सपनो की तहरीर – भगवती सक्सेना गौड़
सुबह जैसे ही रवीना की नींद खुली, आज का सपना याद आ गया। वैसे कई बार परेशान रहती थी, सपने में कुछ दखा था, पर याद ही नह आता था। तो आज का सपना उसका बहुत स्वादिष्ट सा था, जो तीस वर्ष पहले की यादों को जीवंत करने पर आमादा था। उसने देखा था, सामने … Read more