शुभंकरी – दीप्ति सिंह

विवाह के छह वर्ष पश्चात आधुनिक चिकित्सा पद्धति से निराश हो कर मुक्ता और राघव ने अनाथाश्रम से आठ माह की बच्ची गोद ली।  बच्ची के नाक नक्श तो तीखे थे परंतु वर्ण सांवला , स्वास्थ्य में भी दौर्बल्यता थी। आज बच्ची का नामकरण है।  ” मुक्ता! लेना था तो कोई गोरी चिट्टी सी बच्ची … Read more

“पापा! – विनय कुमार मिश्रा

 दूसरी नयी साइकिल दिला दो ना” मैं समझ सकता हूँ। साइकिल थोड़ी पुरानी हो गई है। इसी से स्कूल और ट्यूशन जाता है। बेटा बोल रहा था बार बार चेन उतर जाता है इसका।पर अभी नई दिला पाना थोड़ा मुश्किल है। बेटे को लेकर साइकिल दुकान उसे ठीक कराने गया। साइकिल दे हम वहीं बैठे … Read more

सार्थक बुढ़ापा –     डॉ अंजना गर्ग

शांति पति की मृत्यु के बाद बेटे बहू के साथ महानगर में आ गई। जीवन एकदम बदल गया था। पति का साथ तो छूटा ही,साथ ही 40 साल की जमी जमाई गृहस्थी और घर भी छूट गया। साथ ही छूट गया अड़ोस पड़ोस और सहेलियां भी जो  हर दुख सुख में साथ रहती थी। यहां … Read more

सही फैसला –  डॉ अंजना गर्ग

इंदु और बिंदु गांव से रोज शहर पढ़ने आती थी दोनों ही निम्न मध्यम परिवार से थी। परंतु घरवाले किसी भी तरीके से उनको शहर मे पढ़ा रहे थे ।कॉलेज से एक ट्रिप नैनीताल जा रहा था इंदु और बिंदु भी उसमें जाना चाहती थी परंतु दोनों के माता पिता ने कहा कि कॉलेज तक … Read more

हृदयेश्वरी: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

तुम जाओगे न तब मुझे बहुत अखरेगा, बहुत ख़ालीपन महसूस करूँगी। लेकिन तुम जाओ, तुमने बहुत दिन से इस दिन का इंतज़ार किया है। योगेश के जाने से एक दिन पहले दोनों बात कर रहे थे। दोनों कोसों दूर हैं एक दूसरे से पर हर दिन दो-चार बार बात हो ही जाती है। प्रेम का … Read more

वज्रपात ! – रमेश चंद्र शर्मा

पढ़ाई में अव्वल रजनी ने माता पिता के विरोध के बावजूद कमलेश प्रेम विवाह किया। कमलेश के पिता शहर के जाने-माने नेता । अच्छी खासी धन दौलत ।समाज में रुतबा । शादी के कुछ महीनों तक ठीक-ठाक चलता रहा । देर रात कमलेश नशे में धुत होकर रजनी से बहस करने लगा । कमलेश ” … Read more

शक्ति का रूप – मंजू तिवारी

मैं नवरात्रि में श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करती हूं तो मेरे मन में पाठ में जो भी वर्णन है। उसके चित्र से उभरते  हैं। किस प्रकार माता रानी ने राक्षसों का वध किया। पृथ्वी को राक्षसों से बचाया ।अनेक राक्षसों का वध ब्रह्मा विष्णु महेश तथा देवता भी करने में असमर्थ थे ।उन राक्षसों … Read more

दो मीठे बोल! – प्रियंका सक्सेना

“मामू, बहुत दिनों बाद चक्कर लगा यहां का?” फेरी वाले अनवर की आवाज़ सुनकर लपककर घर से बाहर आई गुंजन “हां, बिटिया। अपने गाॅ॑व गए रहे हम, इस बार ज्यादा वक्त लग गया।” फेरी वाले अनवर  ने अपनी पेशानी पर झलकते पसीने को गमछे से पोंछने हुए कहा उसे फिक्र नहीं थी कि किस्मत की … Read more

लोगो के घर जितने बड़े हो गए है दिल उतने ही छोटे हो गए हैं !! – स्वाती जैन

जाने क्या था उन आँखों में , गहरे शांत समुद्र सी आँखें थीं ! जब भी सोसायटी के कंपाउंड में उनको देखती लगता जैसे कुछ कहना चाहती हो वह मुझसे !! मैं शिप्रा अभी कुछ हफ्तों पहले ही हम शिफ्ट हुए हैं इस सोसायटी में , मेरे पति आलोक सुबह रोज दफ्तर चले जाते हैं … Read more

सिर्फ पत्नी हो गृहस्वामिनी नहीं – रश्मि प्रकाश

“ कितनी बार कहा है तुमसे इस घर के मामलों से दूर ही रहो… जब देखो तब अपनी नाक हमारे मामलों में घुसेड़ती रहती हो… अपना दिमाग़ मत चलाया करो…. बेकार का झमेला करना कोई तुमसे सीखें..।” ग़ुस्से में नितिन प्रिया  पर चिल्ला रहा था … ऐसे शब्द सुनकर नंदनी का खून खौल गया…जो आज … Read more

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