राजा साहब (भाग 6 ) – रश्मि प्रकाश

राजा साहब भागे भागे रज्जु की कोठी पर पहुँचे उनके पीछे पीछे हरिया भी सोना, सोहम और सोहा को ले आया था। “ ये क्या बात हुई रज्जु एक दिन में ही तुमने जाने की बात कह दी.. ना पहले कुछ सुनने को तैयार हुई ना अब बस तुम्हें भागने की आदत है..!” राजा साहब … Read more

राजा साहब (भाग 7 ) – रश्मि प्रकाश

ऐसे ही महीने बीतने लगे रज्जु ने स्कूल आना बंद कर दिया कजली भी अब कभी आती कभी नहीं आती । राजा साहब से रहा नहीं गया तो हरिया को ले रज्जु के घर पहुँच गए। घर पहुँचे तो रज्जु के माता पिता घबरा गए। वो लोग रज्जु से मिलने नही दे रहे थे। राजा … Read more

राजा साहब (भाग 8 ) – रश्मि प्रकाश

राजा साहब अब सब छोड़ कर पिता के कारोबार में लग गए जो शहर जाकर सामान लाते और अपनी एक छोटी सी परचून की दुकान पर बेचा करते। गाँव में कम उम्र में ही ब्याह कर दिया जाता है बस राजा साहब के लिए भी रिश्ते की बात चलने लगी।राजा साहब हर रिश्ते में कमी … Read more

राजा साहब (आखिरी भाग ) – रश्मि प्रकाश

“ ये सब क्या है राजा?” पिता ने कड़क आवाज़ में पूछा “ पिताजी आप सदैव कहते हैं ना किसी भी अबला को मुसीबत में देखो तो मदद करना चाहिए.. बस आज ये लड़की अपने बच्चे के साथ नदी में कूद कर जान देने जा रही थी …..मैं इसे अपने साथ घर ले आया.. अब … Read more

बिल्लो रानी – नीरजा कृष्णा

रात को अचानक फोन घरघरा उठा। थोड़ा झल्लाते हुए उठाया, उधर से आवाज़ आई,”हाय बिल्लो! कैसी है तू?”   वो चौंक गई…..। इतने सालों में तो अपना ये प्यारा नाम भी भूल चुकी थीं। अपने माता पिता की इकलौती संतान तो थी हीं, बहुत मानता आदि के बाद उनका जन्म हुआ था। दादी ने उन्हें … Read more

बेटी  हमारा स्वाभिमान – स्वेता मंजु शर्मा 

एक माँ थी । उसकी तीन बेटियां थीं । माँ बहुत पढ़ी लिखी थी । एकांत के क्षणों में अक्सर अपने पति से सिर्फ एक ही बात कहती थी…. ” हम अपनी बेटियों की शादी सरकारी नौकरी वाले लड़कों से करेंगे. हम इनको खूब पढायेंगे”। सीमित आय में उस माँ ने कभी अपने पति से … Read more

उपहार –  दीप्ति सिंह

रमेश के पास विवाहिता छोटी बेटी प्रभा की पी. एच. डी. पूरी होने का फोन आया ।आशीर्वादों से नहला कर पत्नी रेवती को फोन दे दिया। माँ बेटी बतला रही थी।  उधर रमेश जैसे स्वयं से बाते कर रहे थे।    रेवती, तीन भाइयों की इकलौती सबसे छोटी व लाडली बहन थी । गाँव अत्यंत पिछड़ा … Read more

कब ग़ैरअपने बन जाते पता ही नहीं चलता – रश्मि प्रकाश

सरला ताई अकेली बड़े से घर में रहती थी। पति बहुत पहले ही गुजर गये थे एक बेटा था वो विदेश में रहता था। अपने घर और जगह से इतना लगाव था कि वो लाख बोलने के बाद भी बेटे बहु के साथ रहने नहीं जाती हर बार यह कहती जब तक हाथ पैर चल … Read more

ऋण – स्मिता सिंह चौहान

यार सुमी और कितना वक्त लगेगा, हमारा दूर का सफर है देर हो जायेगी ।जरा बोलो ना विशाल से (सुमि का भाई)थोड़ा पंडित जी को बोले जल्दी करें ।बरसी ही तो है, अब पापाजी दुनिया से चले गये ,अब वो कौन सा देख रहे हैं कि हम उनहे क्या दे रहे हैं क्या नही ?”शुभम् … Read more

 वसीयत – बेला पुनिवाला

    हां, तो दोस्तों, आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसने अपने बेटी और बेटों में फ़र्क ना किया, लोगो की बातों को अनदेखा कर अपनी बेटी को भी वही हक़ दिए, जो एक बेटे को मिलते है, अब आगे…             एक गांव में किशोरीलाल का परिवार रहता था, जो गांव के बड़े … Read more

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