लालच और अहंकार   – बेला पुनीवाला

 अनिकेत बहुत ही मेहनती लड़का था, अपने पापा के अचानक से चले जाने के बाद उसी ने ही अपने पापा का सारा बिज़नेस संँभाला था और साथ-साथ अपने पापा का कर्ज़ा भी चुका रहा था। मगर किस्मत हर बार साथ नहीं देती, जैसे कि अनिकेत के अच्छे खासे बिज़नेस में अचानक से बहुत बड़ा नुक्सान … Read more

उपर की कमाई – प्रेम बजाज

सोमेश पुलिस इंस्पेक्टर और रामलाल हवलदार है। सोमेश घमंड में रहता और कहता, “मैं अपने बेटे को अपने से बड़ा आफिसर बनाऊंगा, उसे बड़े इंग्लिश स्कूल में पढ़ाऊंगा, चाहे कितना भी पैसा खर्च क्यूं ना हो” इसलिए वो झूठे-सच्चे केस बना कर, इधर-उधर घपला करके उपर की कमाई करता। उस पर रौब भी झाड़ता मेरे … Read more

पितृपक्ष  – डाॅ संजु झा

  आजकल  पितृपक्ष चल रहा है।इस काल में लोग पितरों के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करतें हैं। पितृपक्ष  हर साल  भाद्र मास के शुक्लपक्ष  की पूर्णिमा  तिथि से प्रारंभ  होकर  आश्विन  मास की  अमावस्या तिथि को समाप्त  हो जाता है।हरेक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अपने  पितरों पर अपनी आस्था व्यक्त करतें हैं।इस प्रथा पर अनेक तरह … Read more

जब वक्त ने सिखाया सबक – किरन विश्वकर्मा

कियारा बार- बार मॉल में जैम की शीशी को उठा कर देख रही थी और रख दे रही थी फिर थोड़ी देर बाद वह शीशी उठाकर कृतिका से बोली…..मम्मा मैं यह जैम ले लूं……. आप मुझे टिफिन में हमेशा पराठा सब्जी देती हो…मेरा भी कभी कभी मन करता है कि चाची के बच्चों के जैसे … Read more

“अपमान का बदला कुछ यूँ लिया” – भावना ठाकर ‘भावु’

“मत डरो तम घिरी राहों के अंधेरों से, जब अंधेरा होता है तभी हम सितारों को देख पाते है”  कब कौनसी रात का अंधेरा, एक रोशन सितारा लेकर आएगा कोई नहीं जानता। उम्र के कौनसे पड़ाव में, कौनसी घटना हमारी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ देगी कुछ नहीं कह सकते। संभावनाओं से भरी ज़िंदगी जब करवट … Read more

अंग्रेजी बोलने पर अहंकार क्यूं? – ऋतु गुप्ता 

“हिंदी और हम हिंदुस्तानी”  काफी समय हुआ हम चारों सहेलियों (सपना,चारू, ज्योति और मैं अनु )को मिले क्योंकि आज सभी अपनी अपनी गृहस्थी में मग्न हो गई हैं, किसी को अपने घर परिवार से  छुट्टी नहीं तो, किसी को नौकरी की चक चक से। यानि पूरी तरह हम लोग भूल चुके हैं कि हमारी भी … Read more

दादीजी का श्राद्ध डे! – प्रियंका सक्सेना

कानपुर के तिलक नगर इलाके की एक पाॅश सोसायटी के सातवें माले के प्लैट में आज बड़ी हलचल है। किट्टू के मम्मी पापा बहुत सुबह उठकर नहा धो लिए थे। आठ वर्षीय किट्टू को भी नहला दिया गया था। हाउस कुक शांता आंटी भी सुबह सुबह आकर रसोई में खाना बना रही है। किचन से … Read more

हिदायत – कंचन श्रीवास्तव

दरवाजे पर खड़ी अनन्या के हाथ में  अनजबी के द्वारा पकड़ाए चाकलेट ने सन्नो के दीमाग को झकझोर के रख दिया , झकझोरे भी क्यों न ,महज चौदह वर्ष की उम्र में मां बनना अपने आप में आश्चर्य की बात होती थी उस जमाने में जब लड़कियों का मासिक धर्म ही उसी उम्र में शुरू … Read more

नई दिशा – सुधा शर्मा

करुणा खुद को विकट मानसिकता से निकालने  का प्रयास कर रही थी । क्या आसान था यह? किसी बात की भी हद होती है ।  कितना कितना सहन किया था ।होश  संभालने  से लेकर आज तक ।क्या उसकी तकलीफें कभी खत्म नहीं होगी ।   चारों तरफ देखो लडकियों  कितनी सहज जिंदगी जी रही है … Read more

मेरी बेटी रश्मि – उमा वर्मा 

मेरी बेटी रश्मि पियुष को गुजरे पंद्रह दिन हो गये ।उसने प्रतिलिपि पर कयी कहानियाँ लिखी।उसी के याद में आप सभी पाठकों से श्रद्धांजलि की आशा करती हूँ ।मेरी अवस्था भी ठीक नहीं है फिर भी—-। नन्ही सी कली मेरे आँगन में आई तो खुशियाँ भर आई हमारे जीवन में ।पापा की तो बहुत ही … Read more

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