भला सास बिना भी कोई ससुराल कहलाता है – मनप्रीत मखीजा
“पापा जी, आपके लिए चाय बना दूँ!” “हअ……, नहीं अभी नहीं| “ “पर पापा जी, शाम के छह बजे हैं| आप और मम्मी जी तो साढ़े चार पर ही चाय पी लेते थे?” “मेरा चाय का मन नहीं है बहू, मैं थोड़ा टीवी देख लेता हूँ|” टीवी तो सुबह से ही चल रहा था, मगर … Read more