मैडम, मेरे सौतेले बाप से मुझे डर लगता है – सुल्ताना  खातून 

उस व्यक्ति की उम्र कोई 40 साल के करीब रही होगी, वह पाँच साला छोटी बच्ची के साथ खेल रहा था, कभी वह बच्ची को गोद में बैठा लेता, कभी उसके गालों पर प्यार करता, कभी गोद में बैठा कर उसके सीने को सहलाता, सलोनी को यह सब देख उसका दिमाग फटने लगा। वह शहर … Read more

‘भागोंवाली अभागी!’ – प्रियंका सक्सेना

‘बड़े भागों वाली’ हां सब यही तो कहते हैैं, सुहासिनी भाभी को। बड़ी हवेली के जमींदार महाशय  के इकलौते बेटे लखनपाल की पत्नी सुहासिनी एक बराबर के समृद्ध परिवार की बेटी हैं। दस साल पहले विवाह उपरांत राजनगर आईं थीं। कुम्भलनगर के जमींदार की बेटी सुहासिनी बड़े लाड़-प्यार और नाजों से पली हैं। मैं, इमली … Read more

“ज़िंदगी दूसरा मौका जरूर देती है”  (कभी खुशी कभी ग़म है) – भावना ठाकर ‘भावु’ 

परिस्थितियों से हार कर अगर ज़िंदगी से विमुख हो गए तो ज़िंदगी जहन्नुम बन जाती है, मेरे साथ हुए हादसे से एक समय में टूट चुकी थी, पर हौसलों ने मेरा साथ दिया। जरूरी नहीं आपकी ज़िंदगी में आने वाला एक इंसान गलत निकला तो दूसरा कोई सही मिल ही नहीं सकता। प्यार भी दोबारा … Read more

न जुदा होंगे हम कभी खुशी कभी गम –  प्रीती सक्सेना

       विवाह संबंध ऐसा अनोखा बंधन है, जिसमें दो अनजाने, जो न कभी एक दूसरे से मिले, न एक दूसरे को जाने बगैर, बंधते चले जाते हैं, कभी अलग न होने के लिए!!   हम दोनों पति पत्नी, अपनी स्वतंत्र सोच, और विचार रखते हुए भी बिल्कुल एक से रहे, कारण   ” हम और हमारा … Read more

ख़्वाबों का स्वेटर: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

————- काहे री बबुनी गरमी में सुटेर (स्वेटर) बुन रहल हीं? अभी केक़रा पहनैभीं (गर्मी में किसको पहनाओगी)? गरमी में दम घुट कर मर जैतौ। नाँय मम्मा (दादी), अभी खतीर नाँय हौ (अभी के लिए नहीं है), ठंढवा में पहनथी ने (ठंढा में पहनेंगे न)। ठिके हौ बबुनी, कम से कम तोंय तो ध्यान दिहीं … Read more

कभी धूप तो कभी छांव,  -सुषमा यादव

, जीवन के सुख दुःख हैं दो ठांव, कभी धूप तो कभी छांव।।।। परिमल अपने घर का बहुत प्यारा दुलारा बेटा था। पढ़ने में बहुत तेज बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। हमेशा स्कूल में प्रथम आता,। तीन भाइयों में मंझला था, एक बड़ी बहन मीनू थी । मीनू की शादी हो गई थी,, बड़ा भाई … Read more

करवा चौथ –   संजय कुमार जैन पथिक

चार दिन की बारिश के बाद आज धूप खिली है।अक्टूबर के महीना, हल्की हल्की ठंड के बीच हल्की हल्की धूप कलेजे को ठंडक पहुचा रही थी। भाभी,चलो न मार्किट तक, वो टेलर के पास कपड़े पड़े हैं,लेकर आते हैं।मीना बोली तो सीमा का मन भी इस खुशगवार मौसम में घर से बाहर निकलने के लिए … Read more

 प्यारा सा करवाचौथ – गीता वाधवानी

विवाह के 5 वर्ष उपरांत भी नीलू और मोहित का आंगन शिशु की किलकारी के लिए तरस रहा था। मोहित बहुत ही समझदार और प्यारा इंसान था। आज नीलू ने करवा चौथ का व्रत रखा था और मन ही मन ईश्वर से पति की लंबी आयु की कामना करते हुए, संतान की कामना भी कर … Read more

 आस्था – मधु मिश्रा

“अनन्या बेटा, ग्यारह बजने को आये केतकी ने अभी तक  नाश्ता नहीं किया है,आज हम लोगों का न करवा चौथ का व्रत है… तो इस बेचारी को क्यों भूखा रखी हो … चलो तो थोड़ी देर के लिए तुम भी आराम कर लो और इसे भी कुछ खाने पीने को दो….. I”  ये कहते हुए … Read more

 ईमान – विनय कुमार मिश्रा

शॉप के कैश काउंटर पर ड्यूटी बदलने का वक़्त था। मैं पैसे मिला रहा था “क्या हुआ अंकित? परेशान क्यूँ है” “देख ना यार कुछ समझ नहीं आ रहा, आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ। लगभग पन्द्रह सौ रुपये कम हो रहे हैं” “ऐसे कैसे? ठीक से चेक कर! ये तो हम जैसों … Read more

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