सैरोगेट-माँ” – सीमा वर्मा

हरिहर पुर निवासिनी मृणाल की शादी हंसापुर के अमीर घराने के प्रभास जी से तब तय हुआ था जब वह पंद्रह वर्ष की थी। और जिसे उस अपरिपक्व बच्ची ने अपने पिछले जन्म के किसी पुण्य कर्म का फल समझ कर सहर्ष स्वीकार कर लिया था। विवाह की पहली शर्त होती है — समर्पण और … Read more

माता-पिता की सजा संतान को क्यों – सुषमा यादव 

मैं शिक्षिका थी, मेरी दो बेटियां हैं , हमेशा से पढ़ाई में दोनों बहुत तेज   थीं, पति भी अधिकारी थे, ये सब देख कर  पता नहीं क्यों मेरे भाई भाभी को हमारे परिवार से जलन होने लगी, बात बात पर ताने, उलाहने दिये जाते, मैंने अपनी तरफ से संबंधों को सुधारने की बहुत कोशिश … Read more

मासूमियत – पी.एन. मिश्रा

अनुराधा ने आवाज लगाई  तो नवीन घूमा क्या है कल से गर्मियो की छुट्टिया आ रही है तो कल से रोज हम नदी की बालू मे मिट्टी के महल बनाकर खेलेंगे सुबह भी और शाम को भी मगर मै तो कल अपने गांव जा रहा हूं क्या?? तुम गांव चले जाओगे तो मै किसके साथ … Read more

वो एक थप्पड़ – सरिता गर्ग ‘सरि’ 

       बरसों बाद अपने इस पुराने शहर लौटा तो मन में अजीब से भाव कोलाहल मचा रहे थे। बस से उतरते ही देखा आसमान में बादल के काले  -सफेद टुकड़े दौड़ लगा रहे थे। ठंडी हवा बेलौस मतवाली नार सी बह रही थी। मैं चाह रहा था जल्दी घर पहुंच जाऊँ मगर मैने वो रास्ता चुना … Read more

नज़रअंदाज़ – बेला पुनीवाला

    दोस्तों, ज़्यादातर हमारे सुनने में यही आता है की, बच्चो ने अपने माँ – बाप को घर से निकाल दिया या उनका ख्याल नहीं रखा, मगर आज में आप सबको इससे अलग कहानी सुनाना चाहती हूँ, जैसे की हर बार गलती बच्चो की नहीं होती, कभी कभी माँ – बाप भी ज़िम्मेदार होते है।         आकाश … Read more

मीठी नींद – रंजू भाटिया

अभी तक यही अटका है तू …क्या वह मेज मैं साफ करूँगा ? चल जल्दी से जा वहाँ । ग्राहक खड़ा है। पहले मेज साफ कर, फ़िर यह बर्तन धोना । पिंटू जल्दी से वहाँ से उठा और भागा कपड़ा ले कर मेज साफ करने को। ठंड के मारे हाथ नही चल रहे थे, उस … Read more

रिश्ता  नहीं  सौदा था. –  सन्दीप गढवाली

लडके के पिता ने पंडित जी को एक लडकी देखने को कहा ! पण्डित जी बोले हाँ एक लडकी है. अभी कुछ दिनों पहले उसके पिता ने भी एक लडका देखने को कहा था.             एक दिन तय हुवा और शादी हो गयी. सब कुछ ठीक चल रहा था कि कुछ महीनो बाद. लडका लडकी मे … Read more

कलयुग नही मतलबी युग चल रहा है – संगीता अग्रवाल

“बेटा तुम्हारी माँ की तबियत सही नहीं है वो हर पल तुम्हे याद करती हैं एक बार तुम आ जाओ गांव वैसे भी दो साल हो गए तुम्हे यहां आए हुए !” हरिहरण जी अपने बेटे सोमेश से फोन पर बोले। “ओहो बाबूजी मां की तबियत खराब है तो उन्हें डॉक्टरको दिखाओ मेरे आने से … Read more

लौटकर आऊंगा  – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

“छुटकी राखी की थाली सजाकर डेहरी पर बैठ भाई के आने का इंतजार कर रही थी। इंतजार करते-करते बचपन की यादों मे खो गई…” “छुटकी नीचे उतर तुझे मना किया है ना पेड़ पर मत चढ़ा कर।” “उतर रही हूं भैया।” “भैया तुम मुझे पेड़ पर चढ़ने से क्यों मना करते हो? जबकि तुम तो … Read more

 घुटन भरा रिश्ता – संगीता अग्रवाल

“रमिता ओ रमिता कहाँ मर गई ” अमित गुस्से मे ऑफिस से आते ही चिल्लाया। रसोई मे काम करती रमिता भाग कर आई… ” बोलिए” “बोलिए की बच्ची तुमने नैनी को फोन पर क्या कहा “ “मैने वही कहा जो सच था कि मैं आपकी पत्नी हूँ ” इसमे झूठ क्या बोला उसने पूछा था … Read more

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