तिरंगे की कीमत – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा 

हमेशा की तरह आज भी अनु जी पेट्रोल पंप पर पहुँची। पहले अपने स्कूटी में पेट्रोल लिया फिर आगे बढ़ कर सोचा थोड़ी हवा ले लेना ठीक रहेगा।  वहां पर लगभग बारह तेरह साल का बच्चा हवा भरने का काम कर रहा था।  उन्हें देखते ही वह दौड़कर उनके पास आया और बोला-”  मैडम जी … Read more

हमे इंसान हीं रहने दें! -अन्जु सिंगड़ोदिया

हमे इंसान हीं रहने दें! -अन्जु सिंगड़ोदिया अस्पताल से घर आते -आते रात के डेढ़ बज चुके थे। पहले घर का लॉक खोलकर निकिता बाथरूम चली गई ,उसके नहाने के बाद ,वन्दिता नहाकर आई ,तब तक निकिता दो प्यालों में गर्म दूध डालकर डाइनिंग टेबल पर रख रही थी -उसे देखकर बोली -‘-वंदु खाने को … Read more

कृष्णा – प्रीती सक्सेना

काफी पहले की बात है, मै पार्लर के काम से फ्री होकर, बाहर सब्जी वाले से सब्जी ले रही थी, अचानक पड़ोस में काम करने वाली, सावित्री आई, बोली भाभी, ये झाबुआ से आई है मेरी सहेली, आपको जरुरत हो तो काम करने के लिए लगा लीजिए, मैने कहा अभी तो मुझे जरुरत नहीं, पर … Read more

“शहादत” – कविता भड़ाना

तेरी मिट्टी में मिल जावा गुल बनके में खिल जावा इतनी सी है दिल की आरज़ू “ “चारो तरफ फैले घोर अंधकार में, लगातार गरजती, बरसती गोलियों की बरसात, कानफोड़ू बारूद के आग उगलते हुए तेज धमाकों और चारों तरफ बिखरे हुए मानव अंग,इन सबके बीच रोहन ने आंख खोली, पर एक तेज दर्द की … Read more

बाऊजी की थाली – शिखा जैन

बाऊजी के लिये खाने की थाली लगाना आसान काम नहीं था।उनकी थाली लगाने का मतलब था-थाली को विभिन्न पकवानों से इस तरह सजाना मानो ये खाने के लिए नहीं बल्कि किसी प्रदर्शनी में दिखाने के लिए रखी जानी हो। सब्ज़ी,रोटी,दाल सब चीज़ व्यवस्थित तरीके से रखी जाती। घर मे एक ही किनारे वाली थाली थी … Read more

खुद को खुश रखना सबसे बड़ी जवाबदारी है।-सुधा जैन  

निरुपमा सुंदर, समझदार, पढ़ी लिखी प्यारी सी लड़की है। उसने इंटीरियर डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन किया है। लड़कियों के जीवन के बारे में सोचती थी कि अगर अच्छा परिवार पढ़े-लिखे लोग और आर्थिक रूप से सब कुछ ठीक हो तो अपने घर में ही रह कर घर को ही स्वर्ग बनाया जा सकता है। सबसे हिल … Read more

हम भी कुछ करें – कामेश्वरी कर्री

रसोई से बर्तन के गिरने की आवाज़ से राम ने अपनी आँखें खोली और देखा घड़ी की सुई सात बजे हैं दिखा रही थी । राम हड़बड़ा उठा । वह सोचने लगा कि पानी आ कर चला गया होगा अब दिन भर क्या करेंगे ? राम की नींद अभी पूरी नहीं हुई थी और बैठे … Read more

सूखी रेत का महल… – साधना मिश्रा समिश्रा

सतविंदर घर में घुसी तो देखा कि बैठक में चाईजी और प्राजी दोनों बैठकर गहन विचार-विमर्श कर रहे थे। अंतिम वाक्य उसने सुना कि सब ठीक है। सबके पास सब कुछ नहीं होता। सब मनचाहा ही नहीं होता। कहीं न कहीं समझौता तो करना ही पड़ता है। यह चाईजी कह रहीं थीं… उसके घर के … Read more

सूरज न बन पाए तो! – नीलम सौरभ

“क्या गाता है यार आर्यन!…लग रहा था बस सुनते जाओ।” बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा शुभा अपने सहपाठी की प्रशंसा करते हुए नहीं थक रही थी। “सच में! जितना सेंसफुल सॉन्ग था, उतनी ही इमोशन भरी आवाज़…सूरज न बन पाये तो, बनके दीपक जलता चल।” मेधा ने भी कोई कसर बाक़ी न रखी। दोनों की … Read more

ओल की चटनी – संजय सहरिया

योगिता को देखने लड़के वाले आ गए थे.ड्राइंग रूम में योगिता के पापा ,ताऊजी और भैया उनकी खातिरदारी में लगे हुए थे. योगिता को तैयार करने उसकी दो सहेलियां आयी हुई थी.मां लगातार हिदायत दे रही थी बेटी को.योगिता एक पढ़ी लिखी और समझदार लड़की थी.पर माँ तो माँ होती है.वो छोटी छोटी बाते भी … Read more

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