सेवा का मेवा – उषा गुप्ता

“अरे ,कोई तो सुन लो ,बड़की …मझली …छोटी ,कोई तो आ जाओ।सारे कपड़े गीले हो गए हैं।बदल दो रे।” बिस्तर पर लेटे हुए सासु माँ का बोलना बराबर चालू था। जब कोई नहीं आया तो व्हीलचेयर को घसीटते हुए राजेश बाबू अंदर आए और बोले, “रमा बेटा “ ” पापा ,बच्चों का स्कूल का समय … Read more

कल किसने देखा है – रश्मि प्रकाश

हर साल गर्मी की छुट्टियों में हम बच्चों के साथ कहीं ना कहीं घूमने जाते थे और इस बार  हमने शिमला जाने का प्लान बनाया।  शिमला का नाम आते ही मुझे याद आया कि वहां मेरी कॉलेज की बेस्ट फ्रेंड सुहानी भी रहती है।  मैंने अपने पति से कहा,  “हम शिमला जाएंगे तो  तो मैं … Read more

मेरी पहचान है बेटियाँ  – विभा गुप्ता

  ” कैसे करेंगे तीन-तीन बेटियों की शादी विमल बाबू?दो बेटियाँ कम थीं जो एक और को ले आये।” पड़ोस के मिस्टर वर्मा व्यंग्य से बोले जब विमल बाबू ने उन्हें कन्या-जन्म की मिठाई खिलाई।जवाब में विमल बाबू ने हमेशा की तरह मुस्कुरा दिया।तीसरी पुत्री के जन्म पर उनके रिश्तेदारों ने भी उन्हें और उनकी पत्नी … Read more

 डर पर जीत – लतिका श्रीवास्तव

आज भी ट्रेन लेट होती जा रही थी…..पानी पीने के लिए बॉटल निकाली ही थी कि हाथ से छूटकर गिर गई उठाने के लिए झुकी ही थी कि किसी ने बॉटल देते हुए …..प्रणाम मैम”…. कहते हुए पैर छू लिए तो शमिता चकित हो गई!कौन है ?का स्वाभाविक प्रश्न उसकी आंखों में पढ़ते हुए सामने … Read more

मेरी बेटियां,मेरा अभिमान,मेरा गुरूर – सुषमा यादव

 #बेटी हमारा स्वाभिमान  ,,मेरी सभी कहानियां हकीकत बयां करती हैं,, इसलिए मैं असली नाम और स्थान लिखने से  परहेज़ करतीं हूं,,पर एक बहुत बड़े साहित्य मंच की प्रसिद्ध लेखिका ने लिखा,, आप की सभी कहानियां सच्चाई लिए हुए बहुत ही बेहतरीन रहतीं हैं,, आप बहुत अच्छा लिखती हैं, परंतु यदि आप अपनी कहानियों में किरदारों … Read more

पुनर्मिलन – तृप्ति शर्मा

#बेटी_हमारा_स्वाभिमान आज उसे अनमना सा देख रोहित ने पूछा तो उसने कह तो दिया कुछ नही पर क्या सच मे कुछ नही था। जीवन की भेंट की हुई बहुत सी उथल पुथल के बावजूद बचपन, जवानी के बाद आज उस पड़ाव पर खड़ी थी जहां उसके पास सब कुछ था पर अकेलेपन का डर भी … Read more

वहम – डॉ उर्मिला सिन्हा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  कहते हैं वहम का इलाज हकीम सुलेमान के पास भी नहीं है और सुरेखा तो साधारण मानवी है। पहिरावा, दिखावा से भले ही वह शिक्षित,आधुनिका दिखाई देती है, परंतु बाल्यावस्था से मन में कुछ मनोवैज्ञानिक गुत्थियां अवश्य पाले हुई है।    सुबह जल्दी में थी। गृहिणियों का प्रातकाल वैसे भी बड़ा … Read more

प्रतिज्ञा – तरन्नुम तन्हा

चार दिन बाद घर लौटी तो बीमार माँ की सेवा में लगी फुलटाइम मेड-नर्स, नीना, ने बताया कि माँ बस जूस और सूप ले रही हैं; दलिया तो देखती भी नहीं। “उनकी पसंद का कुछ और बना लेती न!” “बच्चे की तरह जिद पर हैं कि सुहानी के हाथ से ही खाऊँगी,” नीना बहुत होपलैस … Read more

रिश्ता बराबरी का होना चाहिये -प्रीति गुप्ता

दीपाली एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की है। माता पिता के अलावा एक छोटा भाई है। पिता की छोटी सी सरकारी नौकरी में दोनो बच्चो कि परवरिश अच्छी हो रही थी। देखते देखते समय निकल गया दीपाली ने खूब पढ़ाई करके मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले लिया। अपनी पढ़ाई के साथ एक हॉस्पिटल में पार्ट टाइम … Read more

भीगे पल – विजया  डालमिया

बरसते भीगते मौसम के साथ शिल्पा का मन भी आज ना जाने क्यों भीगता चले जा रहा था। यूँ तो उसने कभी भी मौसम के बदलाव से अपने आप में कोई फर्क कभी नहीं महसूस किया। जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते निभाते कितने ही मौसम यूँ ही गुजर गए उसे पता ही नहीं चला। उसकी जिंदगी … Read more

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