दहेज़ मांगना गलत है तो दहेज़ के झूठे मुक़दमे करना क्या है ? – संगीता अग्रवाल

पुलिस को सुबह सुबह घर आया देख सुरजीत जी चौक गए.. ” जी इस्पेक्टर …? ” उन्होंने दरवाजे पर आ पूछा! ” मेहुल यहीं रहता है ” एक पुलिस वाले ने रौबदार आवाज़ मे पूछा. ” जी बिल्कुल.. बताइये क्या बात है.. मैं उसका पापा सुरजीत हूँ ” सुरजीत जी ने शालीनता से जवाब दिया … Read more

‘शरद् पूर्णिमा और चावल की खीर’- प्रियंका के रसोड़े से

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं।  पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि  शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता  है। इस दिन उत्तर भारत में चावल की खीर बनाकर रात … Read more

भरोसा मतलब की पूंछ पकड़ कर आता है… – यामिनी अभिजीत सोनवडेक

आज के वक्त में, कहाँ फुर्सत होती है लोगों को अपने रिश्ते निभाने की और बिना कारण किसी से मुलाकात करने की, फिर भी विजया गाहे बगाहे अपने ससुरालियों को किसी पूजा या फिर किसी कार्यक्रम के उपलक्ष्य में बुलाती रहती थी, जो उसकी सासु माँ को कतई पसंद नहीं था, लेकिन कहती भी कुछ … Read more

बहू का नामकरण – पुष्प ठाकुर 

  साध्वी जी के यहां शादी की खासी रौनक है,उनके इकलौते बेटे सुयश की शादी जो थी। आज बहू की मुं दिखाई और नामकरण का कार्यक्रम है ।मोहल्ले पड़ोस में नाई से बुलावा लगा दिया है और पहले से ही घर में कुछ रिश्तेदार भी रुके हुए हैं ।          ” बहू ,तुम तैयार हो जाओ … Read more

हमें तो बस आपकी बेटी चाहिए – मीनाक्षी सिंह 

रमेश जी – अरे भाई साहब ,दहेज की कौन कह रहा हैं ! हमें तो बस अपनी बेटी दे दिजिये !  भूषण जी – वो तो ठीक हैं समधी जी ,पर फिर भी आपकी कोई मांग हो तो बता दिजिये ! जैसे सब बातें साफ रहे ! कोई समस्या ना हो आगे !  रमेश जी … Read more

 एक स्त्री माँ बनने के बाद ही सम्पूर्ण होती हैं – संगीता त्रिपाठी 

लो बहन लड्डू खाओ, आज मेरे पुन्नू का जन्मदिन है। विमला जी  काँपते हाथों से वृद्धाआश्रम में लड्डू बाँट रही थी। उसके लाडले पुन्नू यानि पुनीत का जन्मदिन है। सब ने उसे बधाई दिया। किसीने पूछा भी -तुम्हारे बेटे ने ही तुमको यहाँ भेजा। मिलने भी नहीं आता कभी,फिर भी तुम उसका जन्मदिन याद रखी … Read more

“सुजाता”( स्वाभिमान और संघर्ष) – रचना कंडवाल : Moral Story In Hindi

सुजाता ने आज दस साल बाद दोबारा “बसेरा” में कदम रखा था। ये वही “बसेरा” था जहां कभी वह दुल्हन बन कर आई थी। ये कभी उसका घर हुआ करता था। उसके ससुर रिटायर्ड जज अविनाश शर्मा की कोठी उसके पति आइपीएस निशांत शर्मा का घर। घर में शोक पसरा हुआ था, मृत शरीर को … Read more

क्या बेटी सन्तान नहीं – सुल्ताना खातून

बेटियों के माता- पिता की समाज में  स्थिति क्या है? हमारा समाज  बेटों को ही वंश क्यों मानता है? जीवन भर बेटियों को नाजो से पालने वाले माता-पिता बेटियों कि पैदाइश पर बुझ क्यों जाते हैं?  इन सारे सवालों के जवाब हर वे माँ बाप चाहते हैं जिनकी केवल बेटियां हैं। मेरी भी दो बेटियां … Read more

इक दूजे के वास्ते – नीरजा नामदेव   

           आज विधु शरद पूर्णिमा के चांद को देखते हुए अपने बीते दिनों को याद कर रही है। सोमांशु जब उसे शादी के लिए देखने आए थे तब बात करते हुए विधु ने  पूछा था कि क्या मैं शादी के बाद नौकरी करना चाहूं तो कर सकती हूं ।तब सोमांशु ने उसे स्पष्ट बताया कि … Read more

 “छोटी सी बात” – नीरजा नामदेव

अतुल की शनिवार को छुट्टी रहती थी।इस शनिवार को विहान ने स्कूल जाते समय कहा” पापा आज स्कूल से आकर  हम दोनों कैरम खेलेंगे।” उसकी मम्मी अनीशा दोनों की बात सुन मुस्कुरा रही थी। वह मन ही मन सोचने लगी दोनों बाप बेटा कैरम खेलते सब भूल जाएंगे । मैं उनका मनपसंद नाश्ता बनाने की  … Read more

error: Content is protected !!