पुरूष – विनय कुमार मिश्रा

“तुम्हारा नियुक्ति पत्र आया है कुसुम! तुम्हारा प्राइमरी स्कूल में चयन हो गया है “ मैं स्तब्ध थी मगर इन्हें विश्वास था।अपने चश्मे के पीछे अपनी खुशियों और संघर्ष को छुपाते हुए इन्होंने नियुक्ति पत्र मेरे हाथों में रख दिया। मेरी आंखों में भी दो बूंद खुशी के आ गए। मैं कोई ज्यादा पढ़ी लिखी … Read more

हाँ मेरी माँ अनपढ़ है, लेकिन… स्मिता सिंह चौहान 

“मैंने अपनी स्पीच अच्छे से याद कर ली है। रोहन आज जब स्टेज पर अवार्ड लेगा मुझे पता है मेरा नाम जरूर लेगा। क्या खुशी होगी? वो जब वो कहेगा कि मेरी इस जीत के हकदार मेरे पापा है जिन्होंने मुझे यहाँ तक पहुंचाने के लिए अपनी कमाई को बेहिचक खर्च कर दिया। ” सुरेश … Read more

बहु से बेटी बनने का दुख – सुषमा तिवारी

पानी सर से पार भी हो जाए तो शांत रहने की कला सिर्फ एक माँ, पत्नि, बेटी, बहू के रूप में कार्यरत स्त्री जानती है। मीना उठी तो आंखे हल्की सूजी थी, साफ दिख रहा था कि रात भर सोई नहीं ढंग से। काम बहुत था, अमित ने भी छुट्टी ली थी। आज मीना के … Read more

आधुनिक राक्षस – कमलेश राणा

आज मन बहुत उद्विग्न है, ऐसा लग रहा है जैसे दिल को किसी ने मुट्ठी में दबाकर निचोड़ दिया हो,, कोई इंसान इतना निकृष्ट कैसे हो सकता,, यह ख्याल दिल दिमाग से निकल ही नहीं रहा,, आज समझ पा रही हूँ जल से निकली मछली गरम रेत पर तड़पते हुए कैसा महसूस करती होगी,,  बहुत … Read more

पंछी को उड़ जाने दो – सुषमा यादव

कभी खुशी कभी ग़म,जनाब, जिंदगी भी है एक तरह का जंग। यही सिलसिला चलता रहता है हरदम। हमको भी कभी खुशियां मिली थी बेशुमार,।पर हमें भी लग गई जमाने की नजर। अचानक खुशियों के मंज़र बदल गये ग़म में। हम फिर से तन्हां हो गये इस सफ़र में। वो कहते हैं ना,हर रात की सुबह … Read more

संगीता – पुष्पा पाण्डेय

संगीता अपने जीवन के धूप-छाँव से गुजरते हुए राष्ट्रीय स्तर की लेखिका बन चुकी थी। जीवन के इस चौथे पड़ाव पर आये दिन देश भर से कवि-सम्मेलन के लिए अनुरोध पूर्ण आमंत्रण आता था। संगीता तो इसकी कल्पना कभी की ही नहीं होगी साथ ही रिश्तेदारों को तो अभी भी अपने कानों और आँखों पर … Read more

नास्तिक – पिंकी नारंग

 मीरा के पड़ोस मे नई आयी थी आराधना |पहली बार मीरा ने उसे देखा तो देखती रह गई गेहुँआ रंग, बड़ी बड़ी बोलती आँखे, जो किसी को भी आकर्षित कर ले |बहुत ही पोसिटिव वाइब्स आती थी उससे, तभी तो पति सुमित भी सारा दिन आराधना के आगे पीछे घूमते रहते थे |कुल मिलाकर परफेक्ट … Read more

जिंदगी है सुख-दुख की पुरवैया – अर्चना कोहली “अर्चि”

मैं एक पब्लिशिंग कंपनी में संपादक के पद पर काम करती थी। मेरा विवाह बहुत मुश्किलों से चालीस की उम्र पार करने के पश्चात हुआ था । मेरे विवाह के समय सास- ससुर की उम्र 75 से ऊपर होने के कारण सारी जिम्मेदारी मुझ पर और मेरे पति पर थी। इस कारण नई नवेली दुलहन … Read more

खुशियों के दिये – सुधा शर्मा

कितना खूबसूरत है चारों तरफ रोशनी का नजारा ।कमला ने  शिवनाथ जी को शाल उढाते हुए कहा ,” अन्दर चलो , ठंड होने लगी है ।” “थोडी देर बैठो यहीं , कितनी सुन्दर रोशनी करी है सब ने   ।परसों  दीवाली है , कल मै भी थोड़ी सी लाइट लगा लूँगा ।”       ” मन नहीं … Read more

जिंदगी की धूप छांव का गणित – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज सिया बहुत खुश थी आज उसकी बेटी महक विदेश से अपनी रिसर्च पूरी करके आ रही थी। वो उसके आने की खुशी में तरह-तरह के पकवान बना रही थी पूरे घर में फिरकी की तरह से दौड़ भाग कर रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि आज उसका सपना पूरा हो गया हो। … Read more

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