परवरिश-भगवती सक्सेना गौड़

डॉ रवीना अपने मायके जा रही थी। फ्लाइट के टेक ऑफ होते ही उसकी आंखें बन्द होने लगी, तभी सोचने लगी, पता नही पापा की तबियत कैसी है। कल ही उसकी मम्मी का फ़ोन आया, “बेटू, आ जाओ, वीरेन ध्यान नही देता, दोस्तो के साथ घूमने में मस्त रहता है। पापा की तबियत ठीक नही … Read more

समाधान – नीति सक्सेना

“दिव्या! आज स्कूल नहीं जाना क्या? अभी तक सोकर नहीं उठी,” दिव्या की मां ने किचन से आवाज़ लगाते हुए कहा। दिव्या उठ तो बहुत पहले ही गई थी,शायद सुबह के 6 बजे,पर आज उसका विद्यालय जाने का मन बिलकुल नहीं कर रहा था जबकि उसको पता था कि आज फिजिक्स की मैम  उसके क्लास … Read more

संयम – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

आधी रात बीत चुकि है और पूनम अधमरी सी बिस्तर पर पड़ी है।पड़ी भी क्यों न रहे उसे नींद जो नहीं आ रही , दर्द है आत्मा में मन में और शरीर में , पर वो बांटे किससे बगल में पड़ा वो पुरुष जो गहरी नींद सो रहा है। नहीं नहीं वो भला क्यों बांटेगा … Read more

आजीवन दोस्ती – निधि जैन

आज़ बहुत अरसे बाद कॉलेज के सारे दोस्त मिलने के लिए एक जगह एकत्रित होने वाले है, पर उनमें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसको सच्चा दोस्त कहा जाए सिर्फ एक को छोड़कर। अवनी, हाँ  यही वो नाम है, जिसको कॉलेज के उन सारे दोस्तों से अलग रखता है, अवनी ने जितना मेरे लिए … Read more

बेटी – पिंकी नारंग

सुधा ने घर के बाकी लोगों को ये कह कर हॉस्पिटल से घर भेज दिया की ना जाने डिलीवरी मे अभी और कितना वक़्त लगे, फिर मै तो यहाँ हूँ ही, सब रुक कर क्या करेंगे बहू सुनयना लेबर रूम मे प्रसव पीड़ा मे थी |ईश्वर कब और कितने बजे नए प्राणी को दुनियां मे … Read more

मां का आंचल – डा. मधु आंधीवाल

रूबी को कितनी बार मां नीमा ने समझाया कि तुम अब बड़ी हो रही हो इतने झीने और टाइट कपड़े पहन कर कालिज मत जाओ पर वह अपनी इस दूसरी मां की बात क्यों सुने । चाची और बुआ ने रूबी को शुरू से ही सिखा रखा था की सौतेली मां कभी अपनी सगी मां … Read more

स्वयं की तलाश – डा मधु आंधीवाल

पंखुरी खिड़की में खड़ी थी । आज घनघोर बारिश हो रही  थी ।  उसके साथ ही उसके मन में भी  अंधेरी घटायें घिरी थी । सोच रही ऐसी ही तो बारिश की शाम थी । वह बस का इन्तजार कर रही थी । आज प्रेक्टीकल क्लास देर से छूटी । वह अकेली रह गयी उसकी … Read more

चंपी–नीरजा कृष्णा

“जब से अंश देहरादून हॉस्टल में गया है, अम्मा बहुत सुस्त रहने लगी हैं। उनका खाना पीना भी बहुत कम हो गया है” संध्या बहुत दुखी होकर अनिल को बता रही थी। वो भी ऐसा ही महसूस कर रहा था…बहुत दुखी होकर कहने लगा,”तुम ठीक कह रही हो। अंश के साथ अम्मा बाबूजी का समय … Read more

दहलीज पार करा दो “”भाग—1-रीमा ठाकुर

ये कहानी शुरू होती है  एक ऐसे शहर से, नाम कुछ भी रख सकते है, कुछ भी, वैसे भी गुजरात मध्यप्रदेश से टच शहर, चलिऐ, दहोद रख देते,  है!  ये  शहर  पलता है मध्यप्रदेश के नागरिकों से, भला सोचो वो कैसे,    ज्यादा सोचिए मत, मध्यप्रदेश के सीमा पर बसा गुजरात का पहला शहर, जहाँ … Read more

घमण्ड –  अरुण कुमार अविनाश

” ये वाशिंग मशीन मेरे मायके का है।”– नीरजा के स्वर में अहंकार का पुट था। ” चाची, ये क्या बोल रहीं हो आप!” – नीलू घबरा कर बोली। ” सही कह रही हूँ। जिसे देखो वही मेरी चीजें इस्तेमाल कर रहा है। वो भी बेतुके अंदाज़ में । अगर चीज़ बिगड़ जाये तो कोई … Read more

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