मुज़रिम –  मुकुन्द लाल 

 वैद्य दिवाकर जी की उम्र जब करमपुर में वैद्यगिरी करते-करते ढलने लगी तो बीस वर्षों के बाद अपने गांव लौट आये। गांव में एक नया जीवन आ गया, छोटे से गांव में दिवाकर जी की बहुत इज्जत थी। इनके गांव में आने के पहले साधारण रोगों के लिए भी शहर दौड़ना पड़ता था।   वैद्यजी उदार … Read more

बेटे के त्याग ने माता-पिता को नवजीवन दिया – नीतिका गुप्ता

मां जी,, क्या मैं दिवाली के लिए घर की साफ सफाई कर दूं ?? शांति बाई ने हिचकते हुए पूछा शांति अब किसी साफ सफाई की जरूरत नहीं है,, अब इस घर में कभी दिवाली नहीं मनाई जाएगी , जिस घर का इकलौता चिराग बुझ गया वहां अब दियों से क्या रोशनी हो पाएगी,, तुम … Read more

नूरी भाभी – संगीता त्रिपाठी : Hindi kahani online

मुझे बचपन की नूरी भाभी याद आ गई। मै सोचती हूँ क्या सच में कोई इतना त्यागशील हो सकता। स्त्री तो त्याग की मूरत होती है पर पुरुष भी कम नहीं होते, बस उनका त्याग दिखता कम है। आइये नूरी भाभी की कहानी की ओर चलते है।              एक अलसुबह ऑंखें खुली तो पड़ोस का घर … Read more

त्याग – डाॅ संजु झा

आखिर उमा थी तो इंसान ही.मानवीय  कमजोरियाँ कभी-कभार उसपर हावी हो ही जातीं.नहीं चाहने पर भी अनगिनत ख्यालें और यादें उसका पीछा नहीं छोड़ती. उसके अंतर्मन की यादें परत-दर-परत अनायास  ही खुलने लगीं और अंतस की भीतरी तहों में दबी अतीत की यादें उसके सामने एक-एककर जीवंत हो उठीं.यादें उसके मन में बारिश के समान … Read more

“मेरा गाँव मेरा देश ‘ – सीमा वर्मा

साथियों नमस्कार 🙏 इन दिनों मैं अमेरिका प्रवास पर हूँ। जहाँ के बड़े- बड़े घर ,शांत-चौड़ी धूल रहित सड़कें , हर वक्त चारो तरफ फैली अपूर्व शांति  बैकयार्ड में बना विशाल स्वीमिंग पुल जो नदी के किनारे जैसा एहसास  दिलाता है। मैं जब कभी उसके किनारे लगे हुए झूले पर बैठ  आँखें मूंद लेती हूँ … Read more

कौशल्या आंटी – ऋतु अग्रवाल

  कौशल्या आंटी! हाँ! यही नाम था उनका। कौशल्या आंटी हमारे पड़ोस में रहती थी। मेरे घर से दो घर छोड़कर। बड़ी, मोटी तगड़ी थी वो। हम गली के बच्चे उनसे बड़े मजे लेते थे। होली के दिन तो हम सबसे ज्यादा गुब्बारे उन्हीं को मारते थे। पता है, क्यों? क्योंकि वह इतनी मोटी थी कि … Read more

दुलारी सिम्मी – डा उर्मिला सिन्हा

 आज क‌ई वर्षों के पश्चात् मायके की सीढ़ियां चढ़ती सिम्मी की आंखें भर आईं। यह वही घर है जहां उसका जन्म हुआ, घुटनों चली बड़ी हुई।पढ़ाई पूरी की।व्याही गई। दादा दादी, माता-पिता, चाचा चाची के आंखों की पुतली सिम्मी। भाई-बहनों के दिल की धड़कन दुलारी सिम्मी।   न‌ आज दादा दादी हैं और न माता-पिता । … Read more

रिश्तों का मोल  – मीनाक्षी सिंह

मेरे ससुर जी का देहांत 2017 में अचानक  ही हो गया था ! वो हष्ट – पुष्ट शरीर के स्वस्थ इंसान थे ! हम में से कोई उनके ऐसे चले जाने पर विश्वास नहीं कर पाया ! उनके दो विवाह हुए थे ! हमारी बड़ी मम्मी  कैंसर से लड़ते हुए अपने फूल से तीन बच्चों … Read more

औरत त्याग की मूरत  – मीनाक्षी सिंह 

माँ शब्द ही अपने आप में त्याग का सम्पूर्ण रुप हैं ! माहेश्वरी जी के पति फौज में सूबेदार थे ! अब माहेश्वरी जी की उम्र 45 साल हो गई थी ! पति बनवारी भी 48 के हो गए थे ! जब माहेश्वरी जी बनवारी जी के घर में ब्याह के आयी थी तो सोचा … Read more

चुनरी – अंजू खरबंदा

रेशमी घने कमर तक लहराते बाल… सफेद सलवार सूट पर ओढी खूबसूरत आसमानी चुनरी… चुनरी के दोनों किनारों पर लगा रेशमी गोटा… पैरों में छन छन बजती पायल…झील सी गहरी आंखे…. किसी को भी मदहोश करने के लिये काफी है । पढ़ा था सुना था और आज देख भी लिया – कश्मीर की कली! धीरे … Read more

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