वादा – कमलेश राणा

अरे छाया तुम,,कितना सुखद आश्चर्य है न,,कभी सोचा ही नहीं था कि जीवन में कभी मिल पायेंगे,,   हाँ मीता,मुझे भी लग रहा था कि तुम हो,,लेकिन आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,तुझे छू के देखूँ,,कहीं सपना तो नहीं,,   आ गले लग जा यार,,इन पलों को सेलिब्रेट करते हैं,,   मिलन की खुशी … Read more

बाकी सब ठीक है* – नम्रता सरन”सोना

“चिट्ठी…”अचानक पोस्टममेन की आवाज़ से दरवाज़े की तरफ दौड़ पड़ी शालिनी, एक अजीब सा चुंबकीय बुलावा था जैसे, लिफाफा उठाकर देखा, इंश्योरेंस कंपनी का अपडेट था, भारी मन से शालिनी भीतर आ गई, लेकिन आंखों के सामने बीते कुछ चित्र तैर गए। “चिट्ठी…” शालिनी बेतहाशा दौड़ती हुई दरवाजे पर पहूंची। “ये ले बिटिया, तेरी चिट्ठी, … Read more

 मेरा आसमान – नम्रता सरन”सोना

“छोड.. छोड़… छोड़ दे ना प्लीज़, देख , किसी की डायरी पढ़ना अच्छी बात नहीं है, चल दे अब, मेरी डायरी” साधिका ने बेटे आराध्य से अपनी डायरी झपटने का प्रयास किया। “वाह.. वाह… वाह हह, मॉम यू आर एन अमेजिंग राइटर, कितना सुंदर लिखतीं हैं आप, आपकी इन पोयम्स की तो बुक पब्लिश होना … Read more

उम्र कोई भी हो,,आत्मसम्मान के लिए स्वयं कदम बढ़ाना होता है –    नीतिका गुप्ता

आंटी जी, कुछ मदद कर दूं आपकी.. आंटी का दरवाजा खुला था और वह अपने हॉल में कुर्सियां और मेज जमा रही थीं। सूची ने सोचा शायद कुछ प्रोग्राम है इसीलिए आंटी सब कर रही हैं… पड़ोसी होने के नाते सूची ने सुमन जी से पूछा! “नहीं नहीं बेटा बस हो ही गया है,, बस … Read more

हमारे यहां लडकी वालों को देने दिलाने का रिवाज ना है –  कुमुद मोहन 

“ऐ मन्नो!तूने भाई की ससुराल वालों को अच्छी तरह बता दिया ना कि सास के वास्ते सोने की चीज जरूर आऐगी।और हां ये भी कहलवा दियो कि पतली फरचटी सी ना भेज दें कम से कम दो तोले की तो हो!” अपने दामाद की सोने की चेन और तेरे लिए हीरे के ना तो सोने … Read more

झूठा सच – बरखा शुक्ला

भाभी सब काम निपटा कर कॉफी ले आयी थी , समीर को भी रात में कॉफी पीना बहुत पसंद था , समीर की याद से नेहा के मन में एक कसक सी हुई । कॉफी का कप लेते हुए नेहा ने पूछा” छोटू सो गया ?” “हाँ तुम्हारे भईया ने सुलाया । मुझसे कहाँ सोता … Read more

कैसा था यह संघर्ष* – अर्चना नाकरा

पापा मुझे बहुत कुछ करना है’ हम दोनों बहनें, देखना कुछ करके दिखाएंगी!! और ‘रमेश मुस्कुरा देते” रश्मि भी यही कहती ‘मेरी दोनों बेटियां मेरी आंखों का तारा है’ लेकिन बड़ी की जिद थी और वो ‘उस धुन पर पूरी उतरती चली गई’ ‘टॉप किया  था ट्वेल्थ में’ कॉलेज में एडमिशन लिया, फर्स्ट ईयर में … Read more

बाईमाँ और सांवरा – पायल माहेश्वरी

आदरणीय पाठकों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं, इस आधुनिक युग में भगवान और भक्त के सच्चे रिश्ते को दर्शाने वाली मेरी यह रचना अवश्य पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करें। गंगश्याम जी मंदिर राजस्थान के जोधपुर शहर के परकोटे में स्थित प्राचीन व भव्य कृष्ण मंदिर हैं, और बाईमाँ जो अस्सी वर्षीय वयोवृद्ध औरत थी … Read more

हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की” – अनुज सारस्वत

घर में जन्माष्टमी की तैयारी चल रही थी ,फल खीरे ,कूटू का आटा, सिंगाड़ी का आटा, मूंगफली दाना घर में आ चुके थे, सुशीला और उसकी 16 वर्षीय बेटी अनु विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में व्यस्त थी, जैसे गोले की पंजीरी ,चोलाई की पंजीरी, मावे की पंजीरी, सूखे मेवे की पंजीरी और धनिया का … Read more

बेहतर – मधुसूदन शर्मा

हर नौकरी पेशा की सुबह लगभग एक जैसी ही होती है। उठते ही एक कप चाय, फिर प्रातः कर्मों से निवृत्ति, अंत में नाश्ता कर, तैयार हो ऑफिस के लिए भागा दौड़ी। मैं भी कोई अपवाद नहीं हूं। “साहब जी !  जूते पॉलिश कर दिए हैं।” डाइनिंग टेबल से नाश्ता कर उठते उठते मोहन की … Read more

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