तुम्हारे बंधन में ही हमारी भलाई भी है और सुख भी…बहू!! – मीनू झा 

मम्मीजी पापाजी,रोहन और वंश…आज हमारे क्लब की जो मीटिंग थी उसमें हम सब सदस्यों  ने  मिलकर ये निर्णय लिया है कि आजादी का ये अमृत महोत्सव जो हम मना रहे हैं ये तभी सफल हो सकता है जब हम अपनी तरफ से सबको आजादी दें मतलब अपने लोगों को अपनों को क्योंकि हर शुरुआत घर … Read more

दिल में चुभती फांस – अर्चना नाकरा

शादी को अभी जुम्मा जुम्मा साल ही हुआ था इतनी  सुन्दर बहू.. राशि.. ! ऊपर से दीपावली पर मां ने ‘सितारों जड़ी साड़ी भेजी थी ‘ वो,बेहद खूबसूरत लग रही थी सास बार-बार  ‘उसकी नजरें उतार रही थी’ पति .. राघव,तो देख देखकर निहाल हो रहे थे दीयों की जगमग उसके चेहरे की खुशी के … Read more

आईने का सच – माता प्रसाद दुबे

“अरे ये क्या हुआ मेरा खूबसूरत आइना घर के बाहर कैसे पहुंच गया?” खिड़की से बाहर की ओर देखते हुए ममता बोली। उसका खूबसूरत आईना बाहर हवा में लटका हुआ नजर आ रहा था। वह जल्दी से घर के बाहर निकल आई। ममता आईने के करीब पहुंच कर ठिठक गई। आईने मे खुद का चेहरा … Read more

दीप शिखा – पुष्पा जोशी

आज दीपशिखा बंगले में चारों तरफ रोशनाई हो रही थी। दीपावली का त्यौहार था,पिछले बरस पूरा बंगला अंधकार में डूबा था,घर का चिराग दीपेश धनतेरस के दिन, आतिशबाजी से हुए एक हादसे में,इस संसार को छोड़कर चला गया था।पूरा परिवार शोक संतप्त था,और शिखा  के जीवन से तो जैसे सारे रंग ही रूठ गए थे।समय … Read more

रूपजीवनी – जयश्री बिरमी : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : दीक्षा छुटपन से ही बहुत चंचल थी,स्कूल ,कॉलेज में और दोस्तों के बीच बहुत ही पसंद की जाती थी।सुंदर तो थी ही उपर से थोड़ी स्मार्ट और पढ़ाई में लायक इन सब बातें उसका आत्म विश्वास को बनाएं रखती था।  पढ़ाई के साथ साथ उसने छोटे मोटे काफी क्लासेज कर … Read more

अगर अब हाथ उठाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं  – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : शालू -क्यूँ मार रहे हो मुझे ,,बच्चें देख रहे हैं ,,आखिर मेरी क्या गलती हैं जो रोज शाम को मुझ पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हो ! पत्नी हूँ तुम्हारी ! ये बच्चें ना होते तो कबका छोड़कर चली जाती तुझ जैसे घटिया इंसान को ! खबरदार अगर अब … Read more

मोगरे के फूल – रवीन्द्र कान्त त्यागी

किसी सीनेमाई प्रेमी प्रेमिका की तरह दरियाए लिद्दर को पार करके हम दोनों देवदार के घने जंगल में पहुँच गए हैं। एक छोटी सी जलधारा बर्फ के छोटे छोटे टुकड़ों को अपने साथ बहाती, पत्थरों से अठखेलियाँ करती हुई, अपनी बड़ी बहन लिद्दर में विलीन हो जाने को बेताब देवदार और चीड़ आच्छादित ढलानों से … Read more

सुबह का भूला – संजय मृदुल

फाइव स्टार होटल जैसा अस्पताल, भीड़-भाड़ के बीच अल्पना अकेली बैठी है बड़ी सी लॉबी में कॉफी शॉप की एक टेबल पर। कॉफी से उठता धुँवा अल्पना की आंखों में उतर आया है। पापाजी का ऑपरेशन चल रहा है, तीन दिन पहले सुबह-सुबह सीने में दर्द उठा। अल्पना ने जैसे तैसे व्यवस्था कर अस्पताल में … Read more

मिट्टी का टीवी,,,,, – मंजू तिवारी

बात लगभग 30 साल पुरानी है। जब प्रीति कक्षा 5 में पढ़ती थी,, उस समय कक्षा में 5 बोर्ड परीक्षा हुआ करता थी  उस समय परीक्षा में लिखित परीक्षा के साथ-साथ आर्ट एंड क्राफ्ट भी हुआ करता था जिसमें सभी बच्चे मिट्टी के खिलौने बनाया करते थे,,,, कोई तरबूज बनाता कोई खरबूजा बनाता ज्यादातर बच्चे … Read more

आखिर क्यों.. – रीटा मक्कड़

कितने खुश थे आज घर में सब.. बिटिया के लिए इतने अच्छे घर से रिश्ता जो आया था। लेकिन बिटिया नीरजा अभी भी उस रिश्ते के लिए हामी नही भर रही थी। उसको लगता था कि लोग क्या कहेंगे  क्योंकि लड़के वालों का घर उनके घर से थोड़ी ही दूरी पर था। राजीव एक निहायत … Read more

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