“सौतेली मां” – कुमुद मोहन

“अरे निशा तू?कैसी है,कहां थी इतने साल? बाज़ार में मिलकर पूछते हुए लीना ने निशा को कसकर पकड़कर लिया! और ये कौन?तेरी स्टेप माॅम हैं ना? “मुझे किसी ने बताया था अंकल ने दूसरी शादी कर ली है!” लीना और निशा बचपन से साथ साथ पली साथ पढ़ीं!दोनों कभी एक दूसरे के पड़ोसी हुआ करते … Read more

वजन – पिंकी नारंग

सुमित्रा के पाँव जमीं पर नही पड़ रहे थे,लग रहा था मानो शरीर के हर अंग से असंख्य पंख निकल निकल आए होऔर वो रुई जैसा हल्की हो कर बादलों में उड़ रही हो। आकाश को छूने जैसा अनुभव था,बिल्कुल पक्षियों जैसा।बंद आँखो से इस सपने को देखती तो भी ड़र जाती की कभी पूरा … Read more

अमूल्य उपहार” – उषा भारद्वाज

  वह हिमांशु और हिना को बड़ी तल्लीनता से पढ़ा रही थी। तभी खट  की आवाज से उसकी नजरें उठी ,रिचा के सामने हिमांशु की दादी एक ट्रे में चाय और प्लेट में पकोड़ियां लेकर आई थीं, और  सामने मेज पर रखते हुए बोली – बेटा पहले खा लो फिर पढ़ाना ।  रिचा  शालीनता पूर्वक बोली- … Read more

पल में तोला पल में माशा, – सुषमा यादव

  मैंने गुस्साते हुए बेटी रीना से कहा,,अभी तुरंत अपने फैमिली ग्रुप से अपना मैसेज डिलीट करो, कितनी बार मना किया, समझाया तुम्हें,कि अपने घर की बातें, अपने झगड़े अपने तक ही सीमित रखो,पर तुम्हें तो मेरी बात मानना ही नहीं,, तुम क्यों नहीं समझती हो कि तुम्हारा कोई साथ नहीं देगा,, वो उनका बेटा … Read more

नालायक बेटे के लिए,हमेशा बहु ही जिम्मेदार क्यों ….? – यामिनी अभिजीत सोनवडेक

अर्पिता,गुस्से में आज,दिल का गुबार निकाल रही थी,थक चुकी थी वो,इस अनचाहे भेदभाव और अनावश्यक ताने सुन सुनकर.. आपका बेटा नालायक है, तो मैं क्या करूं ? ये जिम्मेदारी और जवाबदारी मेरी नहीं है,सासु माँ… जब हमारी शादी,हुयी,तब आपका बेटा मयंक 30 साल का था,और मैं उसकी दुनिया में 30 साल के बाद आयी,तो उसकी … Read more

बदलाव – संजय मृदुल

मैं अरुण के सीने से लगी जोर जोर से रो रही थी, उनका हाथ मेरे सर पर था और वो मुझे चुप कराने की कोशिश कर रहे थे।   आज मैने जीवन मे रिश्तो की सम्बन्धो की लोगो की कद्र समझी। मैं रोते हुए बार बार उनसे माफी मांग रही थी। आज लग रहा था … Read more

समझौता – अभिलाषा कक्कड़

दौर आते जाते रहते हैं लेकिन यादें मीठी कड़वी छोड़ जाते हैं । जी हाँ मैं बात कर रही हूँ दौर दशक 80 और 90 के बीच का जब बहुत कुछ आज के समय से अलग था । बच्चों की शिक्षा से लेकर शादी ब्याह तक के फ़ैसले माता-पिता ही लेते थे , औ र … Read more

तैयारी – कंचन श्रीवास्तव 

कहते हैं शरीर साथ न दे तो छोटा सा छोटा काम भी भारी लगता है, ऐसे में कोई हाथ बटा दे।तो लाखों लाख दुआएं निकलती हैं। पर आज के समय में इसकी उम्मीद झूठी दिलासा दिलाने जैसा है। बस इसी बात को लेके सुलेखा परेशान हैं ,होना  लाजिमी भी  है। भाई दौर ही ऐसा चल … Read more

गुलाबी फ्राॅक – नीरजा कृष्णा

शालिनी  अपनी सहेली निशा  के बुटीक में  बड़े शौक से  तरह तरह की लेस वाली फ्रॉकों को देख रही थी।   सहेली पूछ बैठी, “ये लड़कियों की फ्रॉकों को इतने ध्यान से क्यों देख रही हो? तुम क्या करोगी…तुम्हारे तो दोनों बेटे ही हैं…बिटिया तो है नहीं” उसकी आँखों में पानी भर आया। उनको छुपाने … Read more

रिश्तों की नई परिभाषा – नीरजा कृष्णा 

मोहिनी की खुशी का ठिकाना ही नही था….अभी अभी अविनाश का मोबाइल पर फोन आया था…. “मोहिनी! बहुत बढ़िया खबर है…. इस मायानगरी मुंबई में कंपनी की तरफ़ से तीन कमरों का काफ़ी सुंदर और आरामदेह क्वार्टर मिल गया है… अब हम सबकी तपस्या पूरी हो गई… एक सप्ताह के अंदर ही मैं सबको लेने … Read more

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