बच्चे फूल हैं – कहानी-देवेंद्र कुमार

सुबह का समय। छुट्टी का दिन था। अभी सूरज पूरी तरह उगा नहीं था। सैलानी बाग में सैर कर रहे थे। हल्की हवा बदन पर अच्छी लग रही थी। पेड़-पौधों के पत्ते और टहनियों पर झूलते सुंदर सुगंधित फूल धीरे-धीरे हिल-डुल रहे थे जैसे आपस में बातें कर रहे हों। फूलों की मीठी-मीठी खुशबू हवा … Read more

सुहाना सफर – विजया डालमिया

मेरी जिंदगी की एक ही कहानी है और वह कहानी है  सिर्फ तुम।इस कहानी का एक ही किरदार है और वो  किरदार हो तुम।मैं कभी-कभी सोचती हूँ कि इस सफर की मंजिल क्या है ?क्या इस रात की कोई खूबसूरत सुबह नहीं? क्या इस ख्वाब की कोई ताबीर नहीं ?अच्छा यह बताओ क्या कभी जागते … Read more

परख – भगवती सक्सेना गौड़

हरीतिमा से अचानक मेट्रो में उंसकी पुरानी सखी मिल गयी। पहले तो दोनो ध्यान से देखकर पहचानने की कोशिश करती रही फिर, रवीना ने हाथ बढ़ाते हुए कहा, “हरीतिमा हो ना, मेरी आँखें धोखा नही खा सकती।” “सही पहचाना, कैसी हो।” “बढ़िया।” रवीना ने कहा, “मैं तो कॉलेज जा रही, प्रोफ़ेसर हूँ तुम कहाँ जा … Read more

अनोखा नशा – रणजीत सिंह भाटिया

इंडिया जाने से पहले छोटे भाई हरजीत को फोन पर  बताया कि  ” मैं और तुम्हारी भाभी आ रहे हैं घर की सफाई अच्छी तरह से करवा देना ” उसने कहा ” भाई साहब आप फिकर ना करें मैं सब करवा दूंगा घर पहुंचकर देखा तो हैरान रह गया…!! सारा घर शीशे  की तरह चमक … Read more

गरीब का आत्मसम्मान – डॉ पारुल अग्रवाल

सर्वोदय कॉलोनी शहर का एक संभ्रांत इलाका। जहां अधिकतर काफी पढ़े लिखे उच्चस्तरीय परिवार रहते थे। ऐसे ही एक बड़ी सी कोठी थी,जज रवि माथुर जी की। रवि माथुर जी अपनी पत्नी रजनी जी और दो बच्चों के साथ रहते थे। पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं थी पर अपने पति की उच्च सरकारी नौकरी … Read more

ममता – मृदुला कुशवाहा

डॉ. अविनाश तेज गति से कार चला रहे थे । साथ में बैठी उनकी पत्नी नेहा और चार साल का बेटा विनय कुरकुरे और चिप्स खा रहे थे।  अविनाश बोला ,” यार नेहा ! तुम भी ना विनय के साथ कभी कभी बच्चा बन जाती हो। “ नेहा हँसी और बोली ,” अविनाश जी ! … Read more

कीमती समय !! –  मृदुला कुश्ववाहा

हरीश की आज प्रतियोगी परीक्षा थी और वह परीक्षा केंद्र पहुँचने में पाँच मिनट लेट हो गया। उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया। उसने परीक्षक से विनती की कि “उसे परीक्षा में शामिल होने दिया जाए, वह बचे समय में ही सारे प्रश्नों के हल लिख देगा”।  परन्तु ने उसकी एक ना सुनी और … Read more

कैसी शिकायत – रीटा मक्कड़

अभी सात भी नही बजे थे कि डोर बेल बजी। सुनीता अभी किचन का काम निपटा के रूम में आई ही थी। ये समय उसका सबसे ज्यादा रिलैक्स होने का और खुद के साथ समय बिताने का टाइम होता है । क्योंकि पतिदेव और बेटा नो साढ़े नो तक घर आते हैं और खाना तो … Read more

उपेक्षा – मुकुन्द लाल

भरत अपने ममेरे भाई की शादी में ननिहाल आया हुआ था। मामा के अन्य रिश्तेदारों का रहन-सहन और आकर्षक डिजाइन के महंँगे लिवास के सामने वह अपने पोशाक को तुच्छ महसूस करने लगा। उसके पास स्वेटर, मफलर के साथ मात्र दो सेट मामूली कपड़े थे।   प्रारम्भ में उसके मामा रमाशंकर ने हाल-सामाचार पूछने की औपचारिकता … Read more

बुरा सपना – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

‘मां मुझे अभी शादी नही करनी, मुझे सिविल की तैयारी करनी है।’, संजना ने मां से कहा ‘ठीक है बेटी मत करना, एकबार देख तो ले…देखने मे क्या हर्ज है। इकलौता लड़का है…सुंदर स्मार्ट सरकारी नौकरी है। परिवार बहुत छोटा है,तू आराम से वहां अपनी तैयारी कर सकती है।देखले ऐसे रिश्ते बार-बार नही मिलते।’, मां … Read more

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