थी। जहाँ बस दो ही सदस्य थे परिवार में। उसके पति के अलावा ससुर जी। उसकी सासू माँ स्वर्ग सिधार चुकीं थीं। प्रेम विवाह के कारण उसके सास ससुर दोनों ही अपने परिवारों से जुदा हो गये थे। उनके कुछ अभिन्न मित्र उन्हें परिवार की कमी महसूस नहीं … Read more

खुद करो तो ठीक मैं करू तो गलत – रश्मि प्रकाश 

  वह अपने ऑफिस से निकलने ही वाली थी …कि अचानक तेज बारिश शुरु हो गई सोचने लगी समर ने कहा था “आज मैं तुम्हें लेने आ जाऊंगा मेरा इंतजार कर लेना।” एक घंटे होने को आए समर अब तक नहीं आया ऑफिस के भी अधिकांश लोग जा चुके थे। ऑफिस की कार भी निकल … Read more

मुझे कमाऊ लड़की चाहिए – ज्योति आहूजा

“मोहित  और प्रिया  दोनों की अरेंज मैरिज थी। मोहित  एक इंजीनियर था। पढ़ा लिखा स्मार्ट और गुड लुकिंग था। उसके अपनी शादी को लेकर कुछ अरमान थे। उसे भी अपनी तरह पढ़ी लिखी लड़की चाहिए थी। जो देखने में भी अच्छी हो और सुंदर भी हो। पर मोहित  के पिताजी भानु लाल अपने दोस्त घनश्याम … Read more

समाज और रिश्तेदार की परवाह करू या बच्चों की करियर देखूँ – अर्चना खंडेलवाल 

विजेंदर  चाचा की लड़की की शादी है, हम सबको बुलाया है, जाना बहुत जरूरी है, हमारी बहन की शादी में भी वो लोग सपरिवार आये थे।  नहीं जायेंगे तो वे लोग नाराज हो जायेंगे। नमित  ने शिप्रा  को कार्ड दिखाते हुए कहा। अच्छा, ये तो बताओ शादी कब है? शादी बीस तारीख अगले  महीने है। … Read more

वसीयत –  मधू वशिष्ट

रक्षाबंधन नजदीक आने वाला था लेकिन दीपक  और चाँदनी  दोनों के लिए यह त्यौहार नहीं था। दीपक  और चाँदनी  दोनों के चारों बच्चे अच्छे दोस्त होकर भी बिना वजह की दुश्मनी निभा रहे थे। मामा और बुआ दोनों के घर बच्चों के लिए बंद हो चुके थे। शायद इसका कारण वर्मा जी की अपने बेटे … Read more

पीर पराई – सुधा शर्मा

  माँ ने आवाज़ दी ,’ जल्दी कर अनु , तेरे जाने का समय हो रहा है । जल्दी नाश्ता कर ले।’ यह लडकी भी न अपने अलावा सबकी चिन्ता है ।जाने कहाँ कहाँ से पकड़ लाती है दीन दुखियारे ।जाने कितना सेवा भाव भरा है इसके मन में ।  ‘ माँ कहती रह गई और … Read more

दीवाली के दिन भाई मिल गया ‘ – विभा गुप्ता

 सुबह की साफ़-सफाई करने के बाद निशा ने सोचा कि अब पूजा का सामान ले आती हूँ।हाथ में पर्स-थैला लिया और माँ को ‘ आती हूँ ‘ कहकर बाज़ार चली गई।खरीदारी के बाद जब वह घर लौट रही थी कि अचानक किसी ने आकर उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसे सुनसान गली में … Read more

 मैं तुम्हें तुम्हारा हक लौटना चाहता हूँ – संगीता अग्रवाल 

“बिंदिया  तुम यहाँ ” अचानक दीपेश  की आवाज़ सुन बिंदिया  रुक गई. ” हम्म् मैं यहाँ एक पार्लर चलाती हूँ, पर तुम यहाँ कैसे? “ ” मैं ऑफिस के काम से आया था.. पर तुम्हें यहाँ आने की क्या जरूरत पड़ी और पार्लर का काम कब सीखा? “ “जरूरत सब सिखा देती है दीपेश  खैर … Read more

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