सेवा का मेवा – उषा गुप्ता
“अरे ,कोई तो सुन लो ,बड़की …मझली …छोटी ,कोई तो आ जाओ।सारे कपड़े गीले हो गए हैं।बदल दो रे।” बिस्तर पर लेटे हुए सासु माँ का बोलना बराबर चालू था। जब कोई नहीं आया तो व्हीलचेयर को घसीटते हुए राजेश बाबू अंदर आए और बोले, “रमा बेटा “ ” पापा ,बच्चों का स्कूल का समय … Read more