वो मनहूस नौलखा – कुमुद मोहन

बिस्तर पर लेटी राधा छत पर घूमते पंखे की घूमती पंखुड़ियों को ध्यान से देख रही थी जिनके घूमने के साथ साथ जैसे वक्त का पहिया कई साल पीछे चला गया हो। सोचते सोचते यादों की किताब के पन्ने जैसे एक-एककर खुलने लगे। वक्त की स्याही धुंधली जरूर पड़ गई थी पर शब्दों के निशान … Read more

रक्षा मर्दन – रंजना बरियार  

शपथ ग्रहण के बाद माननीय मंत्री महोदय घर आने पर सीधे अपनीं अठासी वर्षीया माता जी के कमरे में पहुँचे… ”माँ… माँ आपका बेटा आज मंत्री हो गया है… वो भी आपका आशीर्वाद मिला तो समाज कल्याण विभाग ही मिलेगा…जिसके लिए मैं वर्षों से संघर्ष करता आया हूँ…” कहते हुए उन्होंने बिस्तर पर लेटी माँ … Read more

औरत का आत्मसम्मान  – बेला पुनीवाला

शादी के 15 साल बाद आज सुनीता के पति विशालने बातों ही बातों में किसी बात से नाराज़ होकर सब के सामने कहा, कि ” तूने आज तक किया ही क्या है ?  सिर्फ घर  पे खाना बनाना  और बच्चों को संभालना और वैसे भी आज कल बच्चें भी तुम्हारी बात कहाँ सुनते हैं ? … Read more

 मुन्ना का प्यार – बालेश्वर गुप्ता

   ये क्या बोल रहे हो, बेटा?तुम अमेरिका चले जाओगे तो हम इस उम्र में कैसे जी पायेंगे?यहाँ अपने देश में क्या कमी है, मुझे और तेरी मां दोनों को खूब पेंशन मिलती है, तुम भी कमा ही रहे हो, एक बंगला और एक फ्लैट हमारे पास है, बेटा वो सब हम तुम्हारे नाम कर देते … Read more

भाई हों तो ऐसे – कमलेश राणा

अर्चना का परिवार भरा-पूरा था,,चार भाई और तीन बहनें,,पिताजी सरकारी नौकरी में थे,,कोई चीज की कमी नहीं,, एक दिन अचानक पिताजी को हार्ट अटैक आया और हॉस्पिटल ले जाने से पहले ही उन्होंने दुनियां को अलविदा कह दिया,,यह परिवार के लिए बहुत बड़ा वज्रपात था,, सारे भाई बहन पढ़ रहे थे,,सब एक से बढ़ कर … Read more

अपने आत्म- सम्मान को अब चोट पहुँचने नही दूँगी – किरन विश्वकर्मा

सविता को आज बेटी रूही को दिखाने डॉक्टर के पास जाना था। उसे दो- तीन दिनों से बुखार आ रहा था।वह सास कमला जी के पास गयी और पैसे मांगे। कमला जी ने मुँह बनाते हुए उसे पैसे पकड़ा दिये। उसे यह देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। पति अभय कभी नौकरी करते कभी नौकरी … Read more

हैसियत – सविता गोयल

 ” हूंह… एक भी सामान ढंग का नहीं दे रखा जो हमारे घर में रखा जा सके।  कपड़े लत्ते भी ऐसे दिये हैं कि सारे रिश्तेदारों के सामने हमारी नाक कट गई।  हमने तो सोचा था सरकारी मास्टर की इकलौती बेटी है तो कम से कम ब्याह तो ठीक से करेंगे … लेकिन यहां तो … Read more

बेटी क्या औलाद नहीं-Mukesh Kumar

रूबी की शादी बड़ी धूमधाम से हुई.  अगले दिन वह अपने ससुराल पहुंची ससुराल पहुंचने पर उसका स्वागत उसके सास ने बहुत ही प्यार से किया ससुराल में उसका मान जान कुछ ज्यादा ही हो रहा था क्योंकि वह अपने सास की इकलौती बहू थी क्योंकि उसके पति मनोज का कोई भाई नहीं था। रूबी … Read more

बहू ये तुम्हारा कंगला पीहर नहीं संपन्न ससुराल है – संगीता अग्रवाल

रविवार की सुबह सरगम अपने बालकनी में खड़ी थी क्योंकि आज  पति की छुट्टी रहती हैं इसलिए नाश्ता तैयार  नहीं करना होता है.  आराम से बालकनी में खड़े होकर ठंडी ठंडी हवा का लुत्फ ले रही थी.  तभी उसकी नजर नीचे गली में पड़ी शर्मा जी अपनी बेटी से कह रहे थे, “नहीं बेटा क्यों … Read more

“आत्मसम्मान” – भावना ठाकर 

अस्पताल में अफ़रा-तफ़री मच गई, एक्सिडेंट में बहुत बुरी तरह ज़ख़्मी कोई पेशन्ट आया था। दीप्ति ने देखा वो पेशन्ट शशांक था, जिससे दीप्ति कभी बेइन्तहाँ प्यार करती थी। अपनी जान से ज़्यादा चाहती थी। बेशक शशांक को इस हालत में देखकर दीप्ति का दिल चर्रा उठा, पर लहू-लुहान पूरी तरह से ज़ख़्मी शशांक के … Read more

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