बरगद की चुड़ैल – सौम्या मिश्रा जौहरी
कोख़ में पाला था उसने और …रात दिन जागी भी थी….सब कहते पगली थी…! जब भी उस बरगद के तिराहे से निकलता था बस उसको गंदे और फटे कपड़ों में विशाल बरगद के नीचे बने मंदिर के बरामदे में पाया। मां के मुख से सुना था , पूजा करती औरतों से कहती थीं…”न जाने किस … Read more