उचित निर्णय –  डॉ शिखा कौशिक ‘नूतन’

” ….आज पूरे पांच वर्ष हो गए अन्नपूर्णा से न मिले लेकिन ह्रदय आज जितना व्याकुल  हो रहा  है उतना पिछले पांच वर्षों में कभी  नहीं हुआ  | अन्नपूर्णा तो और लोग कहते थे …मेरे लिए तो केवल ‘ अन्नू ‘ थी वह ——-मेरी प्रियेसी , मेरी दोस्त —-मेरा सर्वस्व | आज  भी याद है … Read more

दरकते रिश्ते टूटते परिवार – रंजू भाटिया

औरत और मर्द का रिश्ता इतना उलझा हुआ क्यों हो जाता है आखिर…और वो तब जब वो रिश्ता पति पत्नी का हो ?  अभी ऐसे ही किसी की कुछ इसी” दरकते रिश्ते “की कहानी सुनते हुए पीछे पढ़ी हुई कुछ पंक्तियां याद आई कि ” औरत और मर्द का रिश्ता  जो इंसान को इंसान के … Read more

वो मेरी गलती थी –  डॉ शिखा कौशिक ‘नूतन’

सिमरन जनवरी की कड़कती सुबह में रजाई के भीतर बैड पर लेटी हुई थी । उसका दिल व् दिमाग दोनों सुलग रहे थे । रात भर वह  इसी तरह उलझनों के चक्रव्यूह में चक्कर लगाती रही थी। आज न उसका ऑफिस जाने का प्रोग्राम था और न ही पतिदेव हर्ष के लिए चाय बनाने का … Read more

दायित्व – शिखा श्रीवास्तव

राशि अपनी मेड माला के इंतज़ार में बैठी थी। घर का सारा काम पड़ा हुआ था। जैसे ही माला आयी राशि ने गुस्से में कहा- माला क्या घड़ी देखनी नहीं आती तुम्हें। कल भी देर से आई तुम और आज भी। माला बोली- बीबीजी त्योहार का वक्त है ना। हर घर में काम बढ़ा हुआ … Read more

सरप्राइज – मीनाक्षी चौहान

मम्मी जी के चेहरे की चमक और किचन से आती पकवानों की महक दोनों की वजह एक ही है। आज लंच में उनकी एक फ्रेंड आने वाली हैं कल ही बता दिया था उन्होंने। कल ही मेरे साथ अपनी फ्रेंड को गिफ्ट में देने के लिए महंगी सी साड़ी भी ले आईं। आज मुझसे भी … Read more

बरसात! तुमने मुझे अनाथ कर दिया। – सरगम भट्ट

बारिश का मौसम देख ही सुनीता का दिल घबराने लगा , वह सभी खिड़की दरवाजे बंद कर ” ……!!! अपने बेडरूम में आकर आंख बंद करके लेट गई । विकास भी अपने ऑफिस के काम से ” दो दिन के लिए बाहर गया था , आज आने वाला है ‘ लेकिन आते-आते रात हो जाएगी … Read more

तूफानी रात – सीमा वर्णिका

मौसम सुबह से खराब हो रहा था । नौकरी भी बहुत बड़ी मजबूरी बन जाती है कभी-कभी..। क्या करे वह चाह कर भी छोटी-छोटी वजहों पर छुट्टी नहीं ले सकता था । अनमना सा वह ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा । ” दीप्ति.. मेरा टिफिन तैयार है.. मैं निकलूँ.. पता नहीं कब.. यह बरसात … Read more

 माँ की कोठरी – आरती झा”आद्या

भीगी सड़क देख अनायास ही अरुण के चेहरे पर मुस्कुराहट खेल गई। उसने पूरी कोशिश की थी कि सामने बैठी पत्नी विधि की नजर उसके मुस्कुराते चेहरे पर ना पड़े।  विधि चाय का कप उठाते हुए पूछ ही बैठी.. बारिश देख अरुणा की याद आ गई क्या… अरुणा अरुण की छोटी बहन..अरुण से महज दो … Read more

बहुरानी – आरती झा”आद्या”

क्या है माँ.. शादी शादी। नहीं करनी मुझे शादी। सुबह सुबह ही शुरू हो जाती हैं आप। इसके अलावा आपके पास करने के लिए कोई और बात नहीं है क्या…मुझे ऑफिस भी जाना है.. बाद में बात करता हूँ.. सुभाष फोन पर अपनी माँ से कहता है। रुक पहले मेरी बात सुन। इस सप्ताह हम … Read more

कोई तीसरा – गीतू महाजन

बाहर हल्की हल्की बूंदाबांदी पड़नी शुरू हो गई थी।समीर सोफे पर चुपचाप बैठा निशा को उसका सामान इकट्ठा करते हुए देख रहा था।समीर की आंखें बता रही थी कि वह सारी रात सोया नहीं था..सोता भी कैसे रात को ही निशा ने उसे अपना फैसला सुना दिया था।वह जा रही थी उससे अलग हो रही … Read more

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