*मिलना याद रखना* – *नम्रता सरन “सोना”*
अक्षर अक्षर तुमको पढना… कितना तसल्ली देता है, जितना समझती जाती हूँ तुमको उतनी ही अबूझ पहेली तुम… मेघ सदृश बरसते हो बूंद बूंद समा जाते हो रूह मे… . थाम लेते हो क्षण में जीवन सागर का झंझावात, बाजू मेरे थामें नही पर महसूस होते हो तुम ही इर्द गिर्द…. कितने मौसम बीते तुम्हें … Read more