रिश्तों का मूल्य – कुमुद मोहन

मम्मी! बार बार फोन करके मुझे परेशान मत किया करें! नम्रता जी का बेटा अमन लंदन से फोन करके कह रहा था”आप आधा घर किराए पर दे दें आपकी सिक्युरिटी भी रहेगी और महीने के पैसे भी आते रहेंगे! और सर्वेंट क्वार्टर में एक फैमली वाले को रख लो जिससे आपको डामेस्टिक हैल्प भी हो … Read more

खुद्दार – नम्रता सरन “सोना”

  “दादाssss” मम्मी की चीख से सारा घर गूंज उठा। सभी दौड़े आए, वहां का दृश्य देखकर हृदय फट गया, जोधपुरी सूट में दादा का निर्जीव शरीर पड़ा था।  “ओह, दादा ने बात अपने दिल पर ले ली”मम्मी ने रुंधी आवाज़ में कहा। सोना की आंखों के सामने बीते कल का दृश्य एक झटके में … Read more

आत्मसम्मान – तृप्ति शर्मा

सुमि आज बहुत उदास थी। जिन बच्चों की परवरिश की खातिर उसने छोटे से छोटा काम किया । दुत्कारे सही ,अपशब्द सहे ,आज उन्हीं दिल के टुकड़ों को सुमि पर शर्म आ रही थी । कम उम्र में लंबी बिमारी के चलते पति को खो दिया था सुमि ने । सुमी की तो जैसे दुनिया … Read more

 बस अब और नहीं…  – संगीता त्रिपाठी

“तू इतनी देर से आ रही राधा वो भी दो दिन बाद,कभी तो समय पर आ जाया कर “कहते हुये गुस्से से मैंने राधा को देखा।” ये क्या तेरा चेहरा इतना सूजा क्यों हैं,ये कटे होंठ… क्या बात हैं राधा। “कुछ नहीं दीदी”..राधा ऑंखें चुराते बोली।”नहीं कोई बात तो हैं और तू इतनी देर कैसे … Read more

बहरूपिये – विजय शर्मा “विजयेश”

गली में तेज-तेज आवाजों का शोर सुनकर मेरा ध्यान अपने लेखन  से भंग  हो गया। खिड़की में से झाँक   कर  देखा  तो  एक बहरूपिया  नजर  आया । वह  राक्षस  का मुखौटा लगाए था और उसके सर पर  सींग लगे हुए थे। काले लबादे  में  बहुत डरावना और  हुँकार  भरता  वह मुझे बहुत रोचक  प्रतीत  … Read more

 नीरज – नीलिमा सिंघल

नीरजा की शादी उसके माता-पिता ने लड़के वालो की मर्जी से की थी और शादी करके उसको भूल ही गए थे जैसे,,,साथ के साथ ही गौना भी करके विदा कर दिया,,उसके बाद उसको कभी नहीं बुलाया। नया घर नए लोग नये रिवाज सब निभाते हुए नीरजा के दिन बीत रहे थे । शादी के 20 … Read more

“आत्मनिर्भरता” –  सुधा  जैन

 नेहा, सुरभि, कल्पना, आयुषी चारों सहेलियों का अपना संसार है ।महीने में एक बार चारों मिलती है। अपने सुख दुख की बातें करती है… कुछ खाती पीती हैं… और फिर अपने अपने घर चली जाती हैं। हर बार उनकी बातचीत का विषय घर ,परिवार पति , सास यही रहता है। आयुषी अपनी सास के साथ … Read more

आत्मसम्मान”….. की मौत – विनोद सिन्हा “सुदामा”

जाने क्यूँ उसकी मौत पर मन उदास सा हो गया था मेरा दिल बड़ा भारी भारी सा लग रहा था.. …… जबकि मुझे ज्ञात था..जीवन और मृत्यु विधि का विधान है…शरीर नश्वर है और इसका एक न एक दिन नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाना शाश्वत है..क्योंकि प्रकृति सतत यौवन चाहती है. अपनी सभी अचेतन … Read more

राखी – सपना सी.पी. साहू

दो माह पूर्व ही अवनि ब्याहकर ससुराल आई थी। जाॅब में होने के कारण वह घर गृहस्थी के कार्यो में अधिक अभ्यस्त नहीं थी। इस कारण, सास कान्ता देवी और छोटी ननद महक को उसका मजाक बनाने का अक्सर मौका मिल जाया करता था। अवनि अपनी कमजोरियाँ जानती थी, इसलिए कुछ कह नहीं पाती थी … Read more

क्या सारी जिम्मेदारी आपकी है?  – गीता वाधवानी

सुंदर, सुशील, व्यवहार कुशल सांची का 3 वर्ष पहले अखिल से विवाह हुआ था। अखिल की माताजी मृदुला बहुत सरल और सहयोगी स्वभाव की महिला थी और अखिल के पिता चंद्रप्रकाश अक्खड़, स्वयं को सर्वोच्च और सर्वगुण संपन्न समझने वाले व्यक्ति थे।        सांची तब से देखती आ रही थी कि कैसे उसकी सासू मां सुबह … Read more

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