शक करना पत्नियों का अधिकार है – मनप्रीत मखीजा 

“कितनी बार कहा है तुम्हें निशा, मेरे फोन कॉल रिसीव मत किया करो । कुछ इंटरनेशनल कॉल्स भी आते है तुम उनकी लैंग्वैज मे बात नही कर पाओगी। फिर वहाँ से ऑर्डर नही मिलते। ” इतने मे पुनीत का फोन बजा और पुनीत, “हैलो सर, हाऊ आर यू ” कहते.. फोन पर बात करते हुए … Read more

ओ री चिरैया, अँगना में फिर आजा रे – पल्लवी विनोद

आज पाखी की विदाई है। मनोहरलाल जी शादी की तैयारियों के बीच रह-रह कर एक नजर पाखी की तरफ देख रहे हैं जैसे वो इस पल को अपनी आँखों में बसा लेना चाहते हैं। चिड़िया की तरह घर आँगन में फुदकने वाली पाखी आज उन्हीं का आँगन छोड़ कर चली जायेगी। कैसे जिएंगे उसके बिना! … Read more

 लड़की हो तो बच्चा गिरवा दो – संगीता अग्रवाल 

“खुशी बेटा क्या सोच रही है यहाँ अकेले बैठी?” टीना अपनी 10 साल की बेटी से बोली। “कुछ नहीं मां ऐसे ही…..अच्छा मां ये बताओ लड़की होना बहुत बुरी बात होती है क्या? बच्चा गिराना क्या होता है?” खुशी ने सवाल किए। “बेटा तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो। ये सब बातें तुमने कहाँ सुनी।” … Read more

बहू भी तो बेटी है – रश्मि प्रकाश

“हैलो माँ हम लोग मथुरा जाने का सोच रहे है, तुम बोल रही थी ना तुम्हारा बहुत मन है मथुरा घूमने का तो तुम यहां आ जाओ फिर हम जाएंगे। तुम आओगी ना? टिकट करवा देती हूँ। बस तुम ये बता दो कब आओगी फिर हम जाने की तैयारी करेंगे।” राशि ने माँ से पूछा। … Read more

बहुत कर लिया बर्दाश्त  –  ज्योति आहूजा

आज सुधा अपनी जिंदगी का वह हिस्सा फिर से याद कर बैठी जिसमें  वह इतनी कमजोर और लाचार थी कि आज भी वह समा उसके जहन में कड़वी याद के रूप में उभर कर सामने अा गया। “बात उन दिनों की है जब सुधा जीवन के उस मोड़ पर थी जब वह ना तो बच्ची … Read more

एक भाई दूज ऐसी भी – उषा गुप्ता

“आई, दिवाली पांच दिन तक क्यों मनाते हैं ?”नन्हीं रूपा ने सोफ़े को झटकते हुए पूछा। “बेटा, इस समय पांच दिन तक हर रोज नया त्यौहार होता है ना इसलिए ।” माँ ने सोफे के कुशन बिछाते हुए कहा। “एक तो दिवाली और एक धनतेरस मुझे मालूम है ,और क्या आई ?” रूपा माँ का … Read more

इत्तफाक – विजया डालमिया 

पर फड़फड़ाते हैं अरमानों के अल्फाज बनकर उतर जाते हैं पन्नों पर कोई कहानी बनकर। वह एक गुनगुनाती, मुस्कुराती सुबह थी ।मैं कार से उतर कर अपनी धुन में आगे बढ़ रही थी। इतने में ही एक बाइक मेरे बगल से तेजी से निकली ।सड़क पर थोड़ा कीचड़ था जिसके छीटों ने मेरे कपड़ों को … Read more

तुम्हीं  मेरी बेटी तुम्हीं  बहन हो – पूनम अरोड़ा

शीनू शादी के बाद जब भी पिता से कहती कि “इस बार भाई दूज पर शायद न आ पाऊँ ” तो पिता की उल्लसित आवाज एकदम बुझ जाती, क्षीण हो जाती लेकिन फिर भी वो बार मनुहार करके इमोशनल ब्लैक मेल करते कि “तुम्हारे  भाईयों  को निराशा होगी उनका मस्तक सूना रह जाएगा  ,त्यौहार की … Read more

सर्वगुण संपन्न – रचना कंडवाल

कितनी बार कहा है ज्यादा मत बोला कर।ऐसे दांत निकालने का क्या मतलब है? ससुराल जाएगी तो बस हम सबकी नाक कटवा कर ही मानेगी ये लड़की।ये प्रवचन थे हमारी माता जी के हमारे लिए। हां हां ठीक है। नहीं ‌हंसते तुम कहो तो चौबीस घंटे रोते रहें ऐ लड़की! हम तो चुप रहते हैं। … Read more

स्वार्थी बेटा – माता प्रसाद दुबे Moral Stories in Hindi

दो दिन गांव में बिताने के बाद रवि वापस घर आ रहा था। उसे अपनी अम्मा की चिंता हो रही थी। जिसे वह ईश्वर की तरह पूजता था। जो दमा की बीमारी से पीड़ित थी। उसके बड़े भाई किशन भाभी सीमा व पांच साल का भतीजा अंकित उसकी अम्मा पुष्पा देवी के पास घर पर … Read more

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