बीस लाख की गाड़ी – माता प्रसाद दुबे

सुबह के नौ बज रहे थे। रवि आफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। “अरे रवि बेटा कल रविवार है..कल तुम्हारी मौसी आ रही है.. उनके साथ कुछ मेहमान भी आ रहे है.. आफिस से लौटते समय तुम ये सामान लेते आना भूलना नही”रवि की मां विद्यावती रवि को निर्देश देते हुए बोली।”ठीक है … Read more

ज़िद – आभा अदीब राज़दान

“ उदास हो, रक्षा बंधन जो आने वाला है । यही तुम्हारी उदासी का कारण भी है लेकिन तुम अपनी ज़िद कभी न छोड़ना । “ राघव बोले । नीति चुप ही रही । “ छोटी सी बात पर तुमने भैया भाभी से संबंध तोड़ लिया । बड़े भाई हैं कुछ कह भी दिया था … Read more

चुटकी भर सिंदूर – डा उर्मिला सिन्हा

     आम के पत्तों का बंदनवार, झालरें, रंग बिरंगी रोशनी… शादी का मण्डप, सादगी और सुरूचिपूर्ण। कोई ताम-झाम नहीं। बिल्कुल परम्परागत और उच्च कोटि की व्यवस्था।       गर्मी का दिन। शादी विवाह का मौसम।बराती,सराती दोनों पक्षों के निमंत्रित अतिथि विवाह मण्डप के दोनों ओर कुर्सियों पर विराजमान हैं। खूबसूरत,लकदक परिधानों, सुरूचिपूर्ण रूप सज्जा देखते ही बन … Read more

दबंग – पिंकी नारंग 

मैडम इस स्टाइल का एक ही सूट है दुकान पर और ये वो सामने वाली मैडम खरीद चुकी है |दुकानदार मेरी तरफ इशारा करके किसी को बोल रहा था | मै मन ही मन अपनी पसंद पर इतरा रही थी |ठीक है भइया अगर दुबारा स्टाक मे ऐसा सूट अाए तो मेरे लिए रख देना, … Read more

*जहाँ चाह, वहाँ राह* – सरला मेहता

” माँ ! तुम क्यों चली गई, हम सबको छोड़कर। दादी भी थक जाती है, दादू की सेवा टहल करते। पापा हम सबके ख़ातिर नई  बिंदु माँ ले आए हैं। पर उन्हें अपनी बेटी कुहू से ही फ़ुर्सत नहीं। तुम्हीं बताओं मैं क्या करूँ ? ” यूँ ही माँ से अपना दुखड़ा सुनाते कुणाल सो … Read more

पिया का घर – नीरजा कृष्णा

मयूरी आज सुबह से बेहद उदास थी।वो बस औंधी पड़ी पिछली बातें सोचे जा रही थी।  उस छोटे से घर में या उस ढाई कमरे के घर में किसी से कोई बात छिप ही नहीं पाती थी। ममतामयी सास और स्नेही जेठानी रूपा उसकी उदासी महसूस करती ही थीं। उस दिन जब वह चाय पीने … Read more

मेरे अपने… –  प्रीता जैन

वही रोज़ का बुदबुदाना जारी था मिताली का, सुबह से ही घर के बिखरे काम देख झुंझलाने लगती धीरे-धीरे काम फिर क्रमबद्ध होते ही जाते किन्तु कुछ अधिक सफाई प्रिय होने की वजह से सब अस्त-व्यस्त देख परेशान ज़रूर हो जाती| हालाँकि रोज़ की ही बात है जानती-समझती है फिर भी लगातार काम निपटाने में … Read more

परदेश – संगीता  अग्रवाल

” मां मुझे कॉलेज से वजीफा मिल गया अब मेरे सपने पूरे होंगे और मैं विदेश जाऊंगा पढ़ने के लिए। ” बाइस वर्षीय वंश कॉलेज से आ चहकता हुआ बोला। ” क्या …मतलब तू विदेश चला जायेगा ?” साधना इकलौते बेटे के दूर जाने के ख्याल से तड़प कर बोली। ” मां बस दो साल … Read more

“परिवार” – ऋतु अग्रवाल 

 “संपदा, जल्दी करो भाई! कितनी देर लगाती हो तैयार होने में? तुम्हारे चक्कर में हर बार देर हो जाती है।” पुलकित बाहर से आवाज लगा रहा था।       “आई! बस दो मिनट।” संपदा ने प्रत्युत्तर दिया।       “इसके  दो मिनट पता नहीं कब पूरे होंगे?” पुलकित बड़बड़ाने लगा।     “चलो” संपदा बाहर निकल आई।    पुलकित बस ठगा सा … Read more

बहू भी परिवार का हिस्सा है – अर्चना कोहली “अर्चि”

“साढ़े सात बज गए हैं, अभी तक आपकी लाडली बहू का पता नहीं। रोज़ तो छह, साढ़े छह बजे तक आ जाती है”। राधिका ने बड़बड़ाते हुए अपने पति शेखर से कहा। “अरे भाग्यवान। आ जाएगी। आज सुबह भावना ने कहा तो था, आज आने में देरी हो जाएगी। तुम तो जरा-जरा सी बात पर … Read more

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