लाड़ो – कमलेश राणा 

जानकी को प्रसव पीड़ा हो रही थी,, मानव ,,मानव ,,जल्दी कार निकालो,,जानकी को दर्द हो रहे हैं,,अभी हॉस्पीटल ले जाना पड़ेगा,, अभी निकालता हूँ,,माँ,, राधिका बेचैन हो रही थी,,बहू का दर्द उससे देखा नहीं जा रहा था,,साथ ही उसकी आँखो में डर भी था बेटी पैदा होने का,, उसे रह- रह कर अपने दिन याद … Read more

समर्पण – विजय शर्मा

रात के साढ़े दस बज रहे थे, स्कूटर स्टेण्ड से उतारकर जैसे ही राजेश ने सामने देखा तो एक बड़ी फोर्ड आइकान  गाड़ी उसके पूरे रेम्प को घेरे खड़ी थी। राजेश ने पास ही बनी पान की दुकान पर जाकर खड़े दो तीन व्यक्तियों से मुखातिब होते हुए कहा “आप में से जिसकी भी यह … Read more

मिसमैच जोड़ी…. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

खुद को आईने में देख….आराध्या का मन दुखित हो रहा था..चेहरे पर रह रह कर कई दर्द आ और जा रहें थे..उसके चेहरे उभर आए कट मार्क्स के निशान उसके सीने को छलनी कर रहे थे…..असीम वेदना से तड़पती आराध्या खुद से नज़रे भी नहीं मिला पा रही थी… कितना गुमान था उसे खुद के … Read more

*दावत* – किरण केशरे 

दादू आज मेरा बर्थडे है ना, कहते हुए दस वर्षीय परी दौड़ते हुए आकर पीछे से दादू के कन्धे पर झूल गई थी। माधव जी ने उसका हाथ पकड़ कर आगे खींच लिया और बड़े लाड़ से बोले तो आज क्या प्रोग्राम है ,हमारी परी रानी का !!  पार्टी में कौन कौन आ रहा है … Read more

दुनियालाल – पूनम वर्मा

दुनियालाल ! हाँ ! इसी नाम से जानते थे हम उन्हें । नाम लेते ही एक विकराल-सी छवि स्मृति पटल पर उभरने लगती है । यह छवि धूमिल होकर भी यदा-कदा मेरी स्मृति के गलियारे में चक्कर लगा ही जाती है । लंबी-चौड़ी काया, कपड़े काले या शायद मटमैले-से ढीले-ढाले और कंधे से टखने तक … Read more

*विटामिन-पी* – *नम्रता सरन “सोना”*

संजना टेबल पर खाना लगा रही थी।आज विशेष व्यंजन बनाए गए थे, नंदरानी मिथिलेश जो आई थी। “पापा, ले आओ अपनी कटोरी, खाना लग रहा है”मिथिलेश ने अरुण जी से कहा। “दीदी, पापा अब कटोरी नही, कटोरा खाते हैं, खाने से पहले कटोरा भरकर सलाद और खाने के बाद कटोरा भर फ्रूट्स” संजना मुस्कुराती हुई … Read more

बेटी

बेटी चौथी बार भी बेटे की आस में,घर में पैदा हो गयी थी अनचाही।हाय रे! फिर से छोरी ही जन्मी है!दादी के लिए बड़ा मलाल बन गयी थी। अपने पूरे हिस्से के लिए लड़ती,मुँहजोरी कर अपनी टेक पर अड़ती,छोरी! चुप न रह सके है बड़ों के सामने?बड़ी बहनों के लिए, वो सवाल बन गयी थी। … Read more

खौफनाक रात!!  – मनीषा भरतीया

राज और पूजा गोवा में अकेले रहते थे।, पहले पूजा अपने सास-ससुर के साथ टाटा में ही रहती थी, लेकिन राज की रेलवे की नौकरी थी।, इस कारण से उसका तबादला हर दो-तीन साल में एक जगह से दूसरी जगह होते रहता था।, इस बार उसका तबादला गोवा में हुआ, इस कारण से राज बहुत … Read more

सबिया का धैर्य – कंचन श्रीवास्तव

परिवर्तन प्रकृति का नियम है ,जो इसे स्वीकार करता है  कभी दुखी और पीछे नही रहता।  सबिया को ही ले लो इसका जीवन हमेशा चुनौतियों भरा रहा ,पर कभी हार नहीं मानी,। कहते हुए अप्पी कुर्सी में धंस गई उन्हें अच्छे से याद है जब अख्तर से निकाह हुआ तो ये पढ़ रही थी।बड़ी कमसिन … Read more

औरत के मन की व्यथा… – मीनू जायसवाल

आज जो लिखने जा रही हूं ये कोई कहानी नही है ,बस मन के किसी कोने मे आए हुए कुछ सवाल है जो शायद दुनिया की हर एक औरत की आपबीती हो… हर एक की समस्या हो ,जो शायद कभी किसी से कह नहीं पाती…..कोशिश कर रही हूं शब्दों द्वारा उनकी बातों को आपके सामने … Read more

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