गाँव – विनय कुमार मिश्रा

रामेश्वर काका का लड़का जब दसवीं में पास हुआ था, तो बाउजी पूरे गाँव को उसका रिजल्ट बताते थे। मोहन और मैं जब परीक्षा देने जाते तो रामेश्वर काका हमारे साथ जाते। सुगनी अम्मा किसी और के बच्चे को निवाला खिलाती, तो सुगनी अम्मा की बिटिया हाट बाजार में चंपा बुआ के साथ जाती। किसी … Read more

जब जागो तभी सबेरा – कमलेश राणा

जब जीवन में नैराश्य का घोर अंधकार छाया हो, जीवन नैया झंझावातों के भंवर में हिचकोले खा रही हो, दूर दूर तक किनारा नज़र न आ रहा हो तब रोशनी की नन्हीं सी किरण भी उम्मीद जगा जाती है, जीने की, आगे बढ़ने की।  नवीन के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। वह … Read more

मेरा परिवार – माता प्रसाद दुबे

विकास! तुम हमेशा देर से आते हो.तुम्हें यह ख्याल ही नहीं रहता..कि कोई तुम्हारा इंतजार कर रहा है?”गीता विकास को देखकर शिकायत करते हुए बोली। गीता! तुम्हारी बात जायज है..मगर क्या करूं आफिस से लौटकर मैं जल्दी घर जाता हूं..मम्मी मेरी राह तकती रहती है..जब तक मैं घर नहीं पहुंच जाता मम्मी परेशान होती है?”विकास … Read more

” उम्र खुशियों की मोहताज़ नहीं होती ” – कुमुद मोहन 

काॅल बेल बजी, देखा एक 10-12साल का लड़का कैरी बैग लिए खड़ा था,” क्या काम है ” सीमा ने पूछा, वो कोने वाली कोठी से आंटी ने भेजा है,खोला तो देखा थोड़ा सा ताजा पालक,मेथी,टमाटर, हरी धनिया और,एक टुकड़ा कद्दू, करौंदे,नींबू ?इतनी ताज़ी सब्जियां देख कर उसे मज़ा आ गया।         सीमा और अतुल कालोनी … Read more

 ग़ैरों में अपना सा प्यार – रश्मि प्रकाश 

सरला ताई अकेली बड़े से घर में रहती थी। पति बहुत पहले ही गुजर गये थे एक बेटा था वो विदेश में रहता था। अपने घर और जगह से इतना लगाव था कि वो लाख बोलने के बाद भी बेटे बहू के साथ रहने नहीं जाती हर बार यह कहती जब तक हाथ पैर चल … Read more

पतिदेव, मैं आपमें और नौकरी में से तो नौकरी को ही चुनूगीं। – सुल्ताना खातून 

“मैंने कह दिया चित्रा अब तुम रिजाइन कर रही हो, मैं तुमसे अब नौकरी नहीं कराने वाला” – अभय ने हाथ उठाकर चित्रा को कुछ और बोलने से मना कर दिया। “लेकिन अभय तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो, मैं नौकरी शादी से पहले से कर रही हूं, शादी को 2 साल बीत … Read more

आइसक्रीम – अंकित चहल ‘विशेष’

कल इतवार था । इतवार को हमारे यहाँ साप्ताहिक बाज़ार लगता है । सब्जी से लेकर लगभग सभी घरेलू सामान, बाज़ार में आसानी से मिल जाता है । आसपास के लोग भी इसी बाज़ार में ख़रीदारी करने आते हैं ।           मैं भी हर हफ्ते की भाँति सब्जी, दालें और कुछ सामान लेकर आ रहा था … Read more

मैं नौकरी करने लगी हूँ – संगीता अग्रवाल

 “ये क्या है रोहन तुम्हारा जब मन करता घर आते हो वरना दोस्तों साथ निकल जाते, मैं तुमसे पैसे माँगू तो है नही वैसे कितने ही उड़ाते.. मेरी और बच्चों की भी जरूरतें है.” राशि ने रोहन से कहा! ” क्यों क्या कमी रखता हूँ मैं तुम्हें और बच्चों को, खाना पीना, कपड़े लत्ते सब … Read more

उतरन….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

रधिया खुश थी कि इसबार…दिवाली पर मुन्निया को वह नए कपड़ो में मेला घुमाने ले जाएगी…. कितनी अच्छी थी बीवी जी कितना खयाल रखा करती थी वह…रधिया को भी बिल्कुल नयी साड़ी दिया था उन्होंने….. कपड़े देते वक्त सुमन जी कह रही थी…देख लक्ष्मी पर यह फ्रॉक कितनी सुंदर लगेगी…बिल्कुल गुड़िया लगेगी…और यह लाल साड़ी … Read more

ऐसे क्या कोई अपनी भाभी को परेशान करता है –   नीतिका गुप्ता 

क्या बहू; तुम्हें हर समय मायके जाने की पड़ी रहती है, अभी कुछ महीने पहले ही तो तुम अपनी बुआ की बेटी की शादी में अपने सब मायके वालों से मिलकर आई हो… अब क्या करना है वहां जाकर..?? वैसे भी तुम्हारे मायके वालों के पास कोई खजाना तो है नहीं जो तुम्हें बार-बार निकाल … Read more

error: Content is protected !!