माली  – नम्रता सरन “सोना”

औ …औ..औ … अरुंधती की आँख खुली तो किसी के ओकने की आवाज़ सुनकर यकायक विचार मस्तिष्क में कौंधा ..-क्या ये श्यामली को उल्टियां हो रही है.तत्काल ही बिस्तर छोड़ वो बाहर की ओर लपकी ..बाहर जाकर देखा तो श्यामली पौधों को पानी दे रही थी. क्यूँ रे श्यामली अभी तू उल्टी कर रही थी … Read more

इससे बड़ा भी त्याग हो सकता है क्या ? – सुषमा यादव

मेरे साथ मेरे पिता जी और श्वसुर दोनों रहते थे, मेरी एक बेटी दिल्ली में और दूसरी बड़ी बेटी पेरिस में,, बड़ी बेटी की शादी दिल्ली में तय हुई, मैंने महिला संगीत यहां अपने कार्य स्थल म, प्र, में किया और बेटी को लेकर दिल्ली चली गई,इन दोनों बुजुर्गों को लाने की जिम्मेदारी मैंने अपने … Read more

 मातृभूमि के लाल – आरती झा”आद्या”

सबका उत्साह देखते ही बन रहा था। एक दूसरे के साथ चुहलबाजी चल रही थी। छुट्टी तो घर के लिए सिर्फ सौरभ को मिली थी।  जब सही से दाढ़ी मूँछ भी नहीं आती है। माँ के आँचल में ही अपना आशियाना समझते हैं बच्चे, उस उम्र में पढ़ने की अदम्य लालसा होते हुए भी घर … Read more

“एक त्याग ऐसा भी” – कविता भड़ाना

पूरा हॉल खचाखच भरा हुआ था, शहर के बड़े बड़े लोगो के अलावा, मुख्य मंत्री जी बस किसी भी समय पहुंचने वाले ही थे।आज देश का नाम पूरे विश्व में रोशन करने वाली “रिया”का सम्मान किया जाएगा। बैडमिंटन में ” गोल्ड मेडल”लाने वाली रिया ने सबसे छोटी उम्र की खिलाड़ी का भी खिताब अपने नाम … Read more

 सूनी गोद – प्रियंका सक्सेना

दमयंती जी के घर में आज भागमभाग का माहौल है सुबह मुंह अंधेरे ही दोनों बेटे दोनों बहुओं को लेकर हॉस्पिटल जा चुके हैं। अरे!अरे… कुछ गलत मत समझ लीजिएगा, यह दोनों अपनी पत्नियों को किसी प्रॉब्लम की वजह से नहीं, अपितु उनकी डिलीवरी होने वाली है, इस वजह से हाॅस्पिटल ले कर गए हैं। … Read more

“माँ की करधनी” – विजय कुमारी मौर्य”विजय”

रामखिलावन का बड़ा सुन्दर परिवार था। कई सालों बाद माँ फूलमती  की मिन्नतों से…. एक बेटा जन्मा था। रामखिलावन की माँ  उसकी रात-दिन सेवा करती बस दूध पिलाने के लिए ही बहू जानकी  की गोद में देती थी….. पोते के सवा महीने का होने पर उसका नामकरण और गाँव में दावत रखी उस दिन फूलमती … Read more

त्याग की पराकाष्ठा – तृप्ति शर्मा

अभी दो हफ्ते पहले ही पड़ोस में एक नया परिवार आया था । घर में मुखिया रामबाबू उनकी पत्नी ,दो बेटे और एक बेटी थी साथ मे थे। एक दो ढाई साल का छोटा सा बच्चा, सावले रंग का घुघराले बालों वाला,मासूम से चेहरे पर  काजल से काली हुई बडी बडी आंखे। बहुत ही प्यारा … Read more

क्यों पुरुष के त्याग की कोई कीमत नहीं – गीतू महाजन

राकेश आज थका मारा घर आया था।सुबह से ही दुकान पर बहुत भीड़ थी और आज उसके दो कर्मचारी भी छुट्टी कर गए थे इस वजह से दोपहर को खाना भी वह ठीक ढंग से नहीं खा पाया और रात तक आते-आते उसकी हालत पस्त हो गई थी।घर आते ही उसने अपनी पत्नी माला को … Read more

त्याग के उसूलों की हार –  प्रेम बजाज

सब कुछ तो साफ था मेरे सामने। सारे रास्ते खुले थे फिर क्यों नहीं जिंदगी को अपना सका मैं?  क्यों मैं  पीछे मुड़कर नहीं देख पाया? क्या यह जिंदगी मेरी जरा सी भी नहीं है? अगर इसे मैंने खुद चुना है तो अब  क्यों मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ?  उसने तो कहा था मुझे … Read more

मेरे जीवनसाथी  – मीनाक्षी सिंह

जब मेरा विवाह हुआ तब मेरे पति दिल्ली की एक बड़ी कंपनी  में इंजीनियर थे ! बी .टेक  किये  हुए थे ! ये काफी  स्मार्ट  लगते थे अपनी कंपनी यूनिफोर्म में बहुत  ज़मते थे !  जब मेरी सरकारी नौकरी  लगी ! हमारे  आगे काफी बड़ी समस्या आ गयी बच्चों को कौन देखेगा ! क्योंकी मेरा … Read more

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