नईहर – सारिका चौरसिया
बंदरिया के छोटे बच्चे सी सीने में चिपकी बच्ची लिये गले तक लम्बा घूंघट काढ़े वह चुप, ड्योढ़ी पर खड़ी थी,, ठसक गंवई बोली में तेज!तीखी आवाज में बोलती साथ आयी दूसरी औरत, ठिगनी सी…किन्तु तेजतर्रार थी। शीशम की बढ़िया कामदार कशीदा करी चांदी की मुठ जड़ी चौकी पर करमशाही अंदाज में मसनद के सहारे … Read more