उतरना नशे का –  बालेश्वर गुप्ता

 मानसी, क्यों तुम हमेशा मुझे इस प्रकार से जलील करती रहती हो, क्यों तुम्हें मुझसे एलर्जी सी हो गयी है? ये सब तुम्हें लगता है, मेरी जरा सी बात भी तुम्हे चुभती है।असल में तुम मेरे स्टेटस से जलने लगे हो। क्या बोल रही हो,तुम?मैं ,मैं तुमसे जलूंगा, तुमसे?मानसी क्या सोच बना कर रखी है … Read more

मैडम जी – गरिमा जैन

मैडम !मैडम जी गलती हो गई !माफ कर दो !गलती हो गई! “माफी माय फूट !गलती की सजा तो तुझे मिलकर रहेगी!” ” मैडम आगे से ऐसा नहीं होगा ।वह जरा सा मैं खाना खा रहा था ,बस 2 मिनट की देरी हो गई गेट खोलने में। मैडम जी माफ कर दो । तभी दूसरी … Read more

मित्रता का अपमान – पुष्पा जोशी

क्या बात है? आप बहुत परेशान नजर आ रहे हैं.कल जब से आपने वह पत्र पढ़ा है आप बहुत उदास  हैं.कल आपने ठीक से खाना भी नहीं खाया.रात को ठीक से सोए भी नहीं.किसका पत्र था? जिसने आपको परेशान करके रख दिया.सुलेखा ने अपने पति दौलतराम से पूछा. दौलतराम ने कहा- ‘मैं सोच रहा हूँ, … Read more

एक अनूठी प्रेम कथा – आरती झा आद्या

बस मुझे मेरे धवल से मिलवा दो। उसे मेरे पास ले आओ ना..उनहत्तर वर्षीय सविता खन्ना बिछावन पर लेटे लेटे बच्चों सी बोली में बड़बड़ा रही थी।  बिछावन के बगल में बैठे डॉक्टर मित्तल और ब्रिगेडियर एक दूसरे को बुझी बुझी नजरों से देख रहे थे। ब्रिगेडियर साहब.. कौन है ये धवल… डॉक्टर मित्तल पूछते … Read more

सफलता – आरती झा

रसोई घर से मां की आवाज आती है  । राकेश तुम्हें रायपुर अपनी पढ़ाई के लिए जाना है। राकेश जल्दी में तैयार होने लगता है और पिता से कहता है कि मुझे रायपुर क्यों ले जाया जा रहा है उसके पिता रामस्वरूप राकेश को समझाते हैं कि यह गांव बहुत छोटा है, क्योंकि यहां पर … Read more

रोज़ डे* – *नम्रता सरन “सोना”

“दीदी,अब जाऊं मैं, बहुत देर हो गई है, राजू के बापू भी घर आ गए होंगे” कामवाली रत्ना ने रात होते देख पूछा। “क्या यार, कभी कभी तो रोकती हूं तुझे, आज इनके कुछ दोस्त आने वाले हैं, इसीलिए तुझसे थोड़ा ज़्यादा काम करवा रही हूं, तू चिंता मत कर,अलग से पैसे भी दे दूंगी” … Read more

रोती  आंखें –  मंजु मिश्रा

……………. अमिता की आंखे द्वार की ओर यूं लगी थी जैसे अभी उसका पूरा परिवार आकर उसे अपने घेरे में ले लेगा और वो निहाल हो जाएगी।पंद्रह दिन पूर्व रजत की मृत्यु के पश्चात पंद्रह दिन बाद आज सुबह ही सब अपने अपने घरौंदों में लौट गए।             उसे अपनी विवाह की पहली रात याद आयी … Read more

अपना कौन – मंजु मिश्रा

ये कहानी लगभग 1966 -67 की है।भीषण अकाल पड़ा था।लोग जिस अनाज को पशुओं को खिला देते थे,उसे साफ कर स्वयं खाने को मजबूर थे।दालों के बचे हुए महीन टुकड़ों की रोटी और चावल की कनकी को उबाल कर पीने को मजबूर थे लोग। जिनके पास पिछले वर्ष का अन्न बचा था,उन्हें ही कुछ राहत … Read more

मरघट – काव्या शर्मा

रात के करीब 9 बजे थे। मरघट का माहौल बहुत डरावना था  एक तरफ एक औरत को लाश जल रही थी। वही दूसरी तरफ एक कुछ लोग झाड़ियों में कुछ छिपा रहे थे। पता नही कैसा मन था उन लोगो जो जीते जागते जीव को कब्रिस्तान में छोड़ गए।  एक तरफ वो रूह तडफ रही … Read more

अपमान का बदला – चन्द्रकान्ता वर्मा

श्यामू नाम का एक बड़ा प्यारा बच्चा था। उसके मां-बाप बचपन में ही एक दुर्घटना में मर गए थे। श्यामू के मामा उसे अपने पास ले आए थे। मामी को वह रत्ती भर ना  सुहाता। वह बच्चे से कभी मीठे बोल ना बोली। घर के सारे काम वह उससे से कराती। हमेशा उसका अपमान करतीं … Read more

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