“विश्वास  और वफादारी” – दीपा साहू “प्रकृति”

इंसान हैं भावनाएँ तो होती हैं।बिना भाव के इंसान ,इंसान कहां रह जाएगा? और किसी से लगाव होना स्वाभाविक प्रक्रिया ।स्वतः ही अपनापन जन्म ले ही लेता है।पर  इस अपनत्व के दायरे होने चाहिए या नहीं होने चाहिए ? कृति के शादी के बाद उसके पति कार्तिक के दोस्तों का आना-जाना लगा ही रहता ।वो … Read more

थोड़ा स्वार्थी होना भी जरुरी है – संगीता त्रिपाठी

 “माँ.. मेरा सिलेक्शन अमेरिका के एक अच्छे कॉलेज में हो गया”अंकुर चिल्लाते हुये मधुरा के गले लग बोला। बेटे का अच्छी जगह एडमिशन हो गया ये जान मधुरा भी खुश हो गई। “कितने साल की पढ़ाई है “मधुरा ने पूछा। “माँ, दो साल… फिर वहीं जॉब करना होगा “अंकुर ने कहा। “क्यों, जॉब क्यों करेगा … Read more

प्रायश्चित भरा स्वार्थ – बालेश्वर गुप्ता

   एक शोर सा उठा, कोई जोर से चिल्लाया अरे ये तो कोने वाले बंगले वाले अंकल हैं, पता नही इन्हें क्या हुआ—-?      काफी सारे लोग उस ओर दौड़ पड़े,देखा कि शंकर अंकल सड़क पर बेहोश पड़े थे।कॉलोनी में सब उन्हें अंकल ही कहते थे।एक नौकर के साथ 500 गज के बंगले में शंकर अकेले ही … Read more

“हाँ,मैं स्वार्थी होना चाहती हूँ” – ऋतु अग्रवाल

   “मम्मा मेरी यूनिफार्म प्रेस कर दो, मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है।”         “बेटा, मैं आपका और आरव का टिफिन पैक कर रही हूँ।आप खुद कर लो।”           “क्या मम्मा! आपने मेरी यूनीफॉर्म कल प्रेस क्यों नहीं की? आपको पता है ना कि मुझे कपड़े प्रेस करना नहीं आता।” युक्ता झल्लाते हुए बोली।         “तो सीख … Read more

वो बड़ी कोठी – गीतू महाजन

सारा घर शांत था… रात्रि का दूसरा पहर शुरु हो चुका था। सब सो रहे थे पर नीलिमा जी की आंखों से नींद कोसों दूर थी। अमूमन वह इस वक्त इस हवेलीनुमा घर में दो नौकरों के साथ ही रहती थी… पर आज उसके तीनों बच्चे आए हुए थे।पूरे घर में रौनक सी आ गई … Read more

इतनी स्वार्थी भी मत बनो – रश्मि प्रकाश

”ये कैसी गलती हो गई उससे … कह दो ये झूठ है…ना मैं मान ही नहीं सकता नरेन ऐसा कुछ कर सकता है….. मेरा छोटा भाई कभी ऐसाकर ही नहीं सकता है तुम लोग मुझे मेरे भाई के बारे में ऐसी बातें बता कर मुझे उसके ख़िलाफ़ भड़का रहे हो..!” कहते हुए नरेश बाबूअपनी आराम … Read more

स्वार्थ (एक और उर्मिला नहीं बनेगी) – मीनू झा 

कमी क्या है तुम्हें यहां…सुजाता…इतने प्यार करने वाले सास ससुर है…खाने कपड़े की भी कोई दिक्कत नहीं है,घर में हर सुख सुविधा की चीज है..मायका नजदीक है जब चाहती हो आती हो जाती हो, मैं भी हर हफ्ते आ ही जाता हूं तुमसे मिलने..फिर परेशानी है कहां मुझे तो समझ नहीं आता प्रणव जी… सबकुछ … Read more

स्वार्थी इंसान – संजय मृदुल

माधव जी सकते में पत्थर हुए बैठे हैं। कमरे का माहौल ऐसे शांत हो गया है जैसे अमावस की रात में खाली आसमान। दोपहर में पत्नी का क्रियाकर्म कर के वापस आये तब से घर मे गहमा गहमी मची हुई थी। शाम तक दूर के रिश्तेदार वापस जाने लगे थे। बचे हुए भाई बन्धु बैठ … Read more

*संग दिखाए रंग* – सरला मेहता 

” रानी डियर ! हमारा अमर लन्दन से आ रहा है, पढ़ाई पूरी करके। उसके स्वागत में कोई कसर बाकी ना रहे। “ मुंबई के नामी ड्रग माफिया शाह जी ने पत्नी को याद दिलाया। वे बहुत खुश है कि अंग्रेजी पढ़ा लिखा बेटा विदेश में भी पुश्तैनी कारोबार चमका देगा। मन ही मन लड्डू … Read more

अब से हम ना कुछ लेंगे–ना कुछ देंगे – कुमुद मोहन

मम्मी! मामी को कह देना मेरे लिए कोई ड्रेस वगैरह ना खरीदें। वैसे भी मेरी और उनकी च्वाईस बिल्कुल नहीं मिलती, वो पैसा भी खर्च करेंगी और मुझे पसंद भी नहीं आएगा ऐहसान ऊपर से होगा। देखा नहीं था पिछली बार उन्होंने निया दीदी का रखा हुआ टाॅप मुझे थमा दिया था यह कहकर कि … Read more

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