कसक – मुकुन्द लाल
अंधेरी रात में मूसलाधार बारिश हो रही थी। रह-रहकर बिजली चमक रही थी। बादल गरज रहा था।। हवा तूफ़ान की तरह तेज गति से बह रही थी। नालियों में वर्षा का पानी ‘घर्र-घर्र’ की आवाज के साथ बह रहा था। पेड़ों की डालियाँ बेतरतीब ढंग से हिल रही थी, मानो टूट कर गिर जाएगी। ऐसा … Read more