नींव – विनय कुमार मिश्रा
बड़े ताऊ एक अटैची लिए बड़ी उदास होकर अपने बड़े से मकान से निकल गाँव के ही एक चबूतरे पर बैठ गए। जहां से कुछ ही दूर पर आने जाने के लिए बसें भी रुकती हैं। सामने सड़क सुनसान थी।परेशान हो वो चारो तरफ नज़रें घुमा कर जैसे पूरे गाँव को देख रहे हों। अब … Read more