अहंकार के छटते बादल – तृप्ति शर्मा

कितनी जमती थी न दोनों में ,कितनी बातें कितनी छेड़खानी और पता नहीं कितने ही खेल खिलौने आपस में बांट लिया करते थे वो हमेशा । इन सबके बीच पता नहीं चला कब दोनों बचपन लांघ बड़े हो गए, पर अब सबकुछ बदल गया था । सुहानी और अनंत के बीच अब पहले जैसा कुछ … Read more

मेरी मां की भाषा हिंदी,,,,,, – मंजू तिवारी,

मेरी मां की भाषा हिंदी जिससे मेरा दिल का नाता है। किसको बोलने में मुझे बड़ी सहजता का अनुभव होता है। भाषा कोई भी बुरी नहीं होती है। लेकिन जो भाषा हमारी मां की होती है उस भाषा को बोलने में बड़ा ही आनंद आता है मौलिकता होती है कोई बनावटीपन का स्थान होता ही … Read more

 ” दिल के अरमां आंसुओं में बह गए ” – अनिता गुप्ता 

मी लॉर्ड! मैं मानता हूं कि मेरे बेटे ने शराब के नशे में बहक कर गलती की है और मैं इस गलती को सुधारने के लिए भी तैयार हूं।” शहर के पहुंचे हुए नेताजी ने कटघरे में खड़े हुए कहा। ” आप इसे गलती कहते हैं ? अपराध किया है आपके अहंकारी बेटे ने अपराध।” … Read more

मिल गई मंज़िल… – डॉ. सुनील शर्मा

बारहवीं का रिजल्ट आ गया. रोहित सिर्फ 64 प्रतिशत अंक पाकर जैसे टूट सा गया. वह चिकित्सा शास्त्र में दाखिला पाने के लिए जी जान से पढ़ाई कर रहा था . कोचिंग भी कर रहा था, लेकिन यह बारहवीं का रिजल्ट. किसी को क्या मुंह दिखाऊंगा… रुआंसा सा सर पकड़ कर बैठ गया. घर जाने … Read more

अपने लिए टाइम…! – लतिका श्रीवासत्व

..आहा कल से कितना सुकून मिलेगा …. प्रिया सुखद कल्पनाओं में खोई हुई थी …. दोनों बच्चों की स्कूल trip है दो दिनों की…..उसके पति अनुराग का भी अचानक ऑफिस टूर आ गया है….कल सुबह सुबह ही तीनों को जाना है….फिर तो दो दिन मेरे है….! मेरे अपने लिए…! … उफ्फ!!कितना काम रहता है उसकी … Read more

अहंकार तो रावण का भी नहीं रहा  – मीनाक्षी सिंह

जब सुमन स्नातक में पढ़ती थी तो उसकी एक प्रिया नाम की सहेली थी ! वो बहुत ही खूबसूरत थी ! लंबे लंबे बाल ,गोरा रंग,पतली सी सुराही जैसी गर्दन थी उसकी ! दिमाग की भी तेज भी पर पढ़ने में उतना ध्यान नहीं देती थी ! और दूसरी तरफ सुमन मोटी,सांवले रंग की और … Read more

सही फैसला – विजया डालमिया

यूँ  तो अरसा बीते बिछड़े हुए,फिर क्यों आज दर्द दिल पर याद बनकर दस्तक दे रहा है। मैं तो अकेले ही  तन्हाई की सूनी  पगडंडी पर चल पड़ी थी। मँजिल व सुकून की तलाश में ।खुद से अपनी मुलाकात करने ।एक पहचान बनाने  क्योंकि संजू के साथ रहकर मैंने अपने आप को ही खो दिया … Read more

पितृदोष – ऋचा उनियाल बोंठियाल

“अरेsss ओ sss साहब, टिकट !” तेज़ आवाज़ से नरेश की तंद्रा टूटी। उसने हड़बड़ा कर देखा, सर पर कंडक्टर खड़ा था और उसे ही घूर रहा था। “ओह !! माफ करना भैया मेरा ध्यान कहीं और था …ये रहे टिकेट, एक मेरा और एक इनका, अपनी मां वसुंधरा जी की तरफ़ इशारा करते हुए … Read more

लालगंज की शेरनी – सुषमा यादव

#अहंकार  कुछ लोगों के मन में अहंकार कूट कूट कर भरा रहता है,, फिर वो चाहे संपत्ति का अंहकार हो,बेटे का हो या अपने बल और रूप सौन्दर्य का,,, ये अहंकार हमें कहीं का नहीं छोड़ता, एक दिन हमें नेस्तनाबूद कर देता है,, अंहकार तो बड़े बड़े लोगों को धूल चटा गया,हम सब तो मामूली … Read more

 एक्जिक्युटिव शैफ !! – पायल माहेश्वरी

“मैं आपकी पत्नी होने के साथ-साथ किसी की बेटी भी हूँ” लावण्या अपने पति एक्जिक्युटिव शैफ अमित से बोली। ” ना मैं आपको हारते हुए देखना चाहती हूँ और न ही मेरी मम्मी को हारते हुए देखना चाहती हूँ, आप दोनों मेरे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हो “लावण्या की आखों में आँसू थे। लावण्या … Read more

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