आया सावन झूम के – अनुज सारस्वत
“चलो भाई टाईम हो गया आफिस का निकलो कि यहीं बसेरा डालना “ हमारे साथी ने साढ़े पाँच किलो वजनी हाथ हमारे नाजुक से कंधो के सारे तंतू हिलाते हुए कहा ,इधर हमारा कंधा पीसा की मीनार से चार अक्षांश पर झुका और हमारे चेहरे अंदर के क्रोध को बाहर आने से रोकने के लिये … Read more