नींव – विनय कुमार मिश्रा

बड़े ताऊ एक अटैची लिए बड़ी उदास होकर अपने बड़े से मकान से निकल गाँव के ही एक चबूतरे पर बैठ गए। जहां से कुछ ही दूर पर आने जाने के लिए बसें भी रुकती हैं। सामने सड़क सुनसान थी।परेशान हो वो चारो तरफ नज़रें घुमा कर जैसे पूरे गाँव को देख रहे हों। अब … Read more

प्यारा सा फरेब – बालेश्वर गुप्ता

 इतना बड़ा छ्ल, मुन्ना तुमने हमारे विश्वास को ठगा है।कितने अरमान से तुम्हे शहर भेजा पढ़ने, और तुम अरे कुछ तो सोचा होता?     पापा-पापा, मैंने ऐसा कुछ भी नही किया है जिससे आप का सर झुके।मुझे अपनी बात कहने का अवसर तो दो।       नही नही, मुझे कुछ भी नही सुनना।अरे मुन्ना क्या ये दिन देखने … Read more

 धोखा – गरिमा जैन 

मैं आपको धोखा नहीं दे सकती लता ओ लता सुन जरा “जी मेम साहब “ “तूने अभी झाड़ू पोछा किया है ना!” ” जी मेम साहब, अच्छे से किया है । डस्टिंग भी कर दी है।” ” अच्छा यह बता तुझे झाड़ू पोछा करते वक्त मेरी एक हीरे की अंगूठी तो नहीं मिली!!” ” नहीं … Read more

आ,अब लौट चलें” – नीति सक्सेना

वसुधा के सिर में पिछले तीन दिन से  बहुत दर्द हो रहा था।दर्द की दवा भी खा चुकी थीं पर कोई फायदा नहीं हो रहा था।डिजिटल ब्लड प्रेशर नापने वाले यंत्र से ब्लड प्रेशर नापा तो काफी बढ़ा हुआ निकला।इसका मतलब जो ब्लड प्रेशर वाली दवा वह खा रही थीं,उसका असर नहीं हो रहा था।बेटे … Read more

पश्चाताप के आंसू – डॉ अंजना गर्ग

पूर्णिमा और उसकी पड़ोसन शीला दोनों अपनी मृत्यु के बाद यमराज के सामने पहुंच गई। यमराज ने अपना वही खाता खोला। कुछ पढ़ा और सेवकों को कहा, “इसे 36 नंबर कमरे में ले जाओ।” पूर्णिमा खुश थी कि उसने तो बहुत दान पुण्य किया है इसलिए अच्छी जगह ही यमराज ने उसे भेजा होगा। फिर … Read more

एक अनसुलझा रहस्य – आरती झा

सुधा टीचर थी उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी ।बहुत मुश्किल से उसे 1 दिन की छुट्टी मिली ।उसने अपने पति अनिल से भी छुट्टी लेने कहा प्राइवेट नौकरी में छुट्टी कहां मिलती है दोनों को बहुत मुश्किल से छुट्टी मिलती है घर में बहुत सारे कार्य थे। बेचारा नन्हा सा राकेश उसे कुछ समझ … Read more

न्यू जेनरेशन – जया पांडे

बहुत दिनों से पिया एक ब्रेक की तलाश में थी। स्कूल की नौकरी,घर के काम, बच्चों की समस्याएं ,कुल मिलाकर कुछ समय के लिए इन सब कामों से दूर जाना चाहती थी। अचानक एक दिन दोपहर को उसकी छोटी बहन रिया का फ़ोन आया दीदी क्या कर रही हो,चलो लंच कहीं बाहर करतें हैं।मै रोज़ … Read more

सबसे बड़ा धोखा- सांसें – संजय अग्रवाल

सांसे थमने वाली हैं। अटक अटक कर आ रही है, गले से घर्र घर्र की आवाज निकल रही है। आंखों के कोर से आंसू धीमे धीमे बह रहे हैं। चैतन्य तो हूँ मगर इतनी भी नही की जो से आवाज देकर किसी को बुला सकूँ। और सुनेगा भी कौन? यहां है ही कौन? सालो से … Read more

संतान पालो पर उम्मीद मत पालों – डॉ. पारुल अग्रवाल

राजेंद्र जी और मनोहर जी बहुत अच्छे दोस्त थे। बचपन से लेकर जवानी तक का साथ रहा। अब उम्र के सांध्य काल में भी एक-दूसरे से गहरी बनती थी। मनोहर जी कई दिन से महसूस कर रहे थे कि राजेंद्र जी बहुत गुमसुम से हैं।दो तीन तक तो उन्होंने सोचा कि राजेंद्र जी खुद ही … Read more

दहलीज पार करा दो-  भाग-2 – रीमा ठाकुर

अन्नू दरवाजे तक पहुंची ही थी की आभा की धीमी सी आवाज सुनायीं दी” संजय प्लीज गोलियों का असर है, नींद आ रही है सोने दो!  ये रोज रोज के नखरे मेरी समझ से बाहर है, दुनिया में और भी औरते है तुम कोई अकेली नही हो,  संजय ने शायद आभा को झिडक दिया था!  … Read more

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