भला सास बिना भी कोई ससुराल कहलाता है  – मनप्रीत मखीजा

“पापा जी, आपके लिए चाय बना दूँ!” “हअ……, नहीं अभी नहीं| “ “पर पापा जी, शाम के छह बजे हैं| आप और मम्मी जी तो साढ़े चार पर ही चाय पी लेते थे?” “मेरा चाय का मन नहीं है बहू, मैं थोड़ा टीवी देख लेता हूँ|” टीवी तो सुबह से ही चल रहा था, मगर … Read more

मेरी बेटी की किस्मत ससुराल मायके दोनों तरफ से अच्छी है  – कृति मेहरोत्रा

” उनका घर बिजनेस सब चला गया , उसमें घाटा हो गया तो इसमें मेरी बेटी का क्या दोष जो लोग उस पर दोषारोपण कर रहे हैं । ये सब उनकी सोची समझी चाल है उन्होंने शादी करने के लिए झूठ बोला अब दोष मेरी बेटी को दिया जा रहा है ” मंजुला देवी तड़पते … Read more

यह आजकल की छोरियां – टीना सुमन

“सुना भागवान तुमने, तुम्हारा बेटा क्या कह रहा है, अपनी मर्जी से शादी करेगा, पढ़ी-लिखी नौकरी वाली बहू लाएगा, तुम्हें नहीं पता आजकल की छोरियां, शर्म हया तो इनमें होती ही नहीं है, इस पर ना बड़ों का आदर सत्कार है, ना कुछ घर का काम काज है, दिन भर बस अंग्रेजी में पटर-पटर | … Read more

डांट – विनय कुमार मिश्रा

दरवाजा खोला तो पड़ोस का प्रमोद घबराया हुआ था। रात के करीब डेढ़ बजे होंगे। “क्या बात है प्रमोद?” “भैया कुछो समझे में नहीं आ रहा है, बाबुजी को सीने में बहुत दर्द है,सांस भी नहीं ले पा रहे हैं, छटपटा रहे हैं, थोड़ा चलकर देख लीजिए ना, कुछो दवाई दे देते तो” “हां हम … Read more

 तलाक – गुरविंदर टूटेजा

अप्रकाशित    अनय व रूही दोनोें बच्चें सहमें हुये एक तरफ खड़ें थे…उधर नमन व रचना दोनों एक-दूजे पर इल्ज़ाम लगा रहें थे नमन कह रहा था तुम कमाती हो इसका मतलब ये नहीं कि तुम घर पर कुछ करोगी ही नहीं…बच्चों का ध्यान रखना तुम्हारा फर्ज है…मम्मी का नहीं..!!!!  रचना बोली…सही है ना तुम काम … Read more

 साडी कैसी लग रही है? – उषा भारद्वाज

 क्या हुआ बहू ? – सावित्री  ने अपनी जगह पर बैठे- बैठे अपनी बहू रितु की तेज आवाज सुनकर पूछा ।   कुछ नहीं मां – प्रकाश उनके बेटे ने अपने रूम से जवाब दे दिया।  सावित्री चुप होकर बैठ गई । थोड़ी देर बाद अक्कू के रोने की आवाज सुनाई पड़ी ।  क्या हुआ बेटा … Read more

अहंकार – अनामिका मिश्रा

शहर में एक मंदिर था। वहां रोज शाम को भजन कीर्तन हुआ करता था। सभी आसपास की महिलाएं जमा होती थी और मंदिर में भजन-कीर्तन किया करती थी। उसी मंदिर में एक गरीब पुजारिन रहती थी,पूजा पाठ किया करती थी मंदिर के भरोसे ही उसका गुजारा चल रहा था। दिन-रात मंदिर में ही सेवा करती … Read more

और अहम पिघल गया – लतिका श्रीवास्तव 

..”मैं इस हॉस्पिटल का चीफ सर्जन भी हूं और बेस्ट सर्जन भी हूं…..मेरे कारण ही इसकी साख है लोकप्रियता है…..मेरा नाम सुनकर ही लोग यहां आते हैं…..मेरे बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं है और आप सभी का भी …. लोग सिर्फ और सिर्फ मुझसे ही सर्जरी करवाने आते हैं….”डॉक्टर विक्रम बोलते बोलते सांस लेने के … Read more

मेरी बेटियां ही मेरा अहंकार है – गीतू महाजन

  दांत के दर्द से परेशान सुषमा जी आज भी डेंटिस्ट के पास आई हुई थीं। डॉक्टर ने उन्हें तीन से  चार सिटिंगस लेने के लिए बोला था। आज उनका तीसरा दिन था। आराम तो पहले से काफी था उन्हें पर अभी एक दिन और आना था। ड्राइवर ही उन्हें ले आता था। आज भी … Read more

 अहंकार – विनोद प्रसाद

कौशल कुमार जी भारतीय रेल सेवा में अधिकारी पद पर कार्यरत थे। उनके हर क्रिया-कलाप में अधिकारीपन की बू आती थी। अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ उनका व्यवहार रूखा रहता था। उन्हें लगता था कि रौब और भय के द्वारा ही कर्मचारियों से काम लिया जा सकता है।  उनके इस व्यवहार से अधीनस्थ कर्मचारियों में हमेशा … Read more

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