धड़कन – विनय कुमार मिश्रा

आज हाथों में शिमला की दो टिकटें लिए अपनी जिंदगी के गुजरे तमाशे याद आ रहें हैं.. “इससे पहले तो घर में नई शादी ही नहीं हुई, शिमला घूमने जाएंगे ये निर्लज्ज” मन मसोसकर गाँव में ही रहना पड़ा था। क्यूंकि तब पैसों की तंगी भी थी। लव मैरिज तो नहीं हुई थी, मगर इनसे … Read more

भेदभाव – कुमुद मोहन

“तू फिर आ गई! कितनी बार मना किया कमला का पीछा छोड़कर अपनी मां के साथ कूड़ा उठाया कर पर मजाल है जो इस कमबख्त के कान पर जूं रेंगती हो!” दादी का सुबह सुबह का रोज का डायलॉग सुनकर छः साल की नन्ही रिंकी मुँह लटकाऐ दरवाज़े के बाहर निकल जाती! गुनिया सफाई वाली … Read more

दिखावे के रिश्ते –   पूजा अरोरा

शाम को दफ़्तर से थकी हुई जब 7 बजे घर पहुंचीं ही थी वंशिका  तो घर की हालत देख कर दिमाग फ़ट गया| गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया| “ये क्या माँ, मीरा आज नहीं आयी? बिना बताये छुट्टी ले ली|” “नहीं आयी बहू, पता नहीं क्या हुआ आज! कोई खबर भी नहीं की” मंजु … Read more

 कतरन – विनय कुमार मिश्रा

टोकरी में कुछ भुट्टे लिए, वो तीन गरीब और फटेहाल बच्चे आज फिर रोज की तरह,दोनो तरफ की रोड के बीच में लगे घास पर बैठ गए। उनमें से बड़ी लड़की जो तकरीबन दस साल की होगी। उसने अंगीठी जला लिया। भुट्टे सिकने लगे थे। मैं अपने सब्जी का ठेला लगाए उनके सामने ही था। … Read more

अपमान का प्रतिकार – लतिका श्रीवास्तव

..और मोबाइल बज उठा…….लपक के अंजली ने उठाया .. हां हां बेटा आलोक …अच्छा… हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्रिया …अच्छा बेटा मैं तो तैयार ही बैठी हूं .. तू आ जा साथ में चलेंगे….! थोड़ी ही देर में बाहर से जोर जोर से हॉर्न की आवाज़ सुन कर अंजली लगभग दौड़ते हुए आई और … Read more

‘अपमान’ – पूनम वर्मा

देविका ने अपना सामान धम्म से घर में पटका और दरवाजा अंदर से बंद कर बिस्तर पर निढाल होकर पड़ गई । उसके पति श्यासुन्दर धीरे से बगल में रखी कुर्सी पर बैठ गए । देविका कुछ देर तक छत को निहारती रही फिर उठकर अपने पति पर बरस पड़ी । “सब आपकी वजह से … Read more

बिदाई – संजय मृदुल

नन्ही अनु ने रो रोकर सारा घर सर पर उठा लिया है। सुबह जब उसने दादी से सुना कि आज गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा तो उसने पूछा कि ये विसर्जन क्या होता है। दादी ने उसे समझाया कि गणेश जी इतने दिन वो मेहमान बन हमारे यहां रहे अब उन्हें अपने … Read more

स्कूल और वो चवनप्राश का डिब्बा,,,,,,, – मंजू तिवारी

 बात  आज से लगभग 35साल पहले की है।  जब प्रेरणा अपने गांव से  शहर के प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाती थी प्रेरणा का जन्म अपने माता-पिता के विवाह के 6-7साल बाद बड़ी मन्नत उसे हुआ था वह  संयुक्त परिवार में सब की बहुत लाडली बच्ची थी पापा दादा के सहयोग से व्यापार तथा नौकरी किया … Read more

बरसात – माता प्रसाद दुबे

रामू परेशान था। सावन का महीना आने वाला था। बरसात के साथ ही उसके मोहल्ले में मुसीबत आ जाती थी। बरसात के पानी से पूरी सड़क लबालब हो जाती थी। घरों में पानी भर जाता था। गांव के अंदर जाने का मुख्य मार्ग होने के कारण कोई भी गाड़ी सामने से गुजरती तो कीचड़ के … Read more

अपमान – अनामिका मिश्रा 

गणेश और उसके पिता एक हो होटल में वेटर थे। गणेश आईएएस ऑफिसर बनना चाहता था। दिन रात मेहनत कर रहा था। एक दिन उस होटल में होटल के मालिक की बेटी की जन्मदिन की पार्टी चल रही थी। सारे मेहमान थे। गणेश पानी करते लेकर आ रहा था कि,अचानक वो चेयर से टकराकर गिर … Read more

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