निर्णय  – डा.मधु आंधीवाल

सब आ चुके थे रजत की तबियत अधिक बिगड़ती जा रही थी । उर्बि को कुछ समझ नहीं आ रहा था । वह अपने को बहुत संभाले हुई थी । बच्चे बाहर थे दोनो बेटियाँ और बेटा  सब शाम तक आजायेगे । रजत की लापरवाही से बीमारी बढ़ती गयी । अभी बच्चों की पूरी जिम्मेदारी … Read more

हिम्मत – रीटा मक्कड़

संगीता की शादी को अभी कुछ महीने ही हुए थे। उसने नोटिस किया कि उसके ससुराल में उसके बड़े ननदोई जी का कुछ ज्यादा ही दबदबा है।उनकी छवि ही सबके सामने ऐसी बन चुकी थी कि ससुराल में कोई भी काम उनसे पूछे बिना और उनकी मर्जी के बिना नही होता था।सास ससुर भी उनको … Read more

भले घर की  बहू यह काम करेगी – गीतू महाजन

लॉकडाउन लगा तो मानसी का भी काम पर जाना बंद हो गया। “चलो.. इसी बहाने तुम कुछ आराम तो करोगी मां”, बेटी तुली ने कहा।  “बिल्कुल.. अब छोड़ दो यह सब मां… बहुत कर लिया तुमने.. अब किस चीज़ की कमी है.. या तुम्हें हम पर भरोसा नहीं”, बेटा किशोर भी बोला था। ” तुम … Read more

लालच बुरी बला – सरला मेहता

खुशहाल परिवार की तीनों बहुएँ जब तब गुफ़्तगू करती रहती हैं…  अमीर मायके वाली बड़ी बहू कहती है, ” ये अम्मा जी ने बिस्तर पकड़ लिया है। पर इनकी टाँग तो ऊँची। हमारे पीछे ही पड़ी रहती है। “ मझली कहाँ पीछे रहने वाली, ” हाँ दीदी ! देखो ना लंदन से मेरे भैया ने … Read more

बहुत स्वाभिमानी थी अम्मा – उमा वर्मा 

अम्मा की बरसी है आज।निधि अपने भाई के घर सवेरे ही आ गई थी ।घर में कोई चहल-पहल नहीं है ।बस वह और भाई का परिवार ।एक साथ खाना पीना और अम्मा को याद करना चाहती है वह ।अम्मा को भी तो कोई आडम्बर पसंद नहीं था । बेकार के दिखावे का हमेशा विरोध किया … Read more

मैं भिखारी नहीं हूँ आंटी जी – निभा राजीव “निर्वी”

अनुराधा अपने 8 वर्षीय पुत्र शौर्य को उसके जन्मदिन के अवसर पर उसे लेकर खिलौनों की दुकान पर उसे खिलौने दिलाने आई थी।शौर्य बहुत उत्साहित होकर पूरी दुकान घूम घूम कर देख रहा था और अपने खिलौने पसंद करता जा रहा था। अनुराधा उसके साथ चलती हुई मुग्ध भाव से उसे देखती जा रही थी। … Read more

आत्मसम्मान – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

  जवाब न देना सम्मान था पर खुद के हक के लिए लड़ना आत्मसम्मान हां आत्मसम्मान,यही तो कह गए थे बाबा कि बेटा सब कुछ सहना पर आत्मसम्मान पर आंच आए तो एंडी चोटी का जोर लगाकर सच साबित कर देना ,ताकी आगे से कोई उंगली उठाने की हिम्मत न करें।वरना ,तुम नहीं जानती अबला … Read more

बेटे की इज़्ज़त इज़्ज़त और बहू की ? –  संगीता अग्रवाल

नितिका ने हॉस्पिटल से निकल राहत की सांस ली मानो कितने सालों से जो सांस अटकी थी वो अब आई हो..उसने जल्दी से ऑटो पकड़ा और घर को रवाना हुई । ऑटो मे बैठ उसने सिर पीछे टिका दिया …अतीत की कितनी बाते चलचित्र सी घूमने लगी सामने जिन्हे याद कर कभी उसके चेहरे पर … Read more

एक और अवसर – पायल माहेश्वरी

लड़की देखने व दिखाने की पंरपरा हमारे देश में बहुत पुरानी हैं,हर पंरपरा के पीछे कुछ रिवाज व भावनाएँ छिपी रहती हैं, पर कुछ लोग ये नहीं समझते और जाने अनजाने ही सही पंरपरा के नाम पर दूसरे की भावनाओं व आत्मसम्मान को चोट पहुंचाते हैं, आज ऐसी ही एक कहानी आपके सामने प्रस्तुत हैं। … Read more

आत्मसम्मान – मीनाक्षी सिंह

आत्मसम्मान कहने को तो छोटा शब्द हैं   पर इसका मतलब बहुत बड़ा है!मेरी शादी सन्न 2014 में हुई थी !मेरे पिताजी  फौज में सूबेदार थे! सन्योग से मेरे पिताजी को लड़का भी  रिश्तेदारी में ही मिल गया जिस से घर में ख़ुशी का माहोल था !मैं जैव प्रौद्योगिकी में एमएससी करके बीएड कर रही … Read more

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