नेक शुरुआत… –   प्रीता जैन

डॉक्टर मेघा का ध्यान रह रहकर मेज पर रखी उस सोने की चेन पर जा रहा था जो थोड़ी देर पहले मिसेज जिन्दल पोता होने की खुशी में देकर गई थीं| सब कुछ इतना जल्दबाज़ी व अप्रत्याशित ढंग से हुआ कि मेघा समझ ही ना पाई क्या देकर जा रही हैं और ऐसा क्यों कर … Read more

यात्रा-पथ – नरेश वर्मा

कर्नाटक एक्सप्रेस एक ही लय-ताल से भाग रही थी ।सामने फैले हुए मैदान, वृक्ष, ताल-तलैया सब भाग रहे थे ।खिड़की के पास बैठा वह ,इस भागते दृश्य को निर्लिप्त भाव से देख रहा था ।कहीं कुछ नहीं भाग रहा ,यह दृष्टि-भ्रम मात्र है ।यदि कोई भाग रहा है तो वह स्वयं ।क्यों भाग रहा है … Read more

 पराए हुए अपने – बेला पुनीवाला

 मैं आज सुबह से अपनी आरामदायक कुर्सी पे बैठ के कुछ सोच रहा था। तभी सतीश ने आकर पूछा, ” क्या हुआ पापा ? आज आप ऐसे चुप-चुप क्यों हो ? आपकी तबियत तो ठीक है ना ? डॉक्टर के पास चले क्या ? ” मैंने  कुछ देर सोचने के बाद हिम्मत कर के सतीश … Read more

कौन कहता है, पुरुष ह्रदय कठोर होते हैं? – अनीता चेची

रमा की अभी नई-नई शादी हुई है ।उसे परिवार में इतना प्यार मिला कि, वह अपने मायके को भी भूल गई। जब पहली बार उसने रसोई में खाना बनाया ,उस खाने को खाकर उसके ससुर बोले, रमा तो बिल्कुल मेरी मां जैसा खाना बनाती है’ यह सुनकर उसे बहुत अच्छा लगा। रमा के पिताजी सख्त … Read more

बेरंग – पिंकी नारंग

 माँ को गुलाबी रंग की जरी के काम वाली साड़ी को निहारता हुए देख रोहन माँ से साड़ी लेने की जिद करने लगा | माँ आप भी ले ले ना एक साड़ी, मेरी बारात मे पहनने के लिए |मै मै क्या करुँगी? अनु ने अपनी नज़रे गुलाबी साड़ी से चुराते हुए कहा |मेरे पास इतने … Read more

“स्वाभिमान ” – अनुज सारस्वत 

“थैले ले लो थैले हाथ से बने थैले” गंगा किनारे सावित्री थैले बेच रही थी चल चलकर ,प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद अब सिर्फ कपड़े के बनाकर बेचती थी ,एक दिन एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी “अम्मा कैसे दिए थैले “–“बेटा ₹10 -₹15 के हैं ले लो सुबह से बोहनी नहीं हुई … Read more

“जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए” – सुधा जैन 

 शादी की 35 वी सालगिरह सभी के साथ बहुत खुशी खुशी मनाई… एक दिन पहले ही मैंने अपने हाथों में सुंदर सी मेहंदी बनवाई और और इतनी खुशी हो रही थी कि “मेरे दिल की खुशी के क्या कहने ? सुबह-सुबह ही जब बाहर बैठकर पेपर पढ़ रही थी, तब पास में  छोटे दीदी ने … Read more

  धोखा /  प्यार का -बेला पुनीवाला

 श्यामली, जैसा नाम  वैसा रंग। श्यामली एक मिड्ल क्लास फॅमिली में पली बड़ी हुई, एक लौटी अपने माँ-पापा की बेटी थी। घर में चाहे पैसो की कितनी भी कमी हो, लेकिन श्यामली के माँ-पापा श्यामली की हर माँग को पूरा करते थे। श्यामली दिल की बहुत ही अच्छी और संस्कारी लड़की थी, श्यामली के दिल … Read more

एक प्यारा सा रिश्ता – संगीता अग्रवाल

माधव का आज घर मे मन नही लग रहा था खाली घर वैसे भी खाने को ही दौड़ता है रोज मे तो ऑफिस होता है पर इतवार का दिन काटना उसके लिए मुश्किल हो जाता है इसलिए यूँही बेसबब सड़को पर घूमने लगता है और थक कर घर लौट जाता आज भी बाइक खड़ी कर … Read more

  पराए का साथ अपनों से कही बेहतर – रश्मि प्रकाश 

घर में घुसते ही निकुंज की नजर अपनी बेटी को खोज रही थी…. दो महीने का बेटा पालने में लेटा हुआ था और राशि रसोई में जल्दीजल्दी हाथ चला रही थी ताकि रात का खाना बना कर बेटी को खिला सके। “ राशि दीया कहाँ है … जब घर आया दरवाज़ा भी लॉक नहीं था … Read more

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