बहू भी अब हमारे परिवार का अहम हिस्सा है – ज्योति आहूजा

गौरव और नलिनी दोनों की अरेंज मैरिज थी। गौरव एक इंजीनियर था। पढ़ा लिखा स्मार्ट और गुड लुकिंग था। उसके अपनी शादी को लेकर कुछ अरमान थे। उसे भी अपनी तरह पढ़ी लिखी लड़की चाहिए थी। जो देखने में भी अच्छी हो और सुंदर भी हो। पर गौरव के पिताजी भानु लाल अपने दोस्त घनश्याम … Read more

 मिल गई मंज़िल…” – डॉ. सुनील शर्मा

बारहवीं का रिजल्ट आ गया. रोहित सिर्फ 64 प्रतिशत अंक पाकर जैसे टूट सा गया. वह चिकित्सा शास्त्र में दाखिला पाने के लिए जी जान से पढ़ाई कर रहा था . कोचिंग भी कर रहा था, लेकिन यह बारहवीं का रिजल्ट. किसी को क्या मुंह दिखाऊंगा… रुआंसा सा सर पकड़ कर बैठ गया. घर जाने … Read more

वह आई थी… ” – डॉ. सुनील शर्मा

पर्वतीय क्षेत्र में सुरम्य पहाड़ियों के बीच एक छोटे से अस्पताल में मेरी पहली नौकरी लगी. दो रैजिडेंट डॉक्टर और तीन विदेशी नर्सों के अलावा आर्मी से रिटायर्ड ब्रिगेडियर साहब इस सुदूर क्षेत्र के गांववासियों तक चिकित्सा सुविधा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध थे. विभिन्न विशेषज्ञ भी शहर से आकर अपनी सेवाएं प्रदान करते थे. चिकित्सालय … Read more

 कटपुतली – कमल राठौर

  सरिता किचन में अपने पति के लिए लंच तैयार कर रही थी।  बच्चे अभी अभी स्कूल गए थे।  बच्चों के लंच से  फ्री होकर पति का लंच बड़े प्यार से बनाने में बिजी थी।  इतने में संतोष की आवाज आई ” सरिता मेरी घड़ी कहां है ”  ?  किचन में से ही सरिता बोली … Read more

त्यौहार तो बहाना है परिवार की एकता बनाना है – सरगम भट्ट 

इस दिवाली पर रीता ने कुछ अलग ही करने को सोच रखा था , उसने पूरे परिवार को एक करने की कसम जो खा रखी है । पूरे परिवार के नफरत को खत्म करके , सबको प्यार से एक साथ देखना चाहती है । यह उसके लिए एक सपना ही था । हुआ यह था … Read more

“कोमल निष्ठुर”  – ऋतु अग्रवाल 

  “बहुत गुस्सा आता है मुझे अंकुश पर। जब देखो चेहरे पर गंभीरता का आवरण ओढ़े रहते हैं। ना कोई हँसी मजाक, ना प्रेम प्रदर्शन, ना कोई मनुहार। बस सुबह से रात तक एक निश्चित दिनचर्या। नहीं! नहीं! ऐसा नहीं कि वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करते या मेरी आवश्यकताओं का ख्याल नहीं रखते। असल … Read more

दादी की सीख –  मधु शुक्ला

अनुपमा की आदत थी। जब उसकी कोई फरमाइश माँ नहीं सुनतीं थीं। तो वह दादी से सिफारिश करवाती थी। तीन भाइयों मे सबसे छोटी थी वह, और कुटुम्ब की इकलौती लाड़ली बिटिया थी। उसकी माँ को लगता था। सबसे ज्यादा लाड़ दुलार मिलने के कारण अनुपमा जिद्दी हो रही है। और मनमानी करने लगी है।जो … Read more

सही अर्थ – शालिनी गुप्ता

” पापा, मुझे अपनी बोर्ड की परीक्षा के बाद आगे पढ़ने के लिए विदेश जाना है”, नकुल अपने पापा शिव नारायण से बोला। ” पर बेटा, अपने देश में कितने अच्छे व प्रतिष्ठित संस्थान है जहां से तुम आगे की पढ़ाई अच्छे से कर सकते हो”, शिवनारायण अपने बेटे को समझाते हुए बोले। ” मुझे … Read more

रंगीन पेंसिलें – नताशा हर्ष गुरनानी

बेटे की शादी होने वाली है घर में ढेरों काम अभी बचे हैं पर मन मे इतनी खुशी है की समाएँ नहीं जाती। रोज रात में बैठकर समान लिखना, काम लिखना फिर दूसरे दिन वो काम निपटाना। मुझे रंगो से बहुत प्यार हैं, बहुत ज्यादा इसलिए मै ये सारे काम अपनी रंगीन पेंसिलो से लिखती … Read more

आखिर कब तक? – शालिनी गुप्ता

” सर आपसे रमेश जी मिलने आए हैं”, मेरे चपरासी विनोद ने आकर जब यह मुझसे कहा तब अजीब सा मन हो गया था मेरा लेकिन महज औपचारिकता के कारण मुझे उनसे मिलने बाहर आना पड़ा। ” बेटा, आप मुझे यहां देख कर अवश्य ही असमंजस में पड़ गए होंगे लेकिन क्या करूं? जब सुशीला … Read more

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