हारा हुआ जुआरी – निभा राजीव “निर्वी”

रंजीत बिस्तर पर बैठा गोद में लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था। वहीं से उसने अनन्या को आवाज लगाकर एक प्याली चाय लाने को कहा। अनन्या ने फटाफट चाय बनाई और चाय लेकर उसके पास पहुंच गई। उसने चाय की प्याली वहीं सिरहाने वाली मेज के पास रख दी और वापस रसोई तक पहुंची … Read more

अंतिम इच्छा – पुष्पा ठाकुर 

” मां आज खाना हमारे साइड खाना,तुम्हारी बहू ने आज तुम्हारी पसंद की चना भाजी और मक्के की रोटियां भी सेंकी है।” राघव अपनी बात को लगभग जाते जाते ही कह गया,जो देहरी पर बैठी उसकी बूढ़ी मां ने अच्छी तरह सुन भी ली थी।सुनती भी क्यों न ……….आज पूरे एक महीने बाद बड़े बेटे … Read more

टिमटिमाती आंखें – रानी गुप्ता 

दादी एक बात बताओ आप ये हर समय मुझमें  क्या देखती रहती हो?गौरी अपना गुस्सा दबाते हुए दादी से हंसते हुए पूछ ही लिया….पता है आपको मुझे अच्छा नही लगता कि कोई मुझ पर चैबीसो घंटे नजर रखे ,जबकि मैं कुछ गलत नही करती। अरे बिटिया नाराज न हो अपनी दादी से हम तुम्हाये ऊपर … Read more

ये रिश्ते हैं अनमोल से कुछ नाज़ुक से बेमोल से – कुमुद मोहन 

आज अम्मा जी के पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे! उनके बेटे राकेश  और बहू मीरा के ब्याह के बाद पहली बार उनकी बेटी कुसुम  अपने तीन साल के बेटे सोनू के साथ जो आ रही थी। अम्मा जी सुबह से नहा धो कर पलंग पर बैठी हिदायतों पर हिदायतें दिये जा रहीं थी! … Read more

पगला दीवाना – कमलेश राणा

आशीष ने बहुत कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था,, पिता ने दूसरा विवाह नहीं किया कि पता नहीं, नई मां बच्चे को अपना पायेगी या नहीं,,  वह अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे,, कभी भी उन्होंने उसे मां की कमी का अहसास नहीं होने दिया,, उसके लिये नये नये व्यंजन … Read more

क्या वर पक्ष के लोगों को वधू पक्ष का अपमान करने का अधिकार है – गीतू महाजन

सुधीर जी और सुनीता जी के लिए आज बहुत बड़ा दिन था।जिस दिन का वे बहुत बेसब्री से कितने महीनों से इंतज़ार कर रहे थे आखिर वह दिन आज आ ही गया था। पिछले कितने महीनों की तैयारियों के बाद आज उनकी बेटी विशाखा की शादी थी। सुधीर जी और सुनीता जी के लिए आज … Read more

सुंदरता व्यवहार में होती है – संगीता त्रिपाठी

  सलोनी अपने हाथों की रंगबिरंगी चूड़ियाँ देख मुग्ध हो रही थी, “ये तुम्हारे ऊपर नहीं बड़ी बहू संजना के उजले हाथों में अच्छी लगेगी “सासु माँ की व्यंग भरा स्वर सुन सलोनी का चेहरा अपमान से काला पड़ गया। कुछ ना बोल वो वहाँ से हट गई, उसी समय उमेश ऑफिस से लौटा था दरवाजे … Read more

एडजस्टमेंट – गीतांजलि गुप्ता

इस शहर में रमिक की बदली हुए एक साल हो गया। सरकारी बैंक में बड़े पद पर जिम्मेदारी के साथ परिवार को सुविधाएं भी अधिक मिलती हैं। आज छोटी ननद मिलने आ रही थीं यूँ कहो दिसम्बर की छुट्टी बिताने आ रही थीं। सारा दिन उनके लियें व्यवस्था करने में बीत गया। उनका स्वभाव भी … Read more

‘उस दिन’ [ एक पाती ] – प्रतिभा पाण्डे

मैडम अभिवादन की औपचारिकता निभाए बग़ैर मैं आगे बढूँगा क्योंकि अभिवादन के सारे शब्द मिलकर भी आपके प्रति मेरी भावना को व्यक्त नहीं कर पाएँगे। आज से पच्चीस साल पहले का वो दिन आज भी मेरी यादों में ऐसे ही ताज़ा है जैसे कल की ही बात हो। समय की पर्तों को उठाकर उस दिन … Read more

निमित्त मात्र – *नम्रता सरन “सोना”*

“नीरु…ये लो गोखरू का कांटा… इसे चार लीटर पानी में डालकर तब तक उबालना जब तक यह पानी एक लीटर बचे….” सुहास ने अपनी पत्नी से कहा। “पता है मुझे… आप कोई पहली बार तो नहीं बनवा रहे हैं ये काढा… अब किसके लिए…? नीरु ने सुहास से पूछा। “अरे यार… हमारे ऑफिस में मिश्रा … Read more

error: Content is protected !!