राहजन – रवीन्द्र कान्त त्यागी

एक गाँव था। छोटा सा प्यारा सा। बैलों के गले में बजती घंटियाँ और हरवाहे की हुर्र हुर्र की ध्वनि से अरुणिम अंगड़ाई लेता गाँव। दिल के ऊपर कुर्ते की जेब से विपन्न और कुर्ते की जेब के नीचे, दिल से सम्पन्न गाँव। फटी कमीज के दोनों कौने पकड़कर काले रंग की तगड़ी में बंधे … Read more

प्रेम फिर जीत गया-विजया डालमिया

जिंदगी बहुत खूबसूरत होती है। हर पल आप जो सोचते हो, जो करते हो और जो भावना रखते हो वह निश्चित ही पूरी होती है, बस हमें  धैर्य, ईमानदारी और निष्ठा कभी नहीं छोड़नी चाहिए।यह बात आज राज समझ गया था अचानक जब उसने रागिनी को एक घर के बाहर देखा। पहले तो वह सकपकाया। … Read more

कौन अपना कौन पराया” – ऋतु अग्रवाल

    राजीव और दिव्या दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे पर दोनों के परिवार वाले इसके सख्त खिलाफ थे क्योंकि राजीव पंजाबी था और दिव्या मारवाड़ी। परिवार वाले इस अंतर्जातीय विवाह के सख्त खिलाफ थे। दिव्या और राजीव ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की पर … Read more

अतीत की जुगाली ! – रमेश चंद्र शर्मा

शादी के महज तीन साल बाद अनीता के शराबी पति रोड़ एक्सीडेंट में चल बसे । पढ़ी-लिखी वैधव्य की शिकार अनीता ने प्राइवेट कंपनी ज्वाइन कर ली। कंपनी में नए बॉस रवि  पोस्टिंग पर आ गए। पूरा स्टाफ गुलदस्ते देकर स्वागत करने लगा । अनीता उदास एक तरफ खड़ी रही। रवि “अनीता,तुम यहां! बहुत सालों … Read more

एक अकेला – आभा अदीब राज़दान

नंदा और मैं हम दोनों ही कितने अलग थे हमारी कोई एक बात भी तो नहीं मिलती थी, बिलकुल पूरब और पश्चिम । आनंद जी को सारी बातें अब एक एक कर के याद आती जा रही थीं । ” मैन फ़्रोम मार्स वुमन फ़्रोम वीनस, मजाल है जो कभी भी हमारी राय मिल जाए … Read more

पराए अपने – गीता वाधवानी

आज सृष्टि लगभग साढ़े 5 साल बाद अपनी डॉक्टर बनने की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोटा से दिल्ली लौटी थी। यूं तो वह अक्सर छुट्टियों में आती थी लेकिन इस बार बहुत लंबे समय बाद हमेशा के लिए घर वापस आ गई थी।         हर बार पढ़ाई के तनाव के कारण घूमना फिरना नहीं हो … Read more

‘ अपनों ने ठोकर मारी तो गैरों ने गले लगाया ‘ – विभा गुप्ता 

 मंच पर संचालक महोदय ने जब पचहत्तर वर्षीय देवकीनन्दन मिश्रा जी का नाम पुकारा तो पूरा हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।उन्हें ‘बेस्ट टीचर ऑफ़ द इयर ‘ के सम्मान से नवाज़ा जा रहा था।           ये सम्मान उन्हें लम्बे समय तक शिक्षण कार्य करते रहने के लिए नहीं बल्कि सेवानिवृत्त होने के पश्चात दस … Read more

अपना वही जो सही राह दिखाए –  राशि रस्तोगी 

“मुझे कोई पसंद नहीं करता ना घर में ना स्कूल में काली आयी काली आयी ये सुनकर मेरा मन भर आता है” रोते हुए शैलजा ने अपनी स्कूल की टीचर शशि जी से कहा। आइये पढ़ते है शैलजा की कहानी। शैलजा,13 साल की स्कूल में पढ़ने वाली लड़की है। उसका जन्म एक मध्यम वर्ग के … Read more

खाली गिलास -कहानी-देवेंद्र कुमार

सवेरे का समय था, बलवान चाय वाले की दूकान पर काफी भीड़ थी रोज की तरह। वहीँ काम करता था रमुआ। उसका काम था जूठे गिलास धोना, टेबल पर कपडा मारते रहना और आस पास की दुकानों में चाय दे कर आना। उसका कोई नहीं था इसलिये बलवान को ही बापू कहता था। वैसे बलवान … Read more

अपने -पराये की परिभाषा – संगीता त्रिपाठी

   “जिंदगी के मेले में             कौन अपना और कौन पराया             जिसने जाना, वो सिकंदर कहलाया “     वो फकीर तो तन्मय हो गाता चला जा रहा था, पर मेरे दिल में अनेक प्रश्न उभर आये। सच है कौन अपना और कौन पराया, जीवन भर हम इसी में उलझें रहते। खून के रिश्ते ही अपने होते है, … Read more

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