टैग – पुष्पा कुमारी पुष्प

“मम्मी जी के लिए यह साड़ी कैसी रहेगी?..आप जरा देखकर बताइए।” मॉल से कपड़े खरीदती रागिनी ने अपनी सास के लिए एक साड़ी पसंद कर अपने पति राजीव की ओर बढ़ा दिया। “मांँ को हल्के रंग की साड़ी पसंद आती है!.उन्हें गाढ़ा रंग पसंद नहीं।” यह कहते हुए राजीव ने रागिनी को अपनी तरफ से … Read more

वो दबी मुड़ी रोटियां – नीरजा कृष्णा

आज उनके घर में कुछ मित्र रात्रिभोज के लिए आ रहे थे…सब तरह की तैयारियां की गई… रागिनी को इतना भागते दौड़ते देख कर पापा जी का मन भीग सा गया,”अरे बिटिया, तुम बहुत थक जाओगी… हर चीज़ घर में  कहाँ तक बनाओगी… रूमाली रोटी…बटर नान और स्टफ्ड कुलचे बाहर से आ जाऐंगे… सब्जियां तुमलोग … Read more

हमारी छोरी,छोरे से कम ना है – डॉ पारुल अग्रवाल

#बेटी_हमारा_स्वाभिमान कहते है बेटी पराई होती है, पता नहीं किसने ये रीत बनायी। क्या बेटी के पैदा होने में कम समय लगता है या दर्द नहीं होता खैर ये तो हमारे समाज की संकीर्ण सोच है पर मेरे को लगता है कि जब हम हर बात पर आधुनिकता का ढिंढोरा पीटते हैं तो इस बात … Read more

सच्ची श्रद्धा” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

पंडित जी बड़े मनोयोग से पुण्य तिथी का श्राद्ध कर्म करवाने में लगे हुए थे। तर्पण की सारी व्यवस्था ठाकुर साहब के तीनों बेटों ने धूमधाम से कर रखी थी। कोई कमी नहीं रहे इसका उन्होंने खास ख्याल रखा था। पांच प्रकार के पांच पेटी फल,  सूखे मेवे, पांच तरह की मिठाई, और तरह तरह … Read more

सही फ़ैसला – *नम्रता सरन “सोना”* : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : सीमा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई… घर की छत पंखे की तरह घूमती महसूस हो रही थी। उफ ! ये कैसे मुमकिन है…. क्या ये सच है ?…नही ऐसा नहीं हो सकता…. शायद मुझे कुछ गलतफ़हमी हो रही है…सीमा के मस्तिष्क में हजारों सवाल एक साथ उठ रहे थे। … Read more

ममता का कर्ज़ – कल्पना मिश्रा

“डॉक्टर साहब, जब आप छुट्टी पर थे तब कोई आदमी एक बुढ़िया को यहाँ भर्ती कराकर चला गया है और तबसे आज तक वापस लौटकर ही नही आया। दिक्कत ये है कि वह बुढ़िया अपने बारे में कुछ भी नही बता पा रही है। हमने बहुत कोशिश किया पर भर्ती कराने वाले ने अपना नाम, … Read more

हस्तक्षेप – डा.मधु आंधीवाल

———— ये एक सत्य घटना पर है कि अच्छे भले रिश्ते कैसे बिखर जाते हैं। पद्मिनी एक सोफ्टवेयर इंजीनियर प्यारी सी बहुत अच्छी पोस्ट पर आंध्रा के अच्छे कुलीन ब्राह्मण परिवार की छोटी लाडली बेटी थी । उसी की कम्पनी में उ.प्र के ब्राह्मण परिवार का ही अनुज नाम का इंजीनियर भी था पर वह … Read more

दीवार – हेमलता पंत

स्नेहा सरप्राइज …… सुमित ने अॉफिस से आते ही एक लिफाफा स्नेहा को पकड़ा दिया | लिफाफा खोलते ही स्नेहा के माथे में लकीरें उभर आईं | यह क्या तुम खुश नहीं हुईं, आखिर तुम्हारे मायके की टिकट हैं | स्नेहा चुपचाप किचन में जाकर डिनर की तैयारी करने लगी |सुमित सोच में डूब गया … Read more

जोरू का गुलाम – ऋतु अग्रवाल

तुषा दीदी!आप,माँ और बच्चे खाना खा लीजिए। मैं आपके भैया और पापा जी के आने के बाद खा लूँगी।” राजिता ने खाने की मेज लगाते हुए कहा।    “अरे भाभी! आप भी आ जाओ। साथ खाएँगे।”तुषा ने राजिता का हाथ पकड़कर कहा।    “तो फिर रोटियाँ कैसे सकेंगी?”  माँ का स्वर थोड़ा तल्ख हो गया … Read more

अन्नपूर्णा  – पूजा मनोज अग्रवाल

जून जुलाई की झुलसाती दोपहर मे चलती लू के गर्म थपेडों के बीच, कमजोर सी देह वाले एक वयोवृद्ध व्यक्ति पसीने मे लथ-पथ,,, घर के बाहर खड़े थे । उनकी उम्र कुछ साठ – पैंसठ वर्ष के आस पास रही होगी ,,,,वे बड़ी उम्मीद भरी निगाहों से हमारे घर की ओर देख रहे थे ।   … Read more

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