यादें तो मन में होती हैं – अर्चना कोहली “अर्चि”

शुभा की तेरहवीं का  कार्य  संपन्न हो जाने के बाद बेटे और बहू ने रमेश से कहा- “पिताजी आप हमारे साथ चलिए। अकेले कैसे रहेंगे! पहले भी आपसे और माँ से बहुत बार कहा, पर आपने हर बार इनकार कर दिया।” “नहीं बेटा। मैं नहीं चल पाऊँगा”। रमेश ने भरे गले से कहा। “पर क्यों … Read more

भावनात्मक बंधन – कंचन श्रीवास्तव

****************** उम्र के चौबीस बसंत पार करने के बाद आज जब ब्याह की तैयारी हो रही तो रेखा का मन जहां भावी पति को लेके जहां गुदगुदा रहा वहीं दूसरी तरफ नए परिवेश को लेके चिंतित भी हो रहा ,होना स्वाभाविक भी है  अभी तक जिन लोगों के बीच रही वो दादी- बाबा ,बुआ- फुफा,चाचा … Read more

“तिरंगा मेरी शान है” – ऋतु गुप्ता

मालिनी ओ मालिनी सुनती नहीं क्या, कल सुबह हमारा स्वतन्त्रता दिवस है,इस कम्युनिटी हॉल के बाहर मैदान में तिरंगा फहराया जाएगा, बड़े-बड़े लोग आएंगे, देशभक्ति का आलम होगा, और तू है कि अपने काम पर ध्यान ही नहीं देती, तुझे साहब ने बोला था ना कि गेंदे के फूलों की लड़ियां सभी दरवाजे पर लगा … Read more

ममता – मृदुला कुशवाहा

डॉ. अविनाश तेज गति से कार चला रहे थे । साथ में बैठी उनकी पत्नी नेहा और चार साल का बेटा विनय कुरकुरे और चिप्स खा रहे थे।  अविनाश बोला ,” यार नेहा ! तुम भी ना विनय के साथ कभी कभी बच्चा बन जाती हो। “ नेहा हँसी और बोली ,” अविनाश जी ! … Read more

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…”  – *नम्रता सरन “सोना”*

“देखो तो अनंता, ये मुझे भुलक्कड़ कहते हैं, अभी मैंने इनसे पूछा कि आपने ऑइनमेंट रखा, तो बोले भूल गया, मैंने पूछा कि, माला रखी, तो बोले भूल गया, अब तुम बताओ , भुलक्कड़ मैं हूं या यह हैं, घुटनों के दर्द का आइनमेंट भूल आए, अब वहां जाते ही लेना पड़ेगा, और माला… उसके … Read more

नकाब से ढके चेहरे –  गीतांजलि गुप्ता 

रीना के घर जब भी जाती उस छोटी सी सोना को भाग भाग घर कर काम निपटाते देखती,बहुत तरस आता। बारह वर्ष की मासूम उम्र और इतना काम। घर की सफाई से लेकर बच्चा संभालने तक का काम रीना सोना से कराती। बिना किसी शिकायत के सुबह आठ से रात आठ बजे तक सोना खटती … Read more

मैं कहां फंस गई – अभिलाषा आभा

सीमा अपने साथ ससुर और देवर,देवरानी के साथ कोलकाता में रहती थी। सीमा का स्वभाव बहुत ही अच्छा था और वह एक सुघड़ गृहणी थी। घर के सारे काम समय पर करना, सास- ससुर की सेवा करना और देवर-देवरानी के साथ प्यार से रहना, उसे खूब आता था। उनकी की एक ननद थी, पुष्पा। जिसकी … Read more

आजादी का अर्थ – विनोद प्रसाद ‘विप्र’

डिप्टी कलेक्टर के रूप में आज अनुपमा अपने कार्यालय में ध्वजारोहण करने वाली थी। राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भाषण में वह क्या कहेगी, यही सोचते-सोचते वह अतीत में चली गई। काॅलेज की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद वह विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में जुट गई। अपने महत्त्वाकांक्षी सपनों को पूरा करने के … Read more

दिखावे की रस्म- डी. के. निवातियाँ

आज घर में बड़ी चहल पहल थी I और हो भी क्यों न ! घर में मेहमान जो आने वाले थे, वो भी घर की बड़ी बेटी “तनु” को शादी के लिए दिखावे की रस्म अदायगी के लिए I साधारण परिवार में जन्मी तीन बच्चो में सबसे बड़ी बेटी, एक कमरे का मकान जिसमे एक … Read more

बदलती निगाहें – शिल्पा रोंघे

वक्त के साथ लोग भी बदल जाते है,लेकिन स्मिता से मुझें ऐसी उम्मीद नहीं थी. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये वही स्मिता है, जिसकी बड़ी-बड़ी आंखें खिड़की से मुझे झांकती रहती थी. ठीक दोपहर १२ बजे मेरे स्कूल का टाईम हुआ करता था. स्कूल का रास्ता उसके घर के सामने से … Read more

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