आया सावन झूम के – अनुज सारस्वत

“चलो भाई टाईम हो गया आफिस का निकलो कि यहीं बसेरा डालना “ हमारे साथी ने साढ़े पाँच किलो वजनी हाथ हमारे नाजुक से कंधो के सारे तंतू हिलाते हुए कहा ,इधर हमारा कंधा पीसा की मीनार से चार अक्षांश पर झुका और हमारे चेहरे अंदर के क्रोध को बाहर आने से रोकने के लिये … Read more

हरियाली अमावस्या की वह काली रात” – अनिता गुप्ता

सावन के आतें ही मुझको अमावस्या की उस  घनी काली रात की याद आ जाती है। जो पतिदेव और मैंने दहशत में काटी थी। सावन की रातों में चन्द्र दर्शन कम ही होते है , क्यों कि काले – काले बादल चन्द्रमा को अपने आगोश में ले लेते हैं। इसलिए रातें अंधेरी होती है  और … Read more

वो कौन थी – कमलेश राणा

हमारा रोज का नियम था कि रात को काम निपटाने के बाद सारी बहुएं सासू माँ के पास जरूर कुछ देर के लिए बैठते थे,, सारे दिन में यही ऐसा वक़्त होता था जब सारी महिलाएं और बच्चे साथ फ्री हो कर  बैठते,,दुनियां जहान की बातें होतीं और सासू माँ बहुत सारे संस्मरण हमें सुनातीं,, … Read more

मुखौटा – अंजू निगम

कल बाजार जाना हुआ तो सोचा अपनी पूरानी सखी से भी मेल-मुलाकात कर लूँ|अरसा हो गया था उससे मिले |कई बार उलहाने दे चुकी थी,सोचा आज जाकर उसे चौंका दूँ| घर गयी तो नौकर ने दरवाजा खोला|अंदर अच्छी-खासी रौनक जमी थी|शायद कोई पार्टी चल रही थी|१०-१५ महिलाएं जुटी थी|पहनावे से रईसी झलकती| उन्हें देख अंदर … Read more

खाने का डिब्बा – सीमा वर्णिका

नंदू दरवाजे की ओट से अम्मा बाबू की बातें सुन रहा था । “नंदू के बाबू तुम एक खाने का डब्बा ..काहे नांहि लै लेत ..रोज खाना लिये बिगैर काम पर जात हौ “अम्मा कह रही थीं। ” अरे काहे पाछै परी रहती हो.. घरै से खाके तो जात हैं,” बाबू ने जवाब दिया । … Read more

24 कैरेट – अंजु पी केशव

 “सुनो आज तो मुझे रोज चाहिए ही चाहिए।” उखड़ गई नेहा और नीरज की शामत आ गई। सोलह सालों में जिसनें कभी खुद से कोई तोहफा न दिया, उसके लिए क्या रोज डे और क्या प्रपोज डे…. लेकिन इस बार तो मांँग कर लूँगी। यही सोच कर पीछे पड़ गई नीरज के।   “मेरे लिए क्या … Read more

बदलते रिश्ते की कहानी – अन्जु सिंगड़ोदिया

डेढ़ वर्ष पहले की घटना है। हाहवे पर अपने माता -पिता की खून से लथपथ लाश देखकर5  वर्षीय   नन्हें  अरुण ने पूछा ,क्या हुआ मेरे मम्मी  -पापा को क्या ? एक पुलिस वाले ने उसे गले लगाते हुए कहा –‘बेटा ,तू अनाथ हो गया ? अरुण ने मासूमियत से पूछा -‘अनाथ !.. वो-वो  कैसे … Read more

रॉंग नम्बर  –  सपना शिवाले सोलंकी

नरेंन्द्र ऑफिस से निकलकर हेलमेट पहनने ही वाला था तभी मोबाईल फोन घनघना उठा।  अनजान नम्बर से कॉल थी । उसनें जैसे ही हैलो कहा ,दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी, “भईया अम्मा जी को खूब तेज बुखार हो रहा ,जल्दी से दवा भिजवा दीजिए न “ ” हैलो ! कौन बोल … Read more

लौट आओ नर्मदा ” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

सावन का महीना शुरू होते ही शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इंद्र भगवान जोर शोर से अपने काम में लग गये थे। भोले नाथ पर अभिषेक करने के लिए रात दिन जल बरसा रहे थे । हर ओर हर -हर महादेव का नाद गूंज रहा था। शिवजी की प्रिया “प्रकृति” की छटा देखते … Read more

ओल्ड इज गोल्ड – भगवती सक्सेना गौड़

सुबह के व़क़्त रोज़ की तरह रवीना  ब्रेकफ़ास्ट बनाने में व्यस्त थी, राजन तैयार हो गए थे और ड्रॉइंगरूम में किसी से मोबाइल पर बात कर रहे थे।  हर काम का उनका निश्चित समय होता था, पल भर की भी देरी उन्हें बर्दाश्त नहीं है. पेपर पढ़ते-पढ़ते वे नाश्ता करते हैं और बिना कुछ कहे … Read more

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