श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चैत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है? इस व्रत का क्या फल है, इसे किस प्रकार करना उचित है? पहले इस व्रत को किसने किया? सो विस्तार से कहिये। बृहस्पतिजी का ऐसा प्रश्न सुन ब्रह्माजी ने … Read more

मोतीचूर के लड्डू – ऋचा उनियाल बोंठीयाल

पांच रुपए का सिक्का अपने पुराने से स्टील के डब्बे में डाल कर भोलू ने एक गहरी सांस ली। आज की उसकी बोनी हो चुकी थी और आगे अच्छी कमाई की उम्मीद लिए उसने फिर ज़ोर से आवाज़ लगाई   “बूट पॉलिश…., बस पांच रुपए में … बूट पॉलिश करा लो….” महज़ 10 साल का … Read more

वैंपायर की मुहब्बत – नीलिमा सिंघल

आस्था बचपन से ही कल्पनाओं के सागर मे गोते लगाती रहती थी,,,कभी उसको लगता कहीं से ऐसी गाड़ी मिल जाए जो बटन दबाने से बड़ी हो जाए जो तैर सके उड़ सके,,,, कभी सोचती उसको सिंड्रैला की तरह परी मिल जाए जो उसको बहुत प्यार करे और अपनी जादू की छड़ी से सब कुछ अच्छा … Read more

नीनू चली जादू नगरी –  सरला मेहता

#जादुई_दुनिया दीवाली के लिए मम्मा ने गुजिया लड्डू बनाकर ऊँची रेक पर रख दिए।नीनू सोचने लगी मैं गुड़िया बहियन की छोटी गुजिया केही विधि पाऊँ ? लेकिन उसके सारे प्रयास विफ़ल।  नीनू ललचा कर माँगती है,” बस एक गुजिया दो ना मम्मा,सच्ची बस एक ही। “ माँ फटकार लगा देती है, ” बिलकुल नहीं, सब … Read more

स्त्री का चरित्र – पूजा मनोज अग्रवाल

नेहा एक स्वछन्द स्वभाव की हँसमुख सी लडकी थी । बचपन से ही आत्मविश्वास से लबरेज नेहा अपने दम पर कुछ करने की चाह रखती थी,,,एम बी ए  के आखिरी वर्ष मे ही थी,,,कि  माता-पिता ने लड़का देखना शुरु कर दिया । नेहा अभी अगले कुछ वर्षों  तक विवाह करने की इच्छुक ना थी,,,वह आत्मनिर्भर … Read more

“सच्चा प्यार दुर्लभ” – दीपा साहू

आर्या ने आर्यन से कहा- “यार ये प्यार व्यार का रिश्ता नही चाहिए यार तुम मेरे बड़े अच्छे दोस्त हो।” सफर ज़िन्दगी का कट रहा , प्यार की तोहमत न लगा मेरे दोस्ती पर। मैं तुमसे प्यार करता हूँ,आर्या तुम मेरी हो किसी और के बारे मे सोचना मत तुम  तुम सिर्फ मेरी बनोगी।तुम्हे कभी … Read more

मेरे पापा : मेरे हीरो! – प्रीति आनंद अस्थाना

आज सुबह दफ्तर पहुँचा ही था कि बॉस ने बुलवा भेजा। पता था कि आज क्लास लगेगी पर इतनी जल्दी? “देखो वर्मा, ये तीसरा प्रोजेक्ट भी हमारे पास से निकल गया। आजकल कुछ टिकता ही नहीं तुम्हारे हाथों में! एक एक कर तुम्हारे तीन प्रोजेक्ट कंपनी के हाथों से निकल गए हैं। अब एक ही … Read more

काकी – के कामेश्वरी

काकी मेरे साथ अस्पताल चलोगी क्या? कविता के डिलीवरी का समय है और कविता के पापा को भी अभी ही ऑफिस के काम से शहर से बाहर जाना पड़ गया है और मेरे तो हाथ-पैर काँप रहे हैं । आप जानती हैं न मुझे वैसे भी अस्पताल के नाम से ही डर लगता है ।तुम … Read more

“ताना” – मीनाक्षी राय

यह एक कहानी का शीर्षक है,जहां पर एक लड़की मीत  है, जो अपने ससुराल जाती है | उसके ससुराल वाले को पता चलता है कि इसकी बहन ने अलग जाति के लड़के  से शादी कर ली है, तो बहू को किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है | इसको मैंने एक कहानी का रूप … Read more

नरमुंडा की दुनिया   – अनुज सारस्वत

#जादुई_दुनिया “मेरा तो जीना ही बेकार है,इससे अच्छा तो कही कुएं में डूबकर मर जाऊँ” जंगल के रास्ते घर जाते हुए खैंचूमल इतना सोच ही रहा था कि उसका पैर एक दलदली जमीन पर पड़ा और उसका सारा शरीर उस जमीन में घुसता चला गया  “अरे मार दियो रे मार दियो रे ” के करूण  … Read more

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