रिश्ता अपना सा लगे – अर्चना कोहली “अर्चि”

अनुष्का का आखिरी महीना चल रहा था। इसी कारण सौरभ बहुत चिंतित था, अकेले कैसे सँभालेगा! यद्यपि सौरभ ने अनुष्का की देखभाल के लिए सुबह 8 बजे से रात नौ बजे तक के लिए एक सेविका का भी इंतज़ाम कर दिया था। पर ऐसे समय में किसी अपने के साथ से मानसिक संबल मिल जाता … Read more

जूते या पैर – ऋतु गुप्ता

दस वर्ष का शुभम इस बार अपनी मां से अपने जन्मदिन पर महंगें स्पोर्ट्स शूज दिलाने की जिद कर रहा था। शुभम की मां पारुल उसे समझाती है कि बेटा जितनी चादर हो उतने ही पांव फैलाने चाहिए। वो शुभम से कहती है बेटा जब तुम्हारे पास अभी जूते हैं और वो भी सही हालत … Read more

पराये शहर में उनका मन नही लगता – सोनिया कुशवाहा 

यूँ तो तीन बेटे तीन मंजिला खूबसूरत घर, लेकिन रहने वाले सिर्फ दो बूढ़े | तकरीबन 70 वर्ष के शर्मा अंकल अपनी पत्नी के साथ बंगले में अकेले रहते हैं हैं, बहुएँ हैं, पोते पोतियों से भरा पूरा परिवार है लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर भी दोनों पति पत्नी तन्हाई में जीवन बिता रहे … Read more

 हमें तो बस बेटी व रोटी चाहिए – डॉ उर्मिला शर्मा 

ममता जी यहां आज चहल-पहल थी। उनके एकलौते बेटे सागर का 25वां जन्मदिन के साथ उनकी रेलवे में नियुक्ति की दोहरी खुशी का अवसर था। मित्र परिचित उसे इतनी छोटी उम्र में सफलता के लिए बधाईयां दे रहे थें। आज की बुराइयों से दूर सागर बड़ा ही होनहार एवं मधुर स्वभाव का लड़का था। ममता … Read more

ज़िंदगी : तेरी मेरी कहानी है – कुमुद मोहन  

रोज मार्निग वाॅक को जाते एक सुन्दर से घर की तरफ निगाहें बरबस उठ जातीं, पैर ठिठक जाते। बरामदे में दो केन की कुर्सियों पर एक बुजुर्ग पति पत्नी बैठे चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ते दिखते। कभी-कभी किसी बात पर दोनों की खिलखिलाती हंसी भी सुनाई दे जाती। लगता था अपनी दुनिया में … Read more

कन्यापूजन – पिंकी नारंग

   कल अष्टमी है कोमल सारी तैयारी हो गयी तुम्हारी? मार्किट जा रहा हु कुछ रह गया हो तो बता दो।अमित ने गाड़ी की चाबी लेते हुए कोमल से पूछा। हाँ सब हो गया।कोमल ने संक्षिप्त सा उत्तर देते हुए कहा। कन्या पूजन का क्या करोगी?मुझे नही लगता मिसेज़ ऑबराय अपनी बेटियों को भेजेंगी। कोमल ने … Read more

बड़े घराने की बहू – डाॅ संजु झा

हमारे पड़ोस में एक पांडेय परिवार रहते थे,उनसे हमारा आत्मीय सम्बन्ध था।उनकी पत्नी श्वेता हमारी दोस्त थी।पांडेय  परिवार  जितने ही संपन्न थे,उतने ही सभ्य भी।उनके दो बेटे थे-सुमित और सुन्दर। सुमित  देखने में साधारण  था,परन्तु पढ़ने में उतनी ही कुशाग्र बुद्धि का।उसे शिक्षा का महत्त्व पता था,इस कारण वह अपना ध्यान  पूरी तरह पढ़ाई-लिखाई में … Read more

पराया, जो अपना सा लगे। – पुष्पा पाण्डेय

माँ नहीं तो सारा रिश्ता पराया सा लगता है। यदि पिता दूसरी शादी कर ले तो भरे पूरे परिवार में भी शख्स अकेला ही पड़ जाता है।  मेरी माँ सात साल की उम्र में परिवार के हवाले कर चल बसी। चाचा- चाची, दादा-दादी,बुआ सभी थे,पर नहीं थी तो एक माँ। सहानुभूति तो मिलती थी पर … Read more

 माँ तुम मेरे बच्चों से दूर ही रहो  – प्रियंका सक्सेना

“पिंकी बेटा, सोने का समय हो गया है। दूध पीकर सीधे अपने रूम में जाना, सुबह स्कूल है।” रीना ने किचन में दूध छानते हुए अपनी छह वर्षीय बेटी से कहा| “आई मम्मा।” पिंकी कूदती फांदती आई और दूध पीकर दादी के रूम में चली गई। अंदर से पिंकी और उसकी दादी दमयंती जी के … Read more

भ्रम – विनय कुमार मिश्रा

“तुम अब हर पैकेट पर चार रुपये बढ़ा कर लिया करो दुकानदारों से” पत्नी और मैं दोनों मिलकर पापड़ बनाते और बहुत छोटे स्तर पर बेचते हैं। धंधा ज्यादा पुराना नहीं है। पर कुछ एक मोहल्ले में बिक्री बढ़ गई है। हम चालीस रुपये का पैकेट दुकानदार को देते हैं वे पचास में बेच देते … Read more

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