परवरिश-भगवती सक्सेना गौड़
डॉ रवीना अपने मायके जा रही थी। फ्लाइट के टेक ऑफ होते ही उसकी आंखें बन्द होने लगी, तभी सोचने लगी, पता नही पापा की तबियत कैसी है। कल ही उसकी मम्मी का फ़ोन आया, “बेटू, आ जाओ, वीरेन ध्यान नही देता, दोस्तो के साथ घूमने में मस्त रहता है। पापा की तबियत ठीक नही … Read more